बिलासपुर (छत्तीसगढ़) बिलासपुर से पुलिस विभाग की छवि को धूमिल करने वाला एक बड़ा मामला सामने आया है। कोटा थाना क्षेत्र में रहने वाली एक महिला पिछले चार महीने से अपनी नाबालिग बेटी के लापता होने के बाद से दर-दर भटक रही थी। पुलिस से मदद की आस लगाए मां ने कई बार थाने के चक्कर लगाए, लेकिन इंसाफ मिलने के बजाय उसे एक ऐसी परिस्थिति का सामना करना पड़ा जिसने कानून के रखवालों की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए।
जानकारी के मुताबिक, कोटा थाना में पदस्थ एएसआई हेमंत पाटले ने पीड़िता को यह बताया कि उसकी बेटी का लोकेशन राजस्थान में मिला है। बेटी को वापस लाने के लिए भारी खर्चे का हवाला देते हुए एएसआई ने महिला से 30 हजार रुपये की मांग की। मजबूर मां ने अपनी हैसियत से 20 हजार रुपये भी एएसआई को दे दिये, लेकिन इसके बाद भी बच्ची की बरामदगी नहीं हो सकी।
पूरा मामला तब उजागर हुआ जब एएसआई हेमंत पाटले द्वारा परिजनों से रकम मांगते हुए एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। इस वीडियो में साफ तौर पर देखा जा सकता है कि थाने में पदस्थ अधिकारी पीड़िता से रकम मांग रहा है। वीडियो वायरल होते ही बिलासपुर पुलिस विभाग में हड़कंप मच गया।
घटना को गंभीरता से लेते हुए बिलासपुर एसएसपी रजनेश सिंह ने कार्रवाई करते हुए एएसआई हेमंत पाटले को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर रक्षित केंद्र, बिलासपुर में अटैच कर दिया। एसएसपी ने स्पष्ट रूप से कहा कि पुलिसकर्मियों का प्रथम कर्तव्य पीड़ितों को न्याय दिलाना और उनकी मदद करना है, न कि उनकी मजबूरी का फायदा उठाना। विभागीय आदेश में एएसआई पर अपने पदीय कर्तव्यों के प्रति निष्ठाहीनता एवं ईमानदारी की अवहेलना का आरोप लगाते हुए उसे पुलिस रेग्युलेशन में निहित सेवा शर्तों के उल्लंघन का दोषी पाया गया।
इस घटना ने एक बार फिर से पुलिस व्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जहां एक ओर पुलिस विभाग छवि सुधारने के प्रयास कर रहा है, वहीं कुछ अधिकारी अपने आचरण से पूरे विभाग की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचा रहे हैं।
फिलहाल, पीड़िता अब भी अपनी बेटी की बरामदगी की आस लगाए बैठी है। पुलिस विभाग द्वारा इस मामले में आगे क्या कदम उठाए जाएंगे, इस पर पूरे क्षेत्र की निगाहें टिकी हुई हैं।