बिलासपुर। कांग्रेस पार्टी के लिए यह दिन काफी तनावपूर्ण साबित हुआ जब बिलासपुर के जिला कांग्रेस कार्यालय में नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव की तैयारी बैठक के दौरान विवाद उत्पन्न हो गया। बैठक का उद्देश्य था आगामी चुनावों के लिए रणनीति बनाना और संगठन को एकजुट करना, लेकिन प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज की मौजूदगी में ही कांग्रेस के दो वरिष्ठ नेताओं के बीच तीखी बहस ने पार्टी के अंदरुनी मतभेद को उजागर कर दिया।
सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस प्रभारी सुबोध हरितवाल और पूर्व महापौर राजेश पांडेय के बीच बातचीत के दौरान तीखी बहस छिड़ गई। दोनों नेताओं के बीच मतभेद काफी बढ़ गए, जिससे माहौल गरम हो गया। इस तू-तू मैं-मैं की स्थिति ने पूरे संगठन के सामने पार्टी की एकजुटता पर सवाल खड़े कर दिए। विवाद को शांत करने के लिए कोटा विधायक अटल श्रीवास्तव को हस्तक्षेप करना पड़ा, जिन्होंने दोनों पक्षों के बीच सुलह कराई। हालांकि, इस प्रकार की घटनाएं आगामी चुनावों में पार्टी की तैयारियों पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं।
यह घटना प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज की मौजूदगी में घटी, जो बिलासपुर में पार्टी की चुनावी तैयारियों की देखरेख के लिए आए थे। दीपक बैज को इस मुद्दे को संभालने में सक्रिय भूमिका निभानी पड़ी। हालांकि, सुलह होने के बाद बैज तुरंत रायपुर के लिए रवाना हो गए, लेकिन इस घटना ने नेतृत्व की चुनौती और संगठन के भीतर एकजुटता की कमी को उजागर किया है।
नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव की तैयारी बैठक में इस प्रकार का हंगामा पार्टी के अंदर व्याप्त असंतोष को दर्शाता है। जब पार्टी को आगामी चुनावों के लिए एकजुट होकर काम करना चाहिए, ऐसे विवाद उसकी संभावनाओं को नुकसान पहुँचा सकते हैं। यह स्थिति उन कार्यकर्ताओं के लिए भी हतोत्साहित करने वाली हो सकती है जो पार्टी की जीत के लिए मेहनत कर रहे हैं।
कोटा विधायक अटल श्रीवास्तव ने मध्यस्थता करते हुए दोनों नेताओं के बीच सुलह कराई, जिससे मामला शांत हुआ। अटल श्रीवास्तव की यह भूमिका पार्टी के भीतर उनकी सुलह कराने की क्षमता और नेतृत्व गुणों को दर्शाती है। हालांकि, यह भी देखा जाना बाकी है कि इस सुलह से पार्टी के भीतर के तनाव कितने समय तक दबे रहेंगे और यह घटना भविष्य में चुनावी रणनीति को कैसे प्रभावित करेगी।
इस प्रकार की घटनाएं न केवल नेतृत्व के लिए चुनौतीपूर्ण होती हैं, बल्कि यह संगठन की आंतरिक स्थिति को भी कमजोर कर सकती हैं। ऐसे समय में, जब कांग्रेस को आगामी चुनावों में अपने प्रदर्शन को सुधारने की आवश्यकता है, पार्टी के भीतर अनुशासन और एकजुटता का महत्व और भी बढ़ जाता है। अगर इस प्रकार के विवाद लगातार होते रहे तो पार्टी को न केवल चुनावी नुकसान हो सकता है, बल्कि संगठनात्मक ढांचे को भी गंभीर क्षति पहुँच सकती है।