Sunday, November 16, 2025
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हाईटेक नकल कांड: ‘मुन्ना भाई एमबीबीएस’ के बाद अब ‘मुन्नी बहन’! कॉलर कैमरा और वॉकी-टॉकी से सिविल इंजीनियरिंग परीक्षा में नकल…

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में प्रतियोगी परीक्षाओं की शुचिता एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गई है। PWD सिविल इंजीनियरिंग की परीक्षा के दौरान एक महिला परीक्षार्थी द्वारा हाईटेक तरीक़े से नकल करने की घटना सामने आई है। इस तकनीकी नकल ने न केवल प्रशासन को हैरान कर दिया, बल्कि परीक्षा प्रणाली की पारदर्शिता पर भी गंभीर प्रश्नचिह्न खड़े कर दिए हैं।

घटना बिलासपुर शहर के राम दुलारे स्कूल परीक्षा केंद्र की है, जहां एक महिला परीक्षार्थी — जिसे अब लोग ‘मुन्नी बहन’ कहकर पुकार रहे हैं — को कॉलर में बेहद बारीकी से छिपाए गए माइक्रो कैमरे और वॉकी-टॉकी ईयरपीस के साथ पकड़ा गया। जांच में सामने आया कि महिला परीक्षार्थी कैमरे की मदद से प्रश्नपत्र की तस्वीरें बाहर भेज रही थी। वहीं, परीक्षा केंद्र के बाहर एक ऑटो में बैठा उसका सहयोगी प्रश्न हल कर वायरलेस डिवाइस के जरिए उसे उत्तर बता रहा थी।

इस संदिग्ध गतिविधि की सूचना मिलते ही NSUI के कार्यकर्ताओं ने त्वरित कार्रवाई करते हुए मामले का पर्दाफाश किया। उन्होंने महिला परीक्षार्थी को रंगे हाथ पकड़कर परीक्षा केंद्र की निगरानी टीम को सौंपा और बाद में पुलिस को बुलाकर पूरे प्रकरण की जानकारी दी।

पुलिस ने मौके से इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस, संदिग्ध ऑटो वाहन और महिला परीक्षार्थी को कब्जे में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है। प्रारंभिक जांच में यह भी सामने आया है कि इस प्रकार की तकनीकी नकल एक संगठित गिरोह का हिस्सा हो सकती है, जो परीक्षा देने के बदले पैसे लेकर दूसरे लोगों की मदद करता है।

प्रशासन और परीक्षा बोर्ड की भूमिका पर सवाल

यह घटना न केवल तकनीकी सुरक्षा के लिहाज़ से चिंता बढ़ाने वाली है, बल्कि परीक्षा आयोजन प्रक्रिया की खामियों को भी उजागर करती है। सुरक्षा जांच में ऐसे उपकरणों का प्रवेश कैसे हुआ? निगरानी में लगी टीमों की सतर्कता पर भी गंभीर सवाल उठते हैं।

परीक्षा में इस प्रकार की हेराफेरी से न केवल मेहनती और ईमानदार अभ्यर्थियों का भविष्य खतरे में पड़ता है, बल्कि सरकारी सेवाओं में अयोग्य लोगों के चयन की आशंका भी पैदा होती है।

NSUI की मांग

घटना के सामने आने के बाद NSUI कार्यकर्ताओं ने दोषियों पर कड़ी कार्रवाई, गिरोह के पूरे नेटवर्क की जांच, तथा भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए परीक्षा केंद्रों में बायोमैट्रिक सत्यापन और इलेक्ट्रॉनिक डिटेक्शन तकनीक लागू करने की मांग की है।

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