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स्वास्थ्य

प्रयोगशाला अध्ययनों में कोरोना वायरस के प्रभाव को रोकने में सहायक 21 दवाओं की पहचान हुई, भारतीय वैज्ञानिक भी शामिल…

वैज्ञानिकों ने 21 ऐसी प्रचलित दवाओं की पहचान की है जो प्रयोगशाला अध्ययनों में कोरोना वायरस के विकसित होने से रोकेंगी। इन वैज्ञानिकों में भारतीय मूल के वैज्ञानिक भी शामिल हैं। अमेरिका में सैनफोर्ड बर्नहैम प्रीबिस मेडिकल डिस्कवरी इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने, कोरोना वायरस को अवरूद्ध करने की क्षमता के लिए दुनियाभर में ज्ञात दवाओं के सबसे बड़े संग्रह में से एक का विश्लेषण किया और प्रयोगशाला परीक्षणों में एंटीवायरल क्रिया के साथ 100 अणु पाए गए।

जर्नल नेचर में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, इनमें से 21 दवाएं वायरस के फिर से उत्पन्न होने की आशंका को अवरुद्ध करने में प्रभावी हैं जो मरीजों के लिए सुरक्षित हैं। इसमें कहा गया है कि इनमें से चार यौगिक, कोविड-19 के लिए एक मौजूदा मानक-देखभाल उपचार, रेमडिसिविर के साथ मिलकर काम कर सकते हैं।

संडे बर्नहेम प्रीबिस इम्युनिटी एंड पैथोजेनेसिस प्रोग्राम के निदेशक एवं अध्ययन के वरिष्ठ लेखक सुमित चंदा ने कहा, ”रेमेडिसिविर अस्पताल में मरीजों के लिए स्वस्थ होने के समय को कम करने में सफल साबित हुई है, लेकिन यह दवा हर किसी के लिए कारगर नहीं है। चंद्रा ने कहा, सस्ती, प्रभावी, और आसानी से उपलब्ध दवाओं को खोजने के लिए तत्परता बनी हुई है जो रेमेडिसिविर के उपयोग का पूरक बन सकती है।

वैज्ञानिकों ने पाया है कि इनमें से 21 दवाएं कोरोना वायरस के प्रभाव को अवरूद्ध कर सकती है। वैज्ञानिकों ने कहा कि दो दवाओं को पहले से ही अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) द्वारा मंजूरी मिली हुई है।

http://tazakhabar36garh.com/nation/indian-council-of-medical-research-told-states-avoid-indiscriminate-testing-of-corona-virus-which-should-be-investigated-only-by-those-who-need-it/

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