बिलासपुर में कांग्रेस भवन के अंदर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के सामने हुई गाली-गलौज और बवाल का मामला इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। 27 नवंबर 2024 को हुई इस घटना में पूर्व महापौर राजेश पाण्डेय और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महामंत्री सुबोध हरितवाल के बीच तनावपूर्ण स्थिति पैदा हो गई थी, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ। इस विवाद के बाद जिला शहर कांग्रेस कमेटी ने राजेश पाण्डेय को कारण बताओ नोटिस जारी किया है और उनसे स्थिति पर स्पष्टीकरण मांगा गया है।
यह विवाद कांग्रेस भवन में एक बैठक के दौरान हुआ, जिसमें कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के समक्ष प्रदेश महामंत्री और शहर प्रभारी सुबोध हरितवाल की मौजूदगी में पूर्व महापौर राजेश पाण्डेय के साथ तीखी बहस छिड़ गई। बहस इतनी बढ़ गई कि बात गाली-गलौज तक पहुंच गई। बैठक के बाद दोनों नेताओं के बीच टकराव और बढ़ गया, जिसके बाद दोनों ने एक दूसरे पर अपशब्दों का इस्तेमाल किया।
इस विवाद का वीडियो भी सामने आया, जिसे किसी व्यक्ति ने बैठक के दौरान रिकॉर्ड कर लिया था। यह वीडियो जैसे ही सोशल मीडिया पर आया, कांग्रेस के भीतर की आंतरिक कलह और अनुशासनहीनता सार्वजनिक रूप से उजागर हो गई। वीडियो में दोनों नेताओं के बीच हुए अपशब्दों का आदान-प्रदान स्पष्ट रूप से देखा और सुना जा सकता है, जो संगठन की छवि के लिए हानिकारक साबित हुआ।
विवाद के बाद जिला शहर कांग्रेस कमेटी ने राजेश पाण्डेय को कारण बताओ नोटिस जारी किया है, जिसमें उनसे पूछा गया है कि इस अनुशासनहीन आचरण पर वह क्या सफाई देना चाहते हैं। पार्टी ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए उनसे तुरंत जवाब मांगा है।
प्रदेश कांग्रेस में इस प्रकार की घटना न केवल संगठन की एकता और अनुशासन पर सवाल खड़े करती है, बल्कि इसे आगामी चुनावों के लिहाज से भी पार्टी के लिए नुकसानदेह माना जा रहा है। हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब कांग्रेस के अंदरूनी विवाद सार्वजनिक रूप से सामने आए हैं, लेकिन इस घटना ने पार्टी के भीतर नेतृत्व और अनुशासन संबंधी सवालों को और बढ़ा दिया है।
अब देखना यह है कि इस विवाद का कांग्रेस के प्रदेश और जिला स्तर पर क्या प्रभाव पड़ता है और पार्टी इस मामले को किस तरह से हल करती है। फिलहाल, कांग्रेस कमेटी ने दोनों पक्षों से विवाद के संबंध में जानकारी प्राप्त करने के बाद आगामी कार्रवाई करने का संकेत दिया है।
इस प्रकार की घटनाओं से कांग्रेस संगठन की छवि और कार्यशैली पर सवालिया निशान खड़े होते हैं, खासकर तब जब पार्टी आने वाले समय में कई महत्वपूर्ण चुनावों की तैयारी कर रही है। पार्टी को इस विवाद से उबरने के लिए आंतरिक अनुशासन और संवाद पर विशेष ध्यान देना होगा।
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