Friday, April 25, 2025
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छत्तीसगढ़ सरकार का बड़ा फैसला: रजिस्ट्री के साथ ही होगा जमीन का ऑटोमैटिक नामांतरण, फर्जीवाड़े पर लगेगी लगाम…

रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने जमीन की खरीदी-बिक्री प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। अब प्रदेश में जमीन की रजिस्ट्री होते ही उसका नामांतरण (म्यूटेशन) अपने आप हो जाएगा। इस प्रक्रिया को आसान और स्वचालित बनाने के लिए राज्य सरकार ने हाल ही में एक गजट नोटिफिकेशन जारी किया है। इस फैसले से न सिर्फ भूमि स्वामियों को राहत मिलेगी, बल्कि जमीन से जुड़े फर्जीवाड़ों पर भी काफी हद तक अंकुश लगेगा।

नामांतरण की पुरानी प्रक्रिया अब इतिहास

अब तक प्रदेश में जमीन की खरीद-बिक्री के बाद संबंधित पक्ष को तहसीलदार के समक्ष नामांतरण हेतु आवेदन करना पड़ता था। तहसीलदार के कोर्ट में सुनवाई और अन्य औपचारिकताएं पूरी करने के बाद ही नामांतरण की प्रक्रिया पूरी होती थी। यह प्रक्रिया लंबी, समय लेने वाली और कई बार भ्रष्टाचार से ग्रस्त रही है।

नए नियमों के तहत रजिस्ट्रार को मिलेगा अधिकार

राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव अविनाश चंपावत के हस्ताक्षर से जारी गजट नोटिफिकेशन के अनुसार, छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता, 1959 की धारा 24(1) के अंतर्गत सरकार ने नामांतरण के अधिकार तहसीलदार से लेकर रजिस्ट्रार और सब-रजिस्ट्रार को सौंप दिए हैं। इसका अर्थ यह हुआ कि रजिस्ट्री के समय ही संबंधित संपत्ति का नामांतरण अपने आप हो जाएगा।

किसानों और आम नागरिकों को होगी बड़ी राहत

इस फैसले से खासकर किसानों को बड़ी राहत मिलेगी, जो जमीन के बंटवारे के बाद नामांतरण न होने के कारण सरकारी योजनाओं और समर्थन मूल्य जैसे लाभों से वंचित रह जाते थे। अब जमीन खरीदी के साथ ही उसका स्वामित्व दस्तावेजों में भी दर्ज हो जाएगा, जिससे बैंकों और अन्य सरकारी दस्तावेजों में वास्तविक मालिक का नाम जुड़ सकेगा।

फर्जीवाड़े पर लगेगी लगाम

राज्य में अक्सर जमीन की फर्जी रजिस्ट्री कराकर नामांतरण भी करवा लिया जाता था, जिससे असली मालिकों को भारी नुकसान उठाना पड़ता था। इस नई व्यवस्था के लागू होने से ऐसे फर्जीवाड़े पर लगाम लगेगी, क्योंकि पूरी प्रक्रिया अब ज्यादा पारदर्शी और डिजिटल होगी।

छत्तीसगढ़ सरकार का यह कदम भूमि प्रशासन में सुधार और नागरिकों को सुगमता से सेवाएं प्रदान करने की दिशा में एक सराहनीय पहल है। इससे न केवल जमीन संबंधी विवाद कम होंगे, बल्कि भ्रष्टाचार और अवैध कब्जों पर भी रोक लगेगी। उम्मीद की जा रही है कि इस नई व्यवस्था से प्रदेश में भूमि प्रबंधन का एक नया अध्याय शुरू होगा।

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