बिलासपुर के कांग्रेस भवन में छत्तीसगढ़ कांग्रेस के भीतर एक अप्रत्याशित विवाद सामने आया, जब पीसीसी चीफ की उपस्थिति में पूर्व मेयर राजेश पांडेय और जिला प्रभारी सुबोध हरितवाल के बीच तीखी नोकझोंक और गाली-गलौच की घटना हुई। इस घटनाक्रम के बाद कांग्रेस पार्टी के भीतर अनुशासन और आंतरिक संरचना पर गंभीर प्रश्न खड़े हो गए हैं।
मामला उस समय गंभीर हुआ जब जिला एवं शहर कांग्रेस अध्यक्ष विजय पांडेय ने अनुशासनहीनता के आरोप में पूर्व मेयर राजेश पांडेय को नोटिस जारी किया। इस नोटिस में उनसे 24 घंटे के भीतर स्पष्टीकरण मांगा गया है। इसका उद्देश्य पार्टी के भीतर हो रहे विवादों को सुलझाना और अनुशासन बनाए रखना है। लेकिन यह घटना कांग्रेस के लिए एक बड़ी चुनौती बनकर उभरी है, खासकर उस वक्त जब छत्तीसगढ़ में चुनावी तैयारियां जोरों पर हैं।
नोटिस मिलने के बाद पूर्व मेयर राजेश पांडेय ने जिला प्रभारी सुबोध हरितवाल पर दुर्व्यवहार का आरोप लगाया और कहा कि हंगामे की शुरुआत उनके द्वारा की गई थी। पांडेय का कहना है कि प्रभारी का मुख्य कर्तव्य होता है कार्यकर्ताओं की समस्याओं को सुनना और उन्हें उचित समाधान प्रदान करना, लेकिन यहां ऐसा नहीं हो रहा था। उन्होंने पार्टी के भीतर पूंजीवाद और असमानता की ओर भी इशारा किया, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि कांग्रेस के भीतर भी कुछ वैचारिक मतभेद हैं।
पांडेय ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा, “जैसे बीजेपी में पूंजीवाद हावी है, वैसे ही हमारी पार्टी में भी ऐसा हो सकता है।” उनका यह बयान न केवल पार्टी के आंतरिक संकट को उजागर करता है, बल्कि कांग्रेस की मौजूदा स्थिति पर भी सवाल खड़ा करता है।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता अभय नारायण राय ने इस घटना पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यह घटना कांग्रेस की साख को चोट पहुंचाने वाली थी, खासकर तब जब यह पीसीसी चीफ की उपस्थिति में हुई। “यह पार्टी के अनुशासन और संगठनात्मक ढांचे के लिए एक गंभीर झटका है,” उन्होंने कहा। राय के अनुसार, इसी कारण से पूर्व मेयर को नोटिस जारी किया गया है, ताकि पार्टी की गरिमा को बनाए रखा जा सके और ऐसे भविष्य के विवादों से बचा जा सके।
यह घटना छत्तीसगढ़ कांग्रेस में बढ़ते आंतरिक तनाव और मतभेदों की ओर संकेत करती है। एक ओर जहां पार्टी के वरिष्ठ नेता आगामी चुनावों की रणनीति पर काम कर रहे हैं, वहीं इस तरह के विवाद पार्टी की एकजुटता पर प्रश्नचिह्न लगाते हैं। इससे साफ होता है कि पार्टी के भीतर कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों पर असहमति और विचारधारात्मक मतभेद मौजूद हैं, जो भविष्य में कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती बन सकते हैं।
बिलासपुर कांग्रेस भवन में हुई यह घटना पार्टी के अनुशासन और संगठनात्मक ढांचे पर एक गहरी चोट के रूप में देखी जा रही है। यह विवाद न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर भी कांग्रेस की छवि को प्रभावित कर सकता है। ऐसे में, पार्टी नेतृत्व को इन आंतरिक मतभेदों को सुलझाने के लिए सख्त कदम उठाने होंगे, ताकि आने वाले चुनावों में कांग्रेस एकजुट होकर अपने राजनीतिक लक्ष्यों को हासिल कर सके।