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छत्तीसगढ़बिलासपुर

छत्तीसगढ़ / 30 साल से आदिवासियों में शिक्षा की अलख जगाने वाले प्रो. पीडी खेरा नहीं रहे

बिलासपुर| आदिवासियों के बीच तीन दशक तक शिक्षा की अलख जगाने वाले प्रो. डाॅ.प्रभुदत्त खेरा का सोमवार को निधन हो गया। वे कुछ महीनों से बीमार थे और उनका इलाज अपोलो अस्पताल में चल रहा था। उनकी इच्छानुसार मुंगेली जिले के ग्राम लमनी में उनका अंतिम संस्कार मंगलवार की सुबह 11 बजे किया जाएगा। अपोलो अस्पताल से उनका पार्थिव शरीर मंगलवार की सुबह लमनी भेजा जाएगा। उनके  निधन पर सीएम भूपेश बघेल समेत कई नेताओं व समाजसेवियों ने शोक जताया है। बैगा आदिवासियों में प्रो. खेरा को दिल्ली वाले साहब के नाम से विख्यात थे। 1983-84 में प्रो. खेरा दिल्ली विवि के शोधार्थियों के दल को लेकर अमरकंटक में रहने वाली अत्यंत पिछड़ी जनजाति बैगा पर अध्ययन के लिए पहुंचे।

वह यहां हर साल आते थे।  प्रो. खेरा सेवानिवृत्त होने के बाद वानप्रस्थी बन कर अचानकमार टाइगर रिजर्व के लमनी छपरवा में रहने लग गए। वो बैगा आदिवासियों के सच्चे हमदर्द रहे, उनको समय पर चिकित्सा की सुविधा उपलब्ध कराते थे। हाट बाजार की अन्नदूत सेवा से जोड़ने सूत्रधार बनते और जंगल के संरक्षक बने रहे।

प्रो. खेरा लमनी से रोज बस से छपरवा के स्कूल जाते और अलग-अलग क्लास में अंग्रेजी पढ़ाते, ताकि छात्रों को नौकरी पाने की दौड़ में सहूलियत हो।  मुख्यमंत्री, राज्यपाल ने शोक जताया : प्रोफेसर खेरा के निधन पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, राज्यपाल अनुसूइया उइके, सांसद अरुण साव, पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल, पीसीसी महामंत्री अटल श्रीवास्तव सहित विभिन्न समाज व संगठन के लोगों ने अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की है।

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