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छत्तीसगढ़बिलासपुर

हसदेव बचाओ आंदोलन को समर्थन देने आई मेधा पाटकर, बोलीं- सरकार की मिलीभगत, उद्योगपति को पहुंचा रहे फायदा…

बिलासपुर। हसदेव अरण्य को बचाने व कोल ब्लॉक एक्सटेंशन का विरोध लगातार जारी है। हसदेव बचाओ आंदोलन को समर्थन देने सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर, किसान नेता डॉ. सुनीलम सहित कई राज्यों के सामाजिक कार्यकर्ता बिलासपुर व हसदेव अरण्य पहुंचे। परसा कोल ब्लॉक एक्सटेंशन पर मेधा पाटकर ने कहा कि राज्य और केंद्र सरकार की मिलीभगत है। उद्योगपति को फायदा पहुंचाने यह सारा खेल खेला गया है। उन्होंने कहा कि राजस्थान में कोयले की कमी नहीं है। कोयला संकट आज पूरे देश में है। ऐसे में ऊर्जा के अन्य साधनों पर ध्यान दिया जाना चाहिए। मेधा पाटकर ने कहा कि जब तक कोल ब्लॉक की अनुमति को रद्द नहीं होगी, तब तक हसदेव बचाओ आंदोलन जारी रहेगा।

बिलासपुर में हसदेव बचाओ आंदोलन और धरना

प्रदर्शन से जुड़े लोगों से मेधा पाटकर ने मुलाकात कर अपनी बात रखी फिर अपने समर्थकों के साथ हसदेव अरण्य क्षेत्र चली गईं। मेधा व उनके साथ पहुंचे आंदोलनजीवियों ने केंद्र व राज्य सरकार को जमकर लताड़ा। मेधा पाटकर ने कहा कि राज्य सरकार अपने अधिकारों को कपड़े उतारने जैसा उतार देता है तो देश में नंगा नाच शुरू होगा। केंद्र ने 3 कृषि कानून लाए तो किसानों ने सबक सिखाया। लैंड जैसा मुद्दा भी कांक्रेंट लिस्ट में है। उन्होंने कहा कि शेड्यूल 7 में उल्लेख है। राज्य और केंद्र दोनों का मिलकर जिसमें अधिकार है उसमें से एक मुद्दा जमीन भी है और जंगल जमीन पर खड़ा है। इनको हर चीज में अधिकार है। जनता नाराज है, जनप्रतिनिधि नहीं चाहते फिर कैसे क्लीयरेंस दिया गया, किस दबाव में दिया गया। यह सब देखने की बात है। बीडिंग होता है। टेंडर चलता है। ऐसा दिखाया जाता है कि व्यापार में जनतंत्र है, लेकिन कौन आता है बीडिंग में जिसने कभी खदान की सोची भी नहीं है। ऐसे बीडर्स बन जाते हैं और एक खेल होता है।

जंगल उजाड़ कर खदान खोलने में तुली सरकार

मेधा पाटकर ने कहा कि अडानी तो आज सबसे धनाढ्य धीश हैं। कब्जाधीश नहीं सत्ताधीश बन गए हैं। इसके कारण ही देश बेचा जा रहा है। ऐसे लोगों के साथ भूपेश बघेल और कांग्रेस पार्टी का हाथ मिलाना देश के लिए खतरनाक बात है। उन्होंने हाथ मिलना को भी स्पष्ट करते हुए कहा कि उनका प्रोजेक्ट मंजूर कर रहे हैं। आप उन्हें बीडर बना रहे हैं। आप उनके दबाव में यह मंजूरी दे रहे हैं। यह सब क्या है? अगर उनके नहीं होते तो आप विधायक की सुनते, आदिवासियों की सुनते, विरोध करने वालों की सुनते, खुद आकर ग्रामसभा में बैठ जाते। मेधा पाटकर ने कहा कि राहुल गांधी के कहने और विरोध के बाद भी राज्य सरकार जंगल उजाड़ कर खदान खोलने पर तुली हुई है। गहलोत जी के बारे में चिंता हो रही है। अशोक गहलोत बोल रहे हैं कोयला नहीं है। राजस्थान के एक्सपर्ट को पेश करूं आपके सामने। ऐसा कोई कोयले का बड़ा क्राइसेस नहीं है। यह क्राइसेस देश और दुनिया में है, लेकिन इसके विकल्प हैं। ऊर्जाधारित विकास को कम करो न भाई। आज 40 प्रतिशत ऊर्जा बड़े शहरों में कूलिंग पर खर्च हो रही है। उसे कम कीजिए…।

हसदेव अरण्य में जंगल की कटाई का हो रहा विरोध

परसा ईस्ट-केते-बासेन कोल ब्लॉक में कोल उत्खनन की मंजूरी दी गई है। 1898 हेक्टेयर भूमि वनक्षेत्र एवं 812 हेक्टेयर भूमि गैर वनक्षेत्र है, जिसमें परसा, हरिहरपुर, फतेहपुर व घाटबर्रा के ग्रामीणों की कृषि भूमि, मकान एवं गांव भी उत्खनन की चपेट में आएंगे। यह पूरा क्षेत्र घने जंगलों से घिरा हुआ है। परसा कोल ब्लॉक राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड को आवंटित है। खदान का काम अडानी ग्रुप कर रही है। कोल ब्लॉक एक्सटेंशन का मामला हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुंच चुका है। इधर राज्य सरकार द्वार वन एवं पर्यावरण की अनुमति के बाद विरोध जारी है। जंगल के अंदर बसे गांवों में प्रदर्शन जारी है। प्रदर्शन को कई संगठनों का समर्थन है। हसदेव के जंगल को बचाने देशभर में कई कैंपेन भी चल रहे हैं।

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