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ज़िला प्रशासनबिलासपुर

मोपका पटवारी को शासन-प्रशासन किसी का डर नहीं… सरकारी तालाब के मेढ़ पर बिल्डर को दे दिया कब्जा… बाउंड्रीवाल के गेट पर जड़ दिया ताला…पटवारी कहता है- नहीं कर सकता कार्रवाई… जानिए क्यों…

बिलासपुर। राजस्व विभाग के नुमाइंदे चहेते बिल्डरों को कैसे उपकृत करते हैं, इसका नमूना देखना है तो मोपका चले जाइए, जहां पर सरकारी तालाब के मेढ़ के बीचों-बीच कॉलोनी की सुरक्षा के लिए बाउंड्रीवाल खड़ी कर दी गई है। पूछताछ करने पर पटवारी अमित पांडेय कहते हैं कि शिकायत मिलने पर कार्रवाई की जाएगी। उनके इस बयान से बिल्डर के साथ मिलीभगत की बू आ रही है। चर्चा तो यह भी है कि पटवारी ने मौखिक रूप से तालाब के मेढ़ को भू-माफिया को बेच दिया है।

छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद बिलासपुर शहर के आसपास की जमीन की कीमत आसमान छूने लगी है। एक दशक पहले शहर से लगे ग्राम पंचायतों की सरकारी जमीन को दबाने का खेल शुरू हुआ, जो अब तक जारी है। ग्राम पंचायत मोपका (अब नगर निगम) तो सरकारी जमीन की बंदरबाट के मामले में सबसे ज्यादा सुर्खियों में रहा है। यहां जो भी पटवारी आया, सिर्फ अपनी जेबें भरी हैं। ताजा मामला मोपका स्थित खसरा नंबर 442, 443 में दर्ज तालाब का है। तालाब के एक किनारे में गणपति होम कॉलोनी का निर्माण किया जा रहा है। इससे लगे हुई जमीन पर कॉलोनी विकसित कर दी है। इसी कॉलोनी से विशाल क्षेत्र में फैला हुआ तालाब है। कॉलोनी की सुरक्षा के लिए बिल्डर ने तालाब के मेढ़ पर ही कब्जा कर लिया है। करीब 1000 वर्गफीट लंबी बाउंड्रीवाल खड़ी कर दी गई है। तालाब में जाने के लिए एक लोहे का गेट लगाया गया है, जिसमें हमेशा ताला बंद रहता है। तालाब से चंद कदम दूरी पर पटवारी कार्यालय है, जहां वर्तमान में अमित पांडेय पटवारी है। सब कुछ जानते हुए भी पटवारी अमित पांडेय आंख बंदकर सरकारी जमीन पर बेजाकब्जा को बढ़ावा दे रहा है। मीडिया ने जब उनसे तालाब के मेढ़ पर कब्जा होने का सवाल किया तो उनका कहना था कि वे मौके पर गए थे, जहां मेढ़ में बाउंड्रीवाल बनाई गई है। वे खुद से किसी तरह की कार्रवाई करने में अक्षम हैं। यदि कोई शिकायत करे तो वे जांच कर प्रतिवेदन तहसीलदार को भेजेंगे। उनके इस बयान से साफ झलक रहा है कि कुछ तो कारण है, जिसके चलते उनके हाथ बंधे हुए हैं।

एक राजस्व अफसर की शह ?

बताया जा रहा है कि अरपा पार क्षेत्र में राजस्व विभाग के एक अफसर की शह पर सरकारी जमीन को दबाने का खेल चल रहा है। यह अफसर खुद ही पार्टनरशिप में पर्दे के पीछे रहकर प्लाटिंग करा रहे हैं। ऊंची पहुंच और सेटिंग के चलते भाजपा सरकार में भी इस अफसर की तूती बोलती थी और कांग्रेस सरकार में भी इसी अफसर का बोलबाला है। बता दें कि विधानसभा चुनाव से पहले इस अफसर का तबादला हो गया था, लेकिन उन्होंने पहुंच के दम पर अपना तबादला रुकवा लिया। तालाब के मेढ़ पर बाउंड्रीवाल बनवाने में इस अफसर की मौन सहमति बताई जा रही है।

नोट:- मोपका में सरकारी जमीन की बंदरबांट का बड़ा खेल… अवैध प्लाटिंग में राजस्व अफसरों की सांठगांठ… नहर की जमीन गायब… ऐसे कई मामलों का जल्द होगा खुलासा…पढ़ते रहिए

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