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स्वास्थ्य

केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने दी बड़ी चेतावनी, कहा- जब तक कोई वैक्सीन नहीं बनती, तब तक मास्क और दो गज की दूरी ही करेगी काम…

केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने बुधवार को देश के सभी 16 एम्स के निदेशकों को कोरोना से बचाव के उपायों पर वर्चुअल माध्यम से संबोधित किया। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अपील को दोहराते हुए कहा कि उनके द्वारा बताए गए आसान उपायों के पालन से कोरोना को स्वयं से दूर रखना संभव है। डॉ. हर्ष वर्धन ने यह भी कहा कि वर्तमान में अनलॉक-5 के अंतर्गत देश की अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए कई गतिविधियां फिर से शुरू की गई हैं।

डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा कि हम विश्व के विकासशील और संपन्न देशों के मुकाबले बेहतर स्थिति में हैं। देश की रिकवरी दर सबसे अधिक 87 प्रतिशत है, जबकि मृत्यु दर 1.53 प्रतिशत न्यूनतम है। मामलों के दोगुना होने की दर 3 दिन से सुधर कर 80 दिन हो गई है। मामलों के बढ़ने की गति में कमी आई है और कल 63 हजार मामले सामने आए। कोरोना के खिलाफ 9 महीने की जंग के दौरान हमारे कुछ समर्पित, निष्ठावान डॉक्टरों, नर्सों, अर्धचिकित्साकर्मियों को अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए जान गंवानी पड़ी। हम इन कोरोना वॉरियर को नमन करते हैं।

उन्होंने कहा कि कुछ महीने में देश में वैक्सीन आ जाने की पूरी उम्मीद है। इसके लिए चिकित्साकर्मियों और जरूरतमंद लोगों की प्राथमिकता तय की जा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि कोविड के खिलाफ लड़ाई न तो कठिन है और न असंभव। इसे हराने के लिए सही तरीके से मास्क पहनना, मास्क से मुंह और नाक ढकना, बात करते हुए भी मास्क नहीं उतारना, आपस में दो गज की दूरी रखना और बार-बार साबुन और पानी से हाथ धोना जरूरी है। ये साधारण उपाय हमारे लिए सोशल वैक्सीन हैं, जो हमें घातक कोरोना वायरस से बचा सकते हैं, हमारी जान की रक्षा कर सकते हैं।

डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा कि इन सावधानियों का शत-प्रतिशत लोगों को पालन करना होगा। ऐसा करते हुए हम कुशलतापूर्वक वायरस के प्रसार को रोक सकते हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी अपील में इन साधारण सावधानियों को जन-आंदोलन बनाने का आह्वान भी किया है। हम सब को यह प्रयास करना है कि प्रधानमंत्री का यह संदेश देश के कोने-कोने में सभी व्यक्तियों के पास पहुंचे। डॉ. हर्ष वर्धन ने सभी एम्स के निदेशकों से कहा कि वे अपने सभी डॉक्टरों और कर्मचारियों तथा कैम्पस में आने वाले रोगियों और उनके सहयोगियों तक ये संदेश पहुंचाएं।

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