Advertisement
राजनीति

ऐसे रचा महाराष्ट्र का सियासी रण: ढाई साल पुरानी टीस लेकर लौट रहे हैं पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस

2019 के विधानसभा चुनाव में शिवसेना के साथ गठबंधन में पूर्ण बहुमत पाने के बावजूद देवेंद्र फडणवीस दोबोरा मुख्यमंत्री बनने से चूक गए थे। चुनाव नतीजे सामने आने के बाद उद्धव ठाकरे ने एनसीपी और कांग्रेस के साथ गठबंधन कर लिया था। फडणवीस ने सरकार बनाने की कोशिश भी की थी, लेकिन वह बहुमत साबित करने में सफल नहीं हो पाए थे। इस दौरान अपने संबोधन में उन्होंने कहा था- ‘मैं वापस आऊंगा।’

देवेंद्र फडणवीस इस जुलाई में 52 साल के हो रहे हैं। साथ वह तीसरी बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में वापसी करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने उद्धव ठाकरे की 31 महीने की सरकार की शुरुआत से ही सत्ता में वापसी की कोशिश की थी। आखिरी ऑपरेशन कुछ महीने पहले किया गया, जब एकनाथ शिंदे ने सूरत की दो रहस्यमयी यात्राएं कीं।

लिया व्यक्तिगत अपमान का बदला?

देवेंद्र फडणवीस 2014 के बाद से भाजपा के उभरते सितारों में हैं। वह मनोहर जोशी के बाद राज्य में दूसरे ब्राह्मण सीएम बने थे। इसके अलावा शरद पवार के बाद सबसे कम उम्र के सीएम बनने वाले दूसरे राजनेता थे। उन्होंने अपनी 2019 की हार को व्यक्तिगत अपमान के रूप में लिया। अजीत पवार के साथ 80 घंटे की सरकार बनाने में उनकी जल्दबाजी ने उनके उदय की चमक छीन ली थी।

काफी पहले गिर जाती अघाड़ी सरकार

एक भाजपा नेता का कहना है, “अघाड़ी की सरकार पहले ही गिर जाती। पहले कोविड महामारी के कारण इसमें देरी हुई फिर उद्धव ठाकरे की बीमारी के कारण। इससे हमारी योजनाओं में देरी हुई।” भाजपा नेता का यह भी कहना है कि यह देवेंद्र फडणवीस ही थे जिन्होंने शिवसेना के विभाजन के लिए एकनाथ शिंदे की पहचान की। उन्होंने कहा कि एनसीपी को तोड़ना या पर्याप्त संख्या में कांग्रेस विधायकों को लुभाना मुश्किल हो रहा था।

फडणवीस ने ऐसे चलाया ऑपरेशन कमल

पिछले नौ दिनों में फडणवीस ने केंद्रीय नेतृत्व को ऑपरेशन के हर कदम से अवगत कराते हुए दिल्ली की तीन यात्राएं कीं। सूत्रों का कहना है कि उन्होंने व्यक्तिगत रूप से 20 जून को एमएलसी चुनावों के तुरंत बाद शिवसेना के विधायकों को सूरत ले जाने और फिर उनके गुवाहाटी जाने के साथ-साथ विद्रोही खेमे में शामिल होने वाले अन्य विधायकों के सुरक्षित मार्ग को सुनिश्चित करने पर ध्यान दिया। सूत्र ने कहा, “शिवसेना के विद्रोहियों को यह संदेश दिया गया था कि ऑपरेशन को भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व का आशीर्वाद और समर्थन मिला था और यह स्थानीय रूप से संगठित नहीं था।” फडणवीस ने संभावित कानूनी परिदृश्यों पर वकीलों के साथ कई दौर की बातचीत की।

राज्यसभा चुनाव से कर दी शुरुआत

फडणवीस ने पहला संकेत यह दिया था कि महाराष्ट्र में उनकी छटपटाहट राज्यसभा चुनाव में सफल रही। पूर्व मंत्री गिरीश महाजन, विधान परिषद में विपक्ष के नेता प्रवीण दारेकर, पार्टी नेता प्रसाद लाड और राजनीतिक रणनीतिकार आशीष कुलकर्णी सहित उन्होंने और उनके सहयोगियों की टीम ने भाजपा के लिए एक महत्वपूर्ण अतिरिक्त सीट जीती। इसके तुरंत बाद एमएलसी चुनावों में जीत हासिल की। इस चुनाव में उन्होंने एमवीए के 22 एमवीए विधायकों का समर्थन प्राप्त किया।

फडणवीस के बंगले पर लगा तांता

मालाबार हिल स्थित उनके बंगले पर बुधवार को उम्मीदवारों की लंबी लाइन इसका संकेत दे रही थी कि महाराष्ट्र की सियासत में एकबार फिर देवेंद्र फडणवीस का कद बढ़ रहा है। पार्टी के सहयोगी अभी से विधान परिषद की सीटें और सांविधिक बोर्डों और निगमों में नियुक्तियों के लिए पैरवी कर रहे हैं। सूत्र ने कहा, “हर्षवर्धन पाटिल, चित्रा वाघ, सदाभाऊ खोत जैसे नेता हैं जो 2014 से पहले या राज्य में भाजपा शासन के दौरान भाजपा में शामिल हुए थे। वे लंबे समय से सत्ता में अपने हिस्से का इंतजार कर रहे थे।”

एक अन्य नेता ने कहा, “फडणवीस के बंगले में प्रवेश प्रतिबंधित था और बुधवार को केवल विधायकों और प्रमुख नेताओं को ही अनुमति दी गई थी, लेकिन 200 से अधिक नेताओं ने उनसे मुलाकात की।”

एक भाजपा नेता ने कहा, “महाराष्ट्र में भाजपा पर उनका नियंत्रण अब पूरा हो गया है। वह आसानी से लोगों पर भरोसा नहीं करते हैं और किसी भी संभावित प्रतिद्वंद्वी पर कड़ी नजर रखते हैं।”

error: Content is protected !!