Friday, October 18, 2024
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सिस्टम का नंगापन और भ्रष्टाचार का चीरहरण: वरिष्ठ पत्रकार यशवंत गोहिल के सोशल मीडिया पोस्ट से…

 

यशवंत गोहिल (वरिष्ठ पत्रकार)
यशवंत गोहिल (वरिष्ठ पत्रकार)

छत्तीसगढ़ में बढ़ते अपराध और भ्रष्टाचार के बीच, सूरजपुर जिले में हाल ही में घटित एक भयानक घटना ने हमारे समाज के ताने-बाने को हिला कर रख दिया है। एक पुलिस अधिकारी की पत्नी और बेटी की निर्मम हत्या ने न केवल प्रशासनिक विफलता को उजागर किया है, बल्कि यह घटना भ्रष्टाचार की जड़ों की ओर भी इशारा करती है। वरिष्ठ पत्रकार यशवंत गोहिल की सोशल मीडिया पोस्ट ने इस विषय पर सटीक और क्रोधित प्रतिक्रिया व्यक्त की है, जिससे यह साफ हो जाता है कि इस घटना का संबंध केवल व्यक्तिगत हिंसा से नहीं, बल्कि एक विकृत और भ्रष्ट व्यवस्था से भी है।

गोहिल द्वारा उठाए गए बिंदु से स्पष्ट है कि अपराधियों को केवल उनके अपराध के लिए नहीं बल्कि उनके पीछे छिपे सिस्टम की भी जांच होनी चाहिए। इस घटना में, अपराधी सिर्फ एक व्यक्ति नहीं है जिसने हिंसा की, बल्कि वह पुलिस और प्रशासनिक तंत्र का एक उत्पाद है। इस व्यक्ति ने भ्रष्टाचार की सीढ़ियां चढ़कर खुद को इतना शक्तिशाली बना लिया कि कानून और व्यवस्था को ठेंगा दिखा सके।

यह एक सर्वविदित तथ्य है कि कोई भी अपराधी रातों-रात शक्तिशाली नहीं बनता। इसके पीछे सालों की मेहनत और रिश्वत की लंबी श्रृंखला होती है। भ्रष्टाचार ने अपराधियों को संरक्षण देकर उन्हें इतने बड़े पैमाने पर स्थापित किया है कि वे बिना डर के अत्याचार कर सकते हैं। जब अपराधी पुलिस और नेताओं को रिश्वत देकर अपनी पहुंच बढ़ाते हैं, तो वे कानून से ऊपर उठने लगते हैं। ऐसे में यह घटना सिर्फ एक हत्या नहीं, बल्कि एक प्रणालीगत चूक और भ्रष्टाचार का परिणाम है।

गोहिल ने सही सवाल उठाया है कि पुलिस को सिर्फ अपराध की जांच तक सीमित नहीं रहना चाहिए। उन्हें अपराधी की डायरी खंगालनी चाहिए, जिसमें उन अफसरों और नेताओं के नाम हो सकते हैं, जिन्होंने अपराधी को सुरक्षा प्रदान की। भ्रष्टाचार के इस दलदल से निकली जांच प्रणाली से सही न्याय की उम्मीद करना बेमानी है। पुलिस, जिसे समाज का रक्षक कहा जाता है, जब खुद अपराधियों के संरक्षणकर्ता बन जाए, तब न्याय की उम्मीद करना बेमानी है।

इस मामले में पुलिस और नेताओं की मिलीभगत को उजागर करना आवश्यक है। अपराधियों को संरक्षण देने वाले अधिकारियों के नाम सार्वजनिक किए जाने चाहिए ताकि जनता जान सके कि कौन से लोग अपराधियों को पाल-पोस कर इस स्थिति तक पहुंचाते हैं।

गोहिल का यह कहना कि पुलिस वालों के घर भी सुरक्षित नहीं हैं, एक गंभीर चेतावनी है। जब अपराधियों को सिस्टम का संरक्षण मिलता है, तो वे न केवल आम जनता बल्कि उन लोगों के लिए भी खतरा बन जाते हैं, जो उन्हें संरक्षण देते हैं। यह एक ऐसा चक्रव्यूह है, जिसमें शामिल सभी लोग अंततः इसकी चपेट में आ जाते हैं। समाज का कलुषित होना और न्याय व्यवस्था का ध्वस्त होना, भ्रष्टाचार के इस चक्र का परिणाम है।

इस घटना ने यह साबित कर दिया है कि पैसों के लिए संवेदनहीनता की हद तक जाने वाला सिस्टम, न केवल आम जनता के लिए खतरा है, बल्कि वह खुद भी इस पाप के फल से बच नहीं सकता। पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत से पनपने वाले अपराधियों के हाथ जब इतने बड़े हो जाते हैं कि वे किसी के घर में घुसकर हत्या कर सकते हैं, तब यह स्पष्ट हो जाता है कि सिस्टम नंगा हो चुका है। इस नंगापन को तभी खत्म किया जा सकता है जब हम समय रहते इसे सुधारने के लिए कठोर कदम उठाएं।

यह घटना सिर्फ एक हत्या नहीं, बल्कि हमारी पूरी व्यवस्था का आईना है। भ्रष्टाचार और अपराध के गठजोड़ ने समाज को बर्बादी के कगार पर ला खड़ा किया है। समय रहते अगर इन हाथों को काटा नहीं गया, तो नंगापन और बढ़ेगा, और यह पूरे समाज को तबाह कर देगा। हमें एक ऐसे समाज की आवश्यकता है, जहां अपराधी नहीं, बल्कि ईमानदार और न्यायप्रिय लोग ताकतवर हों। सिस्टम को सुधारने और उसे भ्रष्टाचार से मुक्त करने के लिए कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि इस तरह की घटनाएं दोबारा न हों।

यह लेख समाज के उस घातक ताने-बाने की ओर इशारा करता है, जो भ्रष्टाचार और अपराध के गठजोड़ से निर्मित हुआ है। इसे सुधारने के लिए हमें पूरी व्यवस्था को जड़ से हिलाने और ईमानदारी के सिद्धांतों पर आधारित प्रशासनिक ढांचे का निर्माण करना होगा।

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