Wednesday, April 30, 2025
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दुर्लभ बीमारी से जूझ रही नवजात को मिला नवजीवन – श्री शिशु भवन की चिकित्सकीय टीम ने रचा चमत्कार…

बिलासपुर, 29 अप्रैल 2025: बिलासपुर के समीपवर्ती सारंगढ़ क्षेत्र के ग्राम बिलाईगढ़, मालदी में रहने वाले लोकेश यादव और मनीषा यादव की नवजात बेटी ने एक असंभव को संभव कर दिखाया है। जन्म के साथ ही दुर्लभ बीमारियों ट्रेकियोसो फ़ेजियल फिस्टुला (TEF) और डुयोडेनल एट्रेसिया (DA) से जूझ रही इस मासूम को श्री शिशु भवन की कुशल चिकित्सकीय टीम ने नवजीवन प्रदान किया।

जन्म के बाद ही आई सांस की तकलीफ: 04 अप्रैल 2025 को घर पर जन्म लेने वाली यह बच्ची जन्म के तुरंत बाद ही सांस लेने में तकलीफ महसूस कर रही थी और देर से रोने के कारण झटके भी आने लगे थे। मात्र 2 किलोग्राम वज़न की इस नवजात की गंभीर स्थिति को देखते हुए परिजनों ने 05 अप्रैल को उसे श्री शिशु भवन, ईदगाह रोड, मध्य नगरी चौक में भर्ती कराया।

दुर्लभतम स्थिति – दोनों बीमारियां एक साथ: श्री शिशु भवन के वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. श्रीकांत गिरी ने बताया कि नवजात को TEF और DA दोनों बीमारियां एक साथ थीं – जो कि अत्यंत दुर्लभ स्थिति है। आंकड़ों के अनुसार, TEF की संभावना लगभग 5000 में एक और DA की संभावना 10,000 में एक होती है। जब ये दोनों बीमारियां एक ही शिशु में पाई जाती हैं, तो बचने की संभावना मात्र 20% रह जाती है।

जटिल सर्जरी – दो चरणों में जीवन रक्षक ऑपरेशन

डॉ. श्रीकांत गिरी, डॉ. अनुराग कुमार, डॉ. रवि द्विवेदी, डॉ. रोशन शुक्ला, डॉ. प्रणव अंधारे, डॉ. मोनिका जयसवाल और डॉ. मेघा गोयल की टीम ने मिलकर दो चरणों में इस जटिल सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम दिया।
पहला ऑपरेशन 07 अप्रैल और दूसरा ऑपरेशन 08 अप्रैल को हुआ। ऑपरेशन के बाद नवजात को 17 दिनों तक वेंटिलेटर पर रखा गया और दूध ट्यूब के माध्यम से दिया गया। धीरे-धीरे नवजात की स्थिति में सुधार होता गया और वह अब पूर्णतः स्वस्थ है।

24 दिन बाद लौटी मुस्कान

आज 24 दिनों के इलाज के बाद नवजात अपनी मां के साथ कमरे में है और सामान्य रूप से स्तनपान कर रही है। यह न केवल उस परिवार के लिए बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए आशा की किरण है।

परिवार का आभार और चिकित्सकों की सराहना

नवजात के माता-पिता ने भावुक होकर श्री शिशु भवन और पूरी चिकित्सा टीम का हृदय से आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “अगर समय पर हम श्री शिशु भवन नहीं पहुंचते तो शायद हमारी बच्ची आज जीवित न होती।”

श्री शिशु भवन – सेवा और समर्पण का प्रतीक

यह मामला न केवल चिकित्सा विज्ञान की सफलता है, बल्कि श्री शिशु भवन की सेवा भावना और समर्पण का जीवंत उदाहरण भी है। इस सफलता से कई अभिभावकों को उम्मीद की नई रोशनी मिली है।

यह जानकारी श्री शिशु भवन के प्रबंधक श्री नवल वर्मा द्वारा दी गई।

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