बिलासपुर। प्रदेश में अंगदान को लेकर दायर जनहित याचिका मंगलवार को हाईकोर्ट ने निराकृत कर दी। सुनवाई के दौरान शासन की ओर से बताया गया कि याचिका में उल्लेखित सारी मांगे मान ली गई हैं। नियम बनाकर नोटिफाई कर दिए, जिससे प्रदेश में 20 ट्रांसप्लांट भी हो चुके हैं।
उल्लेखनीय है कि याचिका पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट द्वारा दिए गए नोटिस के बाद ही शासन ने इस दिशा में कार्य शुरू कर दिया था। पिछली सुनवाई के पूर्व ही अगस्त 2022 में छत्तीसगढ़ में केडेवर ट्रांसप्लांट यानी मृतकों के अंगों के दान को राज्य शासन ने अनुमति दे दी है। तय प्रावधान के अनुसार अब राज्य में किडनी लीवर, लंग्स, हार्ट और पैंक्रियाज के अलावा मृत व्यक्ति की त्वचा जरूरतमंदों को मिल सकेगी। इससे उन लोगों को राहत मिलेगी जिन्हें मानव अंगों की जरूरत है। इसके लिए तकनीकी विशेषज्ञों की टीम ने प्रावधानों के अनुरूप ऐसे अस्पतालों का निरीक्षण कर चिन्हित भी किया है, जहां अंग प्रत्यारोपण की सुविधा है।
पिछले 16 अगस्त को जारी किया था आदेश
स्वास्थ्य संचालनालय ने 16 अगस्त को इस संबंध में आदेश जारी किया था। अब तक की व्यवस्था के अनुसार जीवित रहते हुए व्यक्ति अपने अंगदान का घोषणा पत्र भरकर स्वास्थ्य विभाग में जमा करता है।संबंधित व्यक्ति की मृत्यु के बाद उनके शरीर के विभिन्न अंगों को दान करने के लिए स्वजन की सहमति से अंग निकाले जाएंगे। साथ ही केडेवर ट्रांसप्लांट को लेकर शासन द्वारा अनुमति देने के बाद अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान रायपुर में ब्रेन डेथ कमेटी बनी है। कमेटी की अनुशंसा के बाद ही मृत व्यक्ति के विभिन्न् अंगों को निकालने और जरूरतमंदों को ट्रांसप्लांट करने की प्रक्रिया पूरी की जाएगी।
यह है मामला: बिलासपुर निवासी आभा सक्सेना ने वकील अमन सक्सेना के माध्यम से जनहित याचिका दायर कर छत्तीसगढ़ में केडेवर ट्रांसप्लांट की अनुमति मांगी थी। याचिकाकर्ता खुद लीवर की बीमारी से ग्रसित है। चिकित्सकों ने उनको लीवर ट्रांसप्लांट कराने की सलाह दी है। याचिकाकर्ता ने अपने अलावा छत्तीसगढ़ अलग-अलग अंगों की बीमारी से ग्रसित लोगों की जानकारी भी दी, जिनको ट्रांसप्लांट कराना है। जनहित याचिका की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने राज्य शासन केडेवर ट्रांसप्लांट (हादसों या अन्य तरह से मृत व्यक्तियों के अंगदान) को राज्य में अनुमति देने के संबंध में जानकारी मांगी थी। शासन के जवाब के बाद याचिका निराकृत कर दी गई।
250 से ज्यादा लोगों को है जरूरत: छत्तीसगढ़ में गंभीर बीमारी से ग्रसित 250 से ज्यादा मरीज ऐसे हैं जिनको ट्रांसप्लांट के लिए किडनी,लंग्स,लीवर व हार्ट की जस्र्रत है। इस तरह के अंग दो व्यक्ति ही दे सकते हैं। रक्त संबंधी या फिर ब्रेन डेड घोषित व्यक्ति। ब्रेन डेड व्यक्ति आठ अलग-अलग लोगों को जीवन दे सकता है।
12 साल बाद बन पाए नियम: केंद्र सरकार ने स्टेट ऑर्गन एंड टिशू ट्रांसप्लांट ऑर्गनाइजेशन (सोटो) को अप्रूव कर दिया है। साथ ही बजट का प्रावधान भी करते हुए सोटो को फंडिंग कर दी गई। स्टैंड ऑपरेटिंग प्रोसिजर (एसओपी) को भी अप्रूव कर दिया गया। इसके माध्यम से मरीज अपना रजिस्ट्रेशन करा सकेंगे। लेकिन प्रदेश में 12 साल में भी कुछ नहीं हो पाया था।