Friday, July 11, 2025
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छत्तीसगढ़ पुलिस की नई पहल, अगर मन में आते हैं बुरे विचार तो डायल करें 112, जानिए पूरा मामला…

छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में बढ़ते आत्महत्या के मामले को रोकने के लिए एक नई पहल शुरू की जा रही है। 10 सितंबर से जिले में इस मुहिम की शुरुआत होगी। दुर्ग पुलिस आत्महत्या की रोकथाम के लिए डायल 112 सेवा में हेल्प डेस्क की शुरुआत करने जा रही है। इस डेस्क से ऐसे व्यक्तियों को मदद मिलेगी जो मानसिक अवसाद से ग्रस्त है। जिनके मन में बार बार आत्महत्या के विचार आते हैं।

डराने वाले हैं दुर्ग के आंकड़े: दुर्ग जिले में इस अभियान को शुरू करने के पीछे उद्देश्य है कि यहां बढ़ रहे सुसाइड के आंकड़ों को कम किया जा सके। दरअसल हर साल करीब 300 से अधिक लोग अलग-अलग कारणों से आत्महत्या करते है। इन आत्महत्या के कारणों को कई बार पुलिस सुलझा लेती है तो कई मामलों में पुलिस के हाथ खाली होते हैं। सुसाइड के अधिकांश मामलों में तो पुलिस कारण भी पता नहीं लगा पाती और कुछ दिनों की जांच के बाद फाइल बंद कर दी जाती है। लेकिन दुर्ग जिले में यह आंकड़े काफी ज्यादा चौंकाने वाले हैं।

इनका काउंसलिंग करेगी पुलिस: जब इस टोल फ्री नम्बर 112 पर ऐसे लोगों का कॉल आते ही पुलिस उनका रेस्क्यू करेगी और स्थिति अनुसार उनका इलाज कराएगी जिसके बाद उनकी काउंसलिंग करवाकर उन्हें अवसाद या तनाव से बाहर निकालेगी, इसके लिए परिजन, मित्र, रिश्तेदार भी फोन कर सकते हैं, ताकि उसके मन में आत्महत्या का विचार न आए और वो सामान्य जीवन जी सकें। पुलिस उनके हर सम्भव सहयोग के लिए भी आगे आएगी। जिससे वह हताशा से ऊपर उठकर अपनी जिंदगी की फिर से शुरुआत कर सके।

मनोरोग विशेषज्ञ करेंगे काउंसलिंग: इस मुहिम के तहत जिनके मन में किसी भी कारण से आत्महत्या के विचार आते है वे डायल 112 पर फोन कर बात कर सकते हैं। पुलिस उनकी पहचान को गोपनीय रखते हुए पुलिस उनसे संपर्क करेगी। उनकी काउंसलिंग कराई जाएगी। ताकि उनके मन में आत्महत्या के विचार न आएं। इसके लिए पुलिस मनोरोग विशेषज्ञों से भी संपर्क कर रही है। जो ऐसे लोगों की काउंसलिंग करेंगे।

10 सितम्बर से शुरू होगी सेवा: दुर्ग जिले में यह सेवा विशेष तौर पर 10 सितंबर को विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस पर विधिवत शुरूआत की जाएगी। इसके लिए एंटी क्राइम एंड साइबर यूनिट और कंट्रोल रूम में डेस्क स्थापित किया गया है। जिले के एसपी अभिषेक पल्लव आईजी इस दौरान मौजूद रहेंगे। गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू को भी आमंत्रित किया गया है। इसके लिए मनोरोग डॉक्टरों की टीम भी हमेशा उपलब्ध रहेगी।

पुरुष और महिलाओं के आत्महत्या में अंतर

मनोरोग विशेषज्ञों के अनुसार मानसिक तनाव के कारण लोग इस तरह के कदम उठाते हैं। लेकिन महिलाओं और पुरुषों में आत्महत्या के तरीके अलग अलग हो सकते हैं। ज्यादातर पुरुष या फांसी लगाते हैं या फिर ट्रेन के सामने जाकर आत्महत्या करने का तरीका चुनते हैं। जबकि महिलाएं जहर या कीटनाशक सेवन, आत्मदाह या पानी में डूबने जैसे कदम ज्यादा उठाती हैं। इन तरीकों से आत्महत्या का प्रयास कर चुकी कई महिलाओं को बचाया जा चुका है। वहीं कुछ महिलाएं फांसी लगाकर भी आत्महत्या करती हैं।

सबसे ज्यादा युवा उठाते हैं यह कदम

जिला पुलिस के आंकड़ो के अनुसार आत्महत्या करने वालों में पुरुषों की संख्या ज्यादा है, लगभग 65 प्रतिशत पुरूष इस तरह से कदम उठाते है। इसमें जिसमें 40 प्रतिशत युवा शामिल हैं। जो परीक्षा में फैल होने, एग्जाम में कम मार्क्स आने, प्यार, अफेयर जैसे मामलों में आत्महत्या जैसे कदम उठाते हैं। जबकि 35 प्रतिशत महिलाएं आपसी झगड़े, मानसिक तनाव में आकर आत्महत्या करती हैं। यानी आत्महत्या करने वालों में सबसे अधिक पुरुष हैं। उनमें भी युवा वर्ग के ज्यादा हैं।जो पुलिस विभाग के लिए चिंता का विषय बना हुआ है।

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