“मेक इन इंडिया” की पहली स्कार्पीन सबमरीन कलवरी नेवी में इंडक्टेड , जल्द होगी समुद्र में तैनाती
मोदी सरकार ने भारतीय नौसेना को उसकी पहली स्कार्पीन क्लास की सबमरीन कलवरी दे दी है. गुरुवार को मझगांव डॉक शिपब्युल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) ने नौसेना को सबमरीन हैंडओवर कर दिया है. इस सबमरीन का निर्माण मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट के तहत हुआ है और बहुत जल्द ही सबमरीन को भारतीय नौसेना में शामिल किया जाएगा.
बता दें कि भारतीय सबमरीन ऑपरेशंस के पचासवें साल को गोल्डेन जुबली के तौर पर मनाया जा रहा है. इसके लिए फ्रांस की डीसीएनएस और एमडीएल के बीच अक्टूबर 2005 में टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के लिए समझौता हुआ था.
कलवरी का नाम हिंद महासागर में पाई जाने वाली खतरनाक टाइगर शार्क के नाम रखा गया है. नौसेना की परंपरा के मुताबिक शिप और सबमरीन के सेवामुक्त होने पर उन्हें दोबारा अवतरित किया जाता है. वैसा ही कलवरी के साथ भी हुआ.
पहली कलवरी 8 दिसंबर 1967 में भारतीय नौसेना में शामिल हुई थी और यह भारत की पहली सबमरीन भी थी. इसे 31 मार्च 1996 को 30 साल की राष्ट्रसेवा के बाद भारतीय नौसेना से रिटायर किया गया. एक सच्ची नॉटिकल परंपरा के मुताबिक कलवरी का फिर से अवतरण होगा. स्कार्पीन सबमरीन एक बार फिर से समुद्र की गहराई में राष्ट्र के नौसैनिक हितों की रक्षा के लिए कुलांचे भरेगी.
कितनी ताकतवर है स्कार्पीन सबमरीन कलवरी
– सबमरीन कलवरी में स्टेट ऑफ आर्ट टेक्नोलॉजी का उपयोग किया गया है.
– कलवरी एडवांस्ड साइलेंसिग टेक्निक से लैस है.
– शोर और ध्वनि को कम रखने के लिए सबमरीन में रेडिएटेड टेक्नोलॉजी का उपयोग किया गया है.
– कलवरी को हाइड्रो-डॉयनामिकली ऑप्टिमाइज्ड शेप दिया गया है.
– ये सबमरीन दुश्मनों पर अपने घातक हथियारों से हमला करने में सक्षम है.
– कलवरी टारपीडो और ट्यूब तरीके से एंटी-शिप मिसाइल का इस्तेमाल कर सकती है.
क्या है स्कार्पीन सबमरीन कलवरी की ताकत
स्कार्पीन सबमरीन को इस तरह डिजाइन किया गया है कि यह कई तरह के अभियानों में हिस्सा ले सकती है. जैसे एंटी सरफेस वॉर, एंटी सबमरीन वॉर, इंटेलिजेंस इकट्ठा करना, माइंस बिछाना और एरिया सर्विलांस जैसे काम है. कलवरी सभी तरह के थियेटर में काम कर सकती है. इसका मतलब ये है कि नौसैनिक टास्क फोर्स के साथ मिलकर यह काम कर सकती है.
जनवरी 2017 में सबमरीन खांदेरी हुई लॉन्च
कलवरी के निर्माण के साथ एमडीएल ने सबमरीन के कॉम्लेक्स ऑर्ट में अपनी महारत साबित कर दी है. भारत अब सबमरीन बनाने वाले देशों में अपनी जगह मजबूत कर चुका है. एमडीएल ने दूसरी स्कार्पीन खांदेरी बनाई थी और इसे जनवरी 2017 में लॉन्च किया गया था. खांदेरी का अभी समुद्र में ट्रायल चल रहा है.
इसी साल लॉन्च होगी तीसरी सबमरीन करंज
एक तीसरी स्कार्पीन करंज को इसी साल के आखिर में लॉन्च किया जाएगा. हालांकि डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस प्रोडक्शन के प्रोत्साहन और सहयोग के बिना स्कार्पीन प्रोजेक्ट का इतनी सफलता हासिल कर पाना आसान नहीं था. यह याद रखे जानी वाली बात है कि एमडीएल की बनाई दो एसएसके सबमरीन राष्ट्रसेवा में लगी हुई हैं.