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रेलवे

क्या आप जानते हैं कि अगर चलती ट्रेन में सो जाए ड्राइवर तो अपने आप रूक जाएगी ट्रेन? जानें कैसे

आपने कई बार सुना और पढ़ा होगा कि ड्राइवर की आंख लग गई और हादसा हो गया। सड़क हादसे को लेकरक ऐसी कई खबरें आती हैं, लेकिन क्या आपने कभी सोचा हैं कि अगर ट्रेन के ड्राइवर यानी लोकोपायलट को चलती ट्रेन में नींद आ जाए तो क्या होगा? आप सोच रहे होंगे कि ट्रेन हादसे का शिकार हो जाएगी या पटरी से उलट जाएगी, लेकिन आपको बता दें कि ऐसा कुछ नहीं होगा। जी हां अगर चलती ट्रेन में लोको पायलट सो भी जाए तो सफर कर रहे यात्री पूरी तरह सुरक्षित हैं। ट्रेन पटरी से नहीं उतरेगी। आप सोच रहे होंगे कि आखिर ये कैसे होगा। हम आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं कि आखिर रेलवे किस तरह से इस सिस्टम पर काम करता है।

सो जाए ट्रेन का लोको पायलट तो…

ट्रेन में हमेशा दो ड्राइवर या लोको पायलट होते हैं। एक मेन और दूसरा असिस्टेंड ड्राइवर। यानी अगर किसी कारण एक ड्राइवर सो भी जाता है तो दूसरा ड्राइवर उसकी कमान संभाल लेता है और मेन लोको पायलट को उठाने की कोशिश करता है। अगर किसी अन्य परेशानी के कारण वो नहीं उठता है तो फौरन इसकी सूचना अगले स्टेशन पर दी जाती है और वहां ड्राइवर बदल दिए जाते हैं।

17 सेकेंड में देना होता है जवाब

अगर आपके मन ये सवाल उठ रहा है कि उस स्थिति में क्या होगा, जब दोनों ड्राइवर सो जाएंगे। भले ही ऐसा होने की संभावना बहुत कम है, लेकिन अगर ऐसा होता है तो उस स्थिति से निपटने के लिए भी रेलवे के पास खास सिस्टम है। ट्रेनों के इंजन में विजीलेंस कंट्रोल डिवाइस लगे होते हैं। इस डिवाइस की मदद से ये देखा जाता है कि अगर ड्राइवर 1 मिनट तक कोई रिस्पांस नहीं करता है तो 17 सेकेंड के भीतर रेलवे कमांड रूम से एक ऑडियो-वीडियो इंडीकेशन भेजा जाता है। इस मैसेज को बटन दबाकर ड्राइवर को स्वीकार करना होता है, अगर ऐसा नहीं होता है तो अगले 17 सेकेंड के भीतर ट्रेन के इंजन का ऑटोमेटिक ब्रेक काम करने लगता है।

अपने आप रूक जाती है ट्रेन

ड्राइवर अगर ऑडियो-विजुअल रिस्पांस का कोई जवाब नहीं देता है तो ऑटोमेटिक ब्रेक लगना शुरू हो जाता है और 1 किमी के भीतर ट्रेन अपने आप रूक जाती है। ट्रेन में मौजूद गार्ड और अन्य अधिकारी इंजन तक पहुंचकर स्थिति की जांच करते हैं और इसकी जानकारी कंट्रोल रूम तक भेजी जाती है। सब ठीक होने के बाद ही ट्रेन आगे बढती है। यानी ट्रेन के लोको पायलट के सो जाने पर ट्रेन हादसे की संभावना बहुत कम होती है। रेलवे ने यात्रियों की सुरक्षा और ट्रेन हादसों को रोकने के लिए पिछले कुछ सालों में काफी काम किया है। जिसका नतीजा भी देखने को मिल रहा है। रेल हादसों में काफी कमी आई है।

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