केंद्र सरकार के द्वारा लाए गए कृषि विधेयकों के खिलाफ देशभर में विरोध प्रदर्शन हो रहा है। इसमें खासकर दिल्ली, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब में किसानों का प्रदर्न उग्र हो रहा है। किसानों के इन प्रदर्शनों को विपक्षी राजनीतिक दलों का भी समर्थन मिल रहा है। कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता तो कृषि विधेयक के खिलाफ खुलकर सड़कों पर उतर आए हैं। ऐसे में आज (सोमवार) सुबह देश की राजधानी दिल्ली में राजपथ पर कृषि विधेयकों के खिलाफ कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने गुस्सा जाहिर करते हुए एक ट्रैक्टर में आग लगाकर अपना विरोध जताया।
कांग्रेस पार्टी ‘किसान मजदूर न्याय मार्च’ (#KisaanMazdoorNYAYMarch) के हैशटैग के साथ अपने विरोध प्रदर्शन को सोशल मीडिया पर भी चलाए हुए है। प्रमुख विपक्षी पार्टी का कहना है कि भाजपा सरकार अपने काले कानूनों से देश के किसानों पर प्रहार कर रही है। भाजपा के किसान विरोधी फैसलों ने किसानों को प्रताड़ित करने का काम किया है। भारत किसान विरोधी, मजदूर विरोधी, जनविरोधी भाजपा के खिलाफ खड़ा है।
वहीं दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश में प्रदर्शनकारी किसानों को हिरासत में लिए जाने को कांग्रेस ने तानाशाही करार दिया है। उसका कहना है कि किसान विरोधी काले कानूनों के खिलाफ आवाज बुलंद करने वालों को सरकार दबाने में लगी है। उप्र की योगी सरकार और हरियाणा की खट्टर सरकार शांतिपूर्वक प्रदर्शन के अधिकार को छीनकर संवैधानिक अधिकारों का हनन कर रही है।
कांग्रेस नेता सुनील जाखड़ ने कहा कि कृषि संबंधी इन काले कानूनों से किसानों की आत्महत्या बढ़ेगी। सरकार से अपील है कि किसान को मजदूर बनने से रोकिए, किसान को किसान ही रहने दीजिए। फसल की खरीद और फसल की कीमत की जिम्मेदारी सरकार की है। उन्होंने कहा कि भाजपा मंडीकरण को खत्म कर साहूकारों को खुली छूट दे रही है।
वहीं, हरियाणा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी सैलजा ने कहा कि कृषि मंत्रालय का पूरा नाम कृषि मंत्रालय एवं किसान कल्याण है लेकिन सरकार किसान के कल्याण की जिम्मेदारी निजी हाथों पर छोड़ना चाहती है। जब सरकार अपनी जिम्मेदारी से भागेगी तो हमारे मजदूर और कृषि क्षेत्र खत्म हो जाएगा। उन्होंने कहा कि भाजपा की किसान विरोधी नीति एमएसपी को खत्म करने की है, जिससे आढ़तियों और किसान का आपसी रिश्ता खत्म हो जाएगा। ऐसे में कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के माध्यम से किसान सिर्फ मजदूर बनकर रह जाएगा।
सूत्रों के अनुसार, किसानों के इस प्रदर्शन में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भी शामिल हो सकते हैं। पंजाब में जारी प्रदर्शनों के बीच राहुल गांधी वहां एक रैली को संबोधित कर सकते हैं। हालांकि अभी रैली की तारीख और जगह को अंतिम रूप नहीं दिया गया है। साथ ही पंजाब के बाद राहुल गांधी हरियाणा में किसानों के प्रदर्शन में भी शामिल होंगे।
उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार के द्वारा कृषि सुधार से जुड़े तीन विधेयक लाए गए, जिसमें मंडी एक्ट से लेकर अन्य कई मुद्दों पर बदलाव किया गया है। किसान संगठन और विपक्षी दल इसका विरोध कर रहे हैं। हालांकि इस विरोध का कोई असर नहीं हुआ। राष्ट्रपति ने संसद से पास हुए ‘कृषक उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक 2020’, ‘कृषक (सशक्तीकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020’ और ‘आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020’ पर हस्ताक्षर कर दिए हैं, जिसके बाद ये तीनों विधेयक अब कानून बन गए हैं।