मुंगेली..संजय जायसवाल
लोगों को शुद्ध खाद्य पदार्थ मिले इसके लिए 2006 में नया फूड सेफ्टी स्टैंडर्ड एक्ट बना।लागू करने में पांच साल (2011) निकल गए। नियम कड़ा है। उसके बाद भी तोड़ा जा रहा है। हर माह विभाग को 30 सैंपल लेने त्योहार के सीजन में रफ्तार तेज करने आदेश हैं। मगर खाद्य विभाग मुंगेली केवल खानापूर्ती कर रही खाद्य पदार्थ बनाने, स्टोर में रखने के लिए रजिस्ट्रेशन लाइसेंस लेना होता है। खाद्य पदार्थ तैयार करने वाले सर्व करने वाले बेचने वालों को हर छह माह में मेडिकल करवाना जरूरी है। मगर इस नियम का पालना नहीं हो रहा। गंदगी दूषित माहौल में मिठाई अन्य खाद्य पदार्थ तैयार किया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग फूड सेफ्टी अधिकारी अपने ही कार्यों में व्यस्त है। मुंगेली जिले में लगभग 300सौ के आसपास दुकाने होंगी हैं जिला बनने के बाद 5 साल में लोगो ने रजिस्ट्रेशन कराने में रुचि नही दिखाई है।नियम तो ये है कि
अपनी घर के रसोई जैसी सफाई होनी चाहिए: फूडसेफ्टी स्टैंडर्ड एक्ट के मुताबिक फूड की हाइजेनिक कंडीशन अच्छी होनी चाहिए। जहां पर खाद्य पदार्थ तैयार किया रहा है, वहां पर अपनी रसोई की तरह सफाई होनी चाहिए। ऊपर छत स्थान हवादार (काफी जगह) होना चाहिए। मिट्टी, धूल नहीं होनी चाहिए। साफ पानी का यूज होना चाहिए। इस काम से जुड़े व्यक्ति के शरीर पर कपड़ा, सिर पर कैप, हाथों में ग्लव्ज होना जरूरी है। होटल, रेस्त्रां, मिठाई की दुकान के अलावा फूड सेफ्टी एक्ट किराने की दुकान पर भी लागू होते हैं। वहां पर कोई दाल, आटा, बेसन, गुड़, शक्कर अन्य सामान खुले में नहीं रखा जा सकता। क्योंकि खुले होने के कारण इस सामान में चूहे, मक्खी, मच्छर कॉकरोच घूमते रहते हैं। दालें चावल को छोड़कर अन्य को पानी से साफ नहीं किया जा सकता।
त्योहारी सीजन को देखते हुए सैंपल का टारगेट मिलता है, उसी के हिसाब से सैंपल लिए जाते है। अनसेफ फूड बेचने पर केस दर्ज हो सकता है.अनसेफफूड जैसे नकली माल, जानलेवा हो सकता है। दुकान, होटल, रेस्त्रां फूड सेफ्टी के अधीन है।खाद्यपदार्थ की गुणवत्ता चेक करने या घटिया सामग्री बेचने वालों पर कार्रवाई के लिए आप खुद भी सैंपल ले सकते हैं। इसके लिए सामान का बिल, दुकानदार के समक्ष सैंपल उसके साइन लेने जरूरी है। उसके बाद आप स्वास्थ्य विभाग फूड सेफ्टी विभाग के अलावा घटिया खाद्य पदार्थ लोगों को बेचने वालो पर कार्यवाही करा सकते है। इनकी है जिम्मेदारी खाद्यसुरक्षा और स्टैंडर्ड एक्ट सेक्शन 31 (1) के मुताबिक कोई भी व्यक्ति बिना फूड सेफ्टी लाइसेंस, रजिस्ट्रेशन के खाने-पीने से संबंधित कोई बिजनेस नहीं चला सकता। खाद्य पदार्थ बेचने, बनाने स्टोर करने वालों को रजिस्ट्रेशन, टर्न ओवर के मुताबिक लाइसेंस देना, इस काम से जुड़े लोगों को मेडिकल चेक करना स्वास्थ्य विभाग फूड सेफ्टी विभाग के अधिकारियों का काम है।पर इन सारे नियमो को ताक में रखकर नगर व जिले के गिने चुने हॉटल को छोड़ कर बाकी होटलों में अव्यवस्था का आलम है। गुणवत्ताहीन खाद्य सामग्री पर्याप्त साफ सफाई नही होने और दूषित पानी के कारण लोगो को तरह तरह की बीमारी हो रही हैै।इस ओर अगर खाद्य विभाग द्वारा संज्ञान लिया जाएगा तो नगर में कई ऐसे होटल है जहाँ महीनों सालो से पानी की टँकी की ठीक से सफाई भी नही की गई होगी । नगर में प्रतिष्ठित होटलें है जो फिल्टर पानी सहित गुणवत्ता का ध्यान रखते है।लेकिन उन होटलों का भगवान ही मालिक है जहाँ टेपनल या बोर के पानी को संग्रहित करके रखते है जो कई दिनों के पुराने पानी भी हो सकते है। गुणवत्ता सुधारने में ध्यान दिया जाए तो लोग बीमार नही होंगे। बावजूद इसके ना जाने क्यों जिला खाद्य विभाग इनके ऊपर मेहरबान है या ये कहे उन्हें किसी बड़े अनहोनी का इंतजार है .गुणवत्ताहीन खाद्य सामग्री का यह आलम है कि अधिकतर दुकानों में एक्सपायरी डेट निकल जाने के बाद कि भी सामग्री धड़ल्ले से खाद्य विभाग की मेहरबनी से बेची जा रही है अशुद्ध पानी का प्रयोग होना चिन्तनीय है जिसके चलते फुट पाइजिंग पीलिया,या अन्य बीमारी की चपेट में आना स्वाभाविक है।खाद्य विभाग दीपावली त्योहार के कुछ दिन पूर्व अपनी टीम के साथ निकलेंगे और खाना पूर्ति करते हुए कुछ सेम्पल लिए जाएंगे जिसका जांच रिपोर्ट कब आएगा इस बारे में कोई नही जानता खाद्य विभाग खाना पूर्ति कर जांच के लिए भेज दिया जाता है। ऐसे लोग प्रशासन की कुर्सी पर बैठ कर सिर्फ मुफ्त में वेतन पा रहे है।और लोगो की जिंदगी से खेल रहे है।