छत्तीसगढ़ में आरक्षण कब बहाल होगा, इसका जवाब कानूनी पेंच में फसकर रह गया है। इस मामले में राज्यपाल अनुसुईया उइके ने राज्य सरकार से 10 सवालों के जवाब मांगे थे, जिन्हे सरकार ने भेज दिया है,फिर भी राजभवन की तरफ से कोई रुख स्पष्ट नहीं होता देख कांग्रेस सरकार और राजभवन के बीच टकराहट खुलकर दिखने लगी है। सोमवार को कांग्रेस की छत्तीसगढ़ प्रभारी कुमारी शैलजा और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मौजूदगी में हुई प्रदेश कांग्रेस कमेटी की बैठक में यह फैसला लिया गया कि कांग्रेस आरक्षण के मामले में राजभवन के रुख के खिलाफ आंदोलन करेगी।
सोमवार को कांग्रेस मुख्यालय राजीव भवन में हुई बैठक के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राजभवन के अफसरों, विधिक सलाहकारों के प्रति तल्ख़ लहजे में नाराजगी जाहिर करते हुए पूछा कि क्या राजभवन के विधिक सलाहकर विधानसभा से भी बड़े हो गए हैं? यह वैधानिक संस्थाओं को नीचा दिखाने की कोशिश हो रही है। राहुल जी भी कहते हैं कि संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर करने का काम हो रहा है। हमारे सभी अधिकारी इस बात के विरोध में थे कि फिर से जवाब देना है। ऐसी कोई संवैधानिक व्यवस्था ही नहीं है।
बघेल ने आगे कहा कि आरक्षण संशोधन विधेयक विधानसभा से पास होने के बाद राजभवन में अटका हुआ है। राज्यपाल के पास यह अधिकार नहीं है कि वह इसपर सवाल पूछे, फिर भी मैंने राज्यपाल की जिद को ध्यान में रखकर प्रदेश की पौने तीन करोड़ जनता को आरक्षण का लाभ मिले यह सोचकर जवाब भेजे। राज्यपाल का इगो भी सैटिसफाई हो जाएगा। मगर अब राज्यपाल की ओर से कहा गया है कि परीक्षण करेंगे, कौन करेगा परीक्षण जो विधानसभा से बड़ा हो गया। हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट है परिक्षण के लिए, ये काम विधिक सलाहकार करेंगे ये तो दुर्भाग्य जनक है। इसलिए प्रदेश कांग्रेस कमेटी में सभी नेताओं ने फैसला किया है कि 3 जनवरी को बड़ी रैली निकाली जाएगी।
गौरतलब है कि इस माह के प्रथम सप्ताह में आयोजित छत्तीसगढ़ विधानसभा के विशेष सत्र में सरकार ने बहुमत से छत्तीसगढ़ लोक सेवा (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़ा वर्गों के लिए आरक्षण) संशोधन विधेयक और शैक्षणिक संस्था (प्रवेश में आरक्षण) संशोधन विधेयक पारित करवाया है। आरक्षण संशोधन विधेयकों के माध्यम से आदिवासी वर्ग-ST को 32 प्रतिशत , अनुसूचित जाति-SC को और अन्य पिछड़ा वर्ग-OBC को 27प्रतिशत आरक्षण का अनुपात तय हुआ है। सामान्य वर्ग के गरीबों को 4 प्रतिशत आरक्षण देने का भी प्रस्ताव है। सबको मिलाकर छत्तीसगढ़ में 76 फीसदी आरक्षण हो जाएगा। लेकिन विधेयक पर अब तक राज्यपाल के हस्ताक्षर नहीं होने से प्रदेश में राजनितिक तनाव बढ़ गया है।
क्या विधिक सलाहकार, विधान सभा से बड़ा है? pic.twitter.com/q6Y2AiF8B4
— Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) December 26, 2022