Wednesday, February 5, 2025
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नागरिक सुरक्षा मंच ने पूछा अरपापार की उपेक्षा कब तक? नगर निगम का दर्जा दिलाए जाने की मांग, “वादा निभाओ आंदोलन” की तैयारी…

बिलासपुर नगर निगम चुनावों की सरगर्मी जोरों पर है, और हर दल के प्रत्याशी वादों के पुलिंदे के साथ जनता के बीच पहुंच रहे हैं। लेकिन अरपापार की जनता के दिलों में एक ही सवाल गूंज रहा है—”क्या हमें पृथक नगर निगम का दर्जा मिलेगा या फिर सिर्फ आश्वासनों का बोझ?”

अरपापार, जहां बिलासपुर नगर निगम के 22 वार्ड आते हैं, लंबे समय से अपने अधिकारों की मांग करता आ रहा है। 2023 के विधानसभा चुनावों में बिलासपुर विधायक अमर अग्रवाल ने अपने घोषणा पत्र में वादा किया था कि यदि वे विजयी होते हैं तो अरपापार को नगर निगम का दर्जा दिलाया जाएगा। चुनावी सभाओं में इस मुद्दे को ज़ोर-शोर से उठाया गया, और जनता ने उन पर विश्वास जताते हुए उन्हें अरपापार क्षेत्र से भारी मतों से लीड दिलाई। लेकिन अब, सवा साल बीत चुका है, और नगरीय निकाय चुनाव भी हो रहे हैं, पर अरपापार की जनता को अपना हक़ अभी तक नहीं मिला।

अरपापार की जनता अब यह महसूस कर रही है कि उनके साथ धोखा हुआ है। चुनावी वादों को सुनकर उन्होंने विधायक को समर्थन दिया, लेकिन अब जब उनकी आवाज़ उठाने का समय आया तो सब चुप हैं। जनता नेताओं को सिर आंखों पर बिठाना जानती है, लेकिन उन्हें ज़मीन पर उतारने में भी देर नहीं लगाती।

नागरिक सुरक्षा मंच के संयोजक एवं अरपापार की इस मांग को तीन दशकों से उठाने वाले नेता अमित तिवारी ने इस मामले में विधायक और सरकार से सवाल किया है। उनका कहना है कि “जिस मांग को विधायक ने अपने चुनाव प्रचार में प्रमुखता से रखा था, उसी पर अब उनकी चुप्पी क्यों?” यह चुप्पी जनता की उपेक्षा को दर्शाती है, और इसका असर नगरीय निकाय चुनावों में देखने को मिलेगा।

अरपापार के लोगों ने अब ठान लिया है कि वे इस बार केवल आश्वासन से संतुष्ट नहीं होंगे। चुनाव के तुरंत बाद ‘वादा निभाओ आंदोलन’ की शुरुआत की जाएगी। जनता ने स्पष्ट संकेत दे दिया है कि इस बार उन्हें ठगना आसान नहीं होगा।

यह चुनाव केवल सीटों की लड़ाई नहीं, बल्कि जनता के धैर्य और नेताओं की विश्वसनीयता की परीक्षा है। अगर अरपापार को अब भी उपेक्षित रखा गया, तो इसका खामियाजा सत्ता पक्ष को भुगतना पड़ेगा।

अरपापार की जनता अब ठान चुकी है—”क्या हुआ तेरा वादा, अब नहीं सहेंगे उपेक्षा ज्यादा!” यह चुनाव न केवल स्थानीय विकास के लिए अहम है, बल्कि यह भी तय करेगा कि जनता के हक़ की आवाज़ कब तक अनसुनी की जाएगी। अब देखना यह है कि नेता अपने वादों पर खरे उतरते हैं या फिर जनता अपने फैसले से उन्हें सबक सिखाती है।

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