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राजनीति

द्रौपदी मुर्मू पर उमा भारती ने क्यों कहा, राजनीतिक लाभ के लिए नाम-जाति का यूज न करें…

राष्ट्रपति चुनाव 2022 पर सबकी नजरें टिकी हैं। भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने आदिवासी समाज से राज्यपाल जैसे शीर्ष पद तक का सफर तय करने वाली महिला द्रौपदी मुर्मू को उम्मीदवार बनाया गया है। विपक्ष की ओर से यशवंत सिन्हा को प्रेसिडेंट कैंडिडेट हैं। इसी बीच भाजपा की वरिष्ठ नेता उमा भारती ने कहा है कि द्रौपदी मुर्मू के नाम और जाति को जोड़कर पेश कर, इनका इस्तेमाल राजनीतिक लाभ के लिए नहीं होना चाहिए।

उमा ने भाजपा को दी नसीहत

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उमा भारती ने द्रौपदी मुर्मू की उम्मीदवारी पर उन्हें शुभकामनाएं दी हैं। हालांकि, भोपाल में भाजपा के एक कार्यक्रम के दौरान उमा भारती ने कहा कि द्रौपदी मुर्मू का चयन कर एनडीए ने उन पर कोई एहसान नहीं किया, बल्कि उनका चुनाव काबिलियत के दम पर हुआ है। उन्होंने मीडिया में राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार आदिवासी समाज की महिला, और जाति की चर्चा पर कहा, मीडिया और भाजपा को ऐसा करने से बचना चाहिए, क्योंकि भारत का राष्ट्रपति देश का संवैधानिक मुखिया होता है। ये पद किसी जाति का नहीं है। इसलिए राजनीतिक लाभ लेने की इच्छा से बयान नहीं दिया जाना चाहिए।

द्रौपदी मुर्मू का चुनाव एहसान नहीं

राष्ट्रपति चुनाव 2022 के राजनीतिक फायदों के बारे में उमा ने कहा कि द्रौपदी मुर्मू जी का एनडीए की ओर से राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार होना उन पर कोई एहसान नहीं है। बकौल उमा भारती, द्रौपदी मुर्मू हर तरह से एक योग्य महिला हैं। भारत का राष्ट्रपति बनने के लिए और क्या चाहिए ? उन्होंने कहा कि द्रौपदी मुर्मू शैक्षिक योग्यता, समाज सेवा की दृष्टि और संयमित संस्कारी जीवन, मन, वचन और कर्म का मेल हैं। उनकी योग्यता ही इस पद की उम्मीदवारी के लिए चयन का आधार है।

द्रौपदी मुर्मू में तिहरी शक्ति !

राष्ट्रपति चुनाव 2022 पर डेली पायोनियर की रिपोर्ट के मुताबिक उमा भारती ने कहा, मुर्मू आज की समकालीन आर्थिक और राजनीतिक व्यवस्था की तिहरी शक्ति हैं। उनमें वे सभी गुण मौजूद हैं जो हमारे देश की ताकत और विशेषता हैं। उन्होंने द्रौपदी मुर्मू को भारत के राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किए जाने के बाद कहा, यह हम सब के लिए गर्व और उपलब्धि का विषय है।

यशवंत सिन्हा नाम वापस लें

बता दें कि एक दिन पहले भी उमा भारती ने एक ट्वीट किया था, जिसमें उन्होंने यशवंत सिन्हा से अपना नाम वापस लेने की अपील भी की थी। शनिवार को भी उमा भारती ने कहा कि जब यशवंत सिन्हा भाजपा में थे तो महिला उत्थान, दबे-कुचलों के कल्याण पर बड़ी-बड़ी बातें करते थे। उन्होंने सवाल किया कि किया उनकी कथनी और करनी में अंतर आ गया है ? अगर ऐसा नहीं है को यशवंत सिन्हा को अपना नाम वापस लेना चाहिए। राष्ट्रपति चुनाव से नाम वापस न लेने की स्थिति में हारने पर सिन्हा कहीं मुंह दिखाने के लायक नही रह जाएंगे।

द्रौपदी मुर्मू बनाम यशंवत सिन्हा

गौरतलब है कि यशवंत सिन्हा ने राष्ट्रपति चुनाव से पहले खुद को संवैधानिक मूल्यों के प्रति समर्पित करार दिया है। उन्होंने यहां तक दावा किया है कि आदिवासी समाज की महिलाओं के कल्याण के लिए उन्होंने द्रौपदी मुर्मू से अधिक काम किए हैं। विपक्षी नेताओं को लिखे पत्र में उन्होंने देश की संवैधानिक संस्थाओं की रक्षा करने पर भी संकेत किया है। यशवंत सिन्हा का आरोप है कि वर्तमान दौर में राजनीतिक प्रतिशोध के लिए संस्थाओं का बेजा इस्तेमाल हो रहा है, वे सुनिश्चित करेंगे कि ऐसा न हो।

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