Tuesday, March 25, 2025
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धार्मिक आस्था का केंद्र बना अनुरागी धाम मोतिमपुर: सहस्त्रधारा में मुख्य अतिथियों और संतों का जमावड़ा, श्रद्धालुओं पर बरसेंगी अमृत की बूंदे…

बिलासपुर। धर्म और आस्था की अनमोल परंपरा को संजोए हुए, मुंगेली जिले के सरगांव के निकट स्थित छोटा सा गांव मोतिमपुर इन दिनों श्रद्धालुओं के लिए एक प्रमुख केंद्र बन गया है। यह गांव न केवल आध्यात्मिकता का प्रतीक है बल्कि पर्यावरण, संस्कृति और अध्यात्म का संगम भी प्रस्तुत करता है। अनुरागी धाम में 29 दिसंबर 2024 से शुरू हुए 9 दिवसीय श्री अखंड नवधा रामायण समारोह का आज, 7 जनवरी 2025, को हवन, सहस्त्रधारा, कन्या भोज और विशाल भंडारे के साथ समापन हो रहा है।

श्री अखंड नवधा रामायण का महत्व
हर वर्ष की भांति इस बार भी मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की पावन स्मृति में संत शिरोमणि सच्चिदानंद सद्गुरु स्वामी अनुरागी जी के सान्निध्य में इस समारोह का आयोजन किया गया। प्रतिदिन विभिन्न मानस मंडलियों द्वारा नवधा रामायण का वाचन किया गया, जिसे सुनने के लिए आसपास के 40 से अधिक गांवों के श्रद्धालु बड़ी संख्या में एकत्रित हुए। इस कार्यक्रम ने ग्रामीण और शहरी आस्थावानों को एक सूत्र में बांधने का कार्य किया।

विशाल भंडारा और सहस्त्रधारा
समापन के अवसर पर आज सुबह कलश यात्रा और आरती के बाद सहस्त्रधारा का आयोजन हुआ। इसमें श्रद्धालुओं पर अमृत की बूंदें बरसाई गईं, जिससे भक्तों ने अपने आप को धन्य महसूस किया। दोपहर 1 बजे से विशाल भंडारे का आयोजन होगा, जिसमें 40 हजार से अधिक श्रद्धालुओं के शामिल होने की संभावना है। कन्या भोज और हवन के साथ इस भव्य आयोजन को और भी दिव्यता प्राप्त हुई।

विशेष अतिथियों और साधु-संतों का जमावड़ा
इस धार्मिक उत्सव में मुख्य अतिथि के रूप में बिल्हा विधायक धरमलाल कौशिक और बेलतरा विधायक सुशांत शुक्ला उपस्थित रहेंगे। इसके अलावा वृंदावन, चित्रकूट और रतनपुर जैसे धार्मिक स्थलों से साधु-संतों का आशीर्वाद समारोह को गौरवान्वित करेगा। देश-विदेश से आए श्रद्धालुओं, जिनमें मुंबई, दिल्ली, पुणे, गुजरात और ऑस्ट्रेलिया के भक्त भी शामिल हैं, ने इस उत्सव को एक वैश्विक स्वरूप प्रदान किया है।

अनुरागी धाम की विशेषताएं
अनुरागी धाम न केवल धार्मिक बल्कि प्राकृतिक सुंदरता और पर्यावरण संरक्षण का भी केंद्र है। यहां के गार्डन, नदियों का संगम और रंग-बिरंगे फूलों की बगिया आगंतुकों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। ग्रामीण संस्कृति और मेले का संगम यहां की परंपरा को जीवंत बनाता है।

समिति और अनुयायियों की भूमिका
कार्यक्रम की सफलता के पीछे समिति के सभी पदाधिकारियों, सदस्यों और बाबा अनुरागी जी के अनन्य भक्तों का अथक परिश्रम है। इस आयोजन ने न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक एकता को भी सुदृढ़ किया है।

समापन के साथ नई शुरुआत
हर वर्ष की तरह इस बार भी यह आयोजन श्रद्धालुओं के लिए एक अलौकिक अनुभव लेकर आया। श्रद्धा और भक्ति से ओतप्रोत इस समारोह ने सभी उपस्थित जनों के दिलों में एक नई ऊर्जा और उत्साह का संचार किया है। आने वाले वर्षों में यह स्थल और भी भव्यता और दिव्यता के साथ भक्तों के जीवन को आलोकित करेगा।

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