बिलासपुर: छत्तीसगढ़ में 108 एंबुलेंस सेवा की जर्जर हालत को लेकर हाई कोर्ट ने गंभीर रुख अपनाया है। न्यायालय के संज्ञान में यह मामला तब आया जब एक रिपोर्ट में बताया गया कि कई एंबुलेंस जर्जर स्थिति में हैं, उनकी स्पीड धीमी हो चुकी है, सीटें फटी हुई हैं और कई गाड़ियां लगभग अनुपयोगी हो गई हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, साल 2019 से संचालित एंबुलेंसों की हालत बिगड़ती जा रही है। नियमों के मुताबिक, 3 लाख किलोमीटर से अधिक चल चुकी गाड़ियों को बंद किया जाना चाहिए, लेकिन अधिकांश 108 एंबुलेंसों के माइलेज मीटर ही काम नहीं कर रहे। इन गाड़ियों का नियमित निरीक्षण भी नहीं किया जा रहा, जिससे इनके फिटनेस पर सवाल उठ रहे हैं।
न केवल एंबुलेंसों की स्थिति खराब है, बल्कि इनमें मौजूद फर्स्ट एड बॉक्स, दवाइयां और उपकरण भी मॉनिटर नहीं किए जा रहे। कई मामलों में मियाद पूरी कर चुकी दवाइयां एंबुलेंसों में पाई गई हैं, जो मरीजों को स्वास्थ्य शिविरों के दौरान दी जा रही हैं।
प्रशासन की उदासीनता
इस मामले में जब स्वास्थ्य विभाग के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) डॉ. प्रमोद तिवारी से सवाल किया गया, तो उन्होंने बताया कि 108 एंबुलेंस की निविदाएं राज्य स्तर पर जारी होती हैं, और फिटनेस सर्टिफिकेट कौन देता है, इसकी उन्हें जानकारी नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि वे इस मामले में 108 वाहन प्रबंधक से चर्चा करके ही कुछ बता सकते हैं।
न्यायालय की सख्त टिप्पणी
न्यायालय ने इस स्थिति को अत्यंत गंभीर और जनहित से जुड़ा विषय माना और सवाल उठाया कि जब कानून के तहत हर वाहन का फिटनेस सर्टिफिकेट अनिवार्य है, तो 108 एंबुलेंसों को इससे छूट कैसे दी जा सकती है? न्यायालय ने चिंता जताई कि यदि किसी दुर्घटना पीड़ित को जर्जर एंबुलेंस में ले जाया जाए और वाहन बीच रास्ते में खराब हो जाए, तो मरीज की स्थिति का अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है।
न्यायालय का आदेश
इस स्थिति को देखते हुए न्यायालय ने छत्तीसगढ़ सरकार के स्वास्थ्य एवं सामाजिक कल्याण विभाग के सचिव को निर्देश दिया है कि वे व्यक्तिगत हलफनामा प्रस्तुत करें। इसमें यह जानकारी दी जाए कि:
- राज्य में कुल कितनी 108 एंबुलेंस संचालित हैं और प्रत्येक जिले में उनकी स्थिति क्या है?
- क्या ये एंबुलेंस न्यूनतम आवश्यक सुविधाओं को पूरा करती हैं?
- क्या इन वाहनों को चलाने के लिए पर्याप्त चालक उपलब्ध हैं?
अगली सुनवाई
न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 14 फरवरी 2025 निर्धारित की है और राज्य सरकार से स्पष्ट जवाब मांगा है।
108 एंबुलेंस सेवा आम जनता के लिए जीवनरक्षक सेवा है, लेकिन इसके रखरखाव में घोर लापरवाही और प्रशासनिक उदासीनता सामने आई है। न्यायालय का यह सख्त रुख उम्मीद जगाता है कि जल्द ही इस पर आवश्यक सुधारात्मक कदम उठाए जाएंगे, ताकि आपातकालीन चिकित्सा सेवाएं सुचारु रूप से जारी रह सकें।