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कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने 1984 के सिख विरोधी दंगों में शामिल लोगों को सजा का किया समर्थन

(ताज़ाख़बर36गढ़) कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने 1984 के सिख विरोधी दंगों को ”बेहद दुखद त्रासदी बताया और कहा कि वे किसी के भी खिलाफ किसी भी तरह की हिसा में शामिल लोगों को सजा देने का ”100 प्रतिशत समर्थन करते हैं। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके सिख अंगरक्षक द्बारा हत्या के बाद 1984 में हुए दंगों में करीब 3,000 सिख मारे गए थे। उस समय केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी।

ब्रिटेन की 2 दिवसीय यात्रा पर आए गांधी ने ब्रिटेन के सांसदों और स्थानीय नेताओं की सभा में कल कहा कि यह घटना त्रासदी थी और बहुत दुखद अनुभव था लेकिन उन्होंने इससे असहमति जताई कि इसमें कांग्रेस शामिल थी। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि किसी के भी खिलाफ कोई भी हिसा गलत है।

भारत में कानूनी प्रक्रिया चल रही है लेकिन जहां तक मैं मानता हूं उस समय कुछ भी गलत किया गया तो उसे सजा मिलनी चाहिए और मैं इसका 100फीसदी समर्थन करता हूं। उन्होंने कहा कि मेरे मन में उसके बारे में कोई भ्रम नहीं है। यह एक त्रासदी थी, यह एक दुखद अनुभव था।

आप कहते हैं कि उसमें कांग्रेस पार्टी शामिल थी, मैं इससे सहमति नहीं रखता। निश्चित तौर पर हिसा हुई थी, निश्चित तौर पर वह त्रासदी थी। बाद में प्रतिष्ठित लंदन स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स में एक सत्र के दौरान जब उनसे सिख विरोधी दंगों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि जब मनमोहन सिह ने कहा तो वह हम सभी के लिए बोले।

जैसा मैंने पहले कहा था कि मैं हिसा का पीड़ित हूं और मैं समझता हूं कि यह कैसा लगता है। वह वर्ष 1991 में लिट्टे द्बारा उनके पिता और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या का जिक्र कर रहे थे। गांधी ने कहा कि मैं इस धरती पर किसी के खिलाफ किसी भी तरह की हिसा के विरुद्ध हूं।

मैं परेशान हो जाता हूं जब मैं किसी को आहत होते देखता हूं। इसलिए मैं इसकी 100 प्रतिशत निदा करता हूं और मैं किसी के भी खिलाफ किसी भी तरह की हिसा में शामिल लोगों को सजा देने के 100 फीसदी समर्थन में हूं। उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने हिसा नहीं झेली है, उन्हें लगता है कि हिसा वही है जो फिल्मों में देखते हैं। कांग्रेस नेता ने कहा, ”ऐसा नहीं है।

मैंने उन लोगों को मरते देखा है जिन्हें मैं बहुत प्यार करता था। मैंने उस व्यक्ति (प्रभाकरन) को भी मरते देखा जिसने मेरे पिता को मारा था। उन्होंने कहा कि जब मैंने जाफना (श्रीलंका) के तट पर प्रभाकरन को मृत देखा तो मुझे उसके लिए दुख हुआ क्योंकि मैंने उसकी जगह अपने पिता को देखा और मेरी जगह उसके बच्चों को देखा। इसलिए जब आप हिसा से पीड़ित होते हो तो आप इसे समझते हो, यह पूरी तरह से आप पर असर डालती है। गांधी ने कहा कि ज्यादातर लोग हिसा को नहीं समझते जो खतरनाक बात है।

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