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चिंतन शिविर: युवाओं और बुजुर्गों को एक साथ कैसे साध पाएगी कांग्रेस? चिंतन शिविर में बना ये प्लान…

कांग्रेस के तीन दिवसीय शिविर में यह सुझाव भी दिया गया कि भविष्य में कांग्रेस की सरकारों में 50 साल से कम उम्र के लोगों के लिए आधे पद आरक्षित रखे जाएं। पार्टी को यह सुझाव यूथ पैनल की तरफ से मिला।

राजस्थान के उदयपुर में कांग्रेस के तीन दिवसीय चिंतन शिविर का समापन हो गया है। इस दौरान पार्टी में बदलाव को लेकर कई फैसले लिए गए, लेकिन युवा और दिग्गजों को लेकर ‘एडवाइजरी ग्रुप’ के गठन और 50 फीसदी प्रतिनिधित्व का कदम खासा चर्चा में है। गांधी परिवार के इस फैसले को पार्टी में संतुलन बनाने की कोशिश के तौर पर भी देखा जा रहा है।

कांग्रेस के तीन दिवसीय शिविर में यह सुझाव भी दिया गया कि भविष्य में कांग्रेस की सरकारों में 50 साल से कम उम्र के लोगों के लिए आधे पद आरक्षित रखे जाएं। पार्टी को यह सुझाव यूथ पैनल की तरफ से मिला। इसके अलावा यही शर्त चुनाव के लिए उम्मीदवार चुनने पर भी लागू होगी, जिसकी शुरुआत 2024 लोकसभा चुनाव से होने जा रही है।

इसके अलावा पार्टी ने एडवाइजरी ग्रुप तैयार करने का फैसला भी किया है। रविवार को गांधी ने कहा, ‘मैंने CWC से निकालकर एक एडवाइजरी ग्रुप रखने का भी फैसला किया है, जो मेरी अध्यक्षता में सियासी मुद्दों और पार्टी की चुनौतियों को लेकर नियमित रूप से मुलाकात करेगा।’ हालांकि, उन्हेोंने यह साफ किया, ‘हमारे पास CWC है, जो समय पर बैठक करती है और यह जारी रहेगी। नया समूह सामूहिक निर्णय लेने वाला नहीं है, लेकिन यह वरिष्ठ साथियों के अनुभव का फायदा दिलाएगा।’

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, पदों में 50 से कम उम्र के नेताओं के लिए आरक्षण के साथ CWC से कई नेता बाहर हो सकते हैं। एक ओर जहां युवा नेताओं की तरफ से पद के दबाव है और सभी स्तरों पर पार्टी को ‘युवा रूप’ की मांग भी है। वहीं, गांधी परिवार वरिष्ठ नेताओं को भी नजरअंदाज नहीं करना चाहते, जिसके चलते असंतोष पैदा हो सकता है।

कांग्रेस अध्यक्ष लगातार इस बात पर जोर दे रही हैं कि एडवाइजरी ग्रुप सामूहिक निर्णय लेने वाला नहीं है। साथ ही यह कांग्रेस के संविधान का भी हिस्सा नहीं है और इसे कभी भी खत्म किया जा सकता है। रिपोर्ट के अनुसार, पार्टी के इस फैसले को G-23 के लिए झिड़की के रूप में भी देखा जा रहा है, जो सामूहिक निर्णय की मांग कर रहे हैं।

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