मोपका के विवादित खसरों पर कलेक्टर ने लिया कड़ा निर्णय: जाँच के लिए 17 सदस्यीय टीम का गठन
बिलासपुर। जिले के मोपका क्षेत्र में स्थित विवादित खसरा नंबर 992 और 993, जो पहले छोटे-बड़े झाड़ियों वाले जंगल के रूप में दर्ज थे, के अवैध पट्टा वितरण और बिना सक्षम अधिकारी की अनुमति के भूमि विक्रय की शिकायतों ने प्रशासन का ध्यान खींचा है। इन शिकायतों पर कलेक्टर बिलासपुर ने तत्काल कार्रवाई करते हुए अतिरिक्त कलेक्टर आर. ए. कुरुवंशी की अध्यक्षता में 17 सदस्यीय जाँच दल का गठन किया है।
शिकायतें मुख्यतः इस बात को लेकर हैं कि उक्त खसरों की सरकारी जमीन को अवैध रूप से पट्टों में विभाजित किया गया और बाद में छोटे-छोटे टुकड़ों में बेचा गया। इन कार्यों में बिना किसी वैधानिक अनुमति के सरकारी दस्तावेजों की अनदेखी की गई। शिकायतों में कहा गया है कि यह प्रक्रिया न केवल सरकारी नियमों का उल्लंघन है, बल्कि इसमें भूमि स्वामित्व के संदर्भ में भी गड़बड़ियां हुई हैं।
जाँच टीम का कार्यक्षेत्र
कलेक्टर द्वारा गठित जाँच टीम को इन खसरों से संबंधित शासकीय दस्तावेजों की गहन पड़ताल करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
टीम इन बिंदुओं पर काम करेगी:
1. भूमि स्वामित्व की पुष्टि: वर्तमान भूमि स्वामियों से दस्तावेज प्राप्त कर उनकी वैधता की जाँच।
2. सरकारी दस्तावेजों का सत्यापन: खसरों की वास्तविक स्थिति और स्वामित्व इतिहास की पुष्टि।
3. शिकायतकर्ताओं और संबंधित पक्षों का पक्ष सुनना: क्षेत्रीय निवासियों और शिकायतकर्ताओं से संबंधित जानकारी एकत्रित करना।
अतिरिक्त कलेक्टर आर. ए. कुरुवंशी ने एक सार्वजनिक अपील जारी करते हुए हितधारकों से आग्रह किया है कि यदि किसी व्यक्ति के पास खसरों के स्वामित्व या किसी दावे से संबंधित दस्तावेज हैं, तो वे 10 जनवरी 2024 तक तहसील कार्यालय, बिलासपुर में जमा कर सकते हैं। यह कदम सुनिश्चित करेगा कि जाँच प्रक्रिया निष्पक्ष और पारदर्शी हो।
इस मामले में जिला प्रशासन की तत्परता दर्शाती है कि सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जे और गड़बड़ियों को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। कलेक्टर का यह निर्णय पारदर्शिता और न्याय सुनिश्चित करने के लिए एक सकारात्मक कदम है।
मोपका के निवासियों ने प्रशासन की इस कार्रवाई का स्वागत किया है। स्थानीय लोगों का मानना है कि इस जाँच से भूमि विवादों का समाधान होगा और क्षेत्र में अवैध गतिविधियों पर रोक लगेगी।