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क्राइमसुप्रीम कोर्ट

फर्जी था हैदराबाद एनकाउंटर, पुलिस वालों पर चले हत्या का केस; पैनल ने सुप्रीम कोर्ट को सौंपी रिपोर्ट…

हैदराबाद में 2019 में महिला डॉक्टर से रेप और मर्डर के 4 आरोपियों को पुलिस ने एनकाउंटर में मार गिराने का दावा किया था। लेकिन इसे सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित किए गए पैनल ने फर्जी करार दिया है। पैनल ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट सौंपी और 2019 में हुई मुठभेड़ को फर्जी करार दिया। इसके साथ ही एनकाउंटर में शामिल 10 पुलिस अधिकारियों के खिलाफ हत्या का केस चलाए जाने की भी सिफारिश की। पैनल ने कहा कि पुलिस की ओर से दावा किया गया था कि रेप और हत्या के आरोपियों ने उनसे पिस्तौल छीन ली थी और भागने का प्रयास किया था, लेकिन ये गलत पाए गए हैं।

पैनल ने साफ कहा- पुलिस के दावों पर नहीं कर सकते यकीन

पैनल ने कहा कि पुलिस की ओर से किए गए दावों पर विश्वास नहीं किया जा सकता और मौके पर मिल सबूत भी इसकी पुष्टि नहीं करते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि पुलिसकर्मियों ने जानबूझकर गोलियां चलाई थीं और उन्हें पता था कि ऐसा करने पर उन लोगों की मौत भी हो सकती है। इसलिए यह एनकाउंटर फर्जी है और पुलिस के दावे गलत प्रतीत होते हैं। बता दें कि इसी साल जनवरी में जस्टिस सिरपुकर कमिशन ने सुप्रीम कोर्ट को इस एनकाउंटर के मामले में अपनी जांच रिपोर्ट सौंपी थी। यह रिपोर्ट सील लिफाफे में दी गई थी, जिसे लेकर अब जाकर खुलासा हुआ है।

टोल प्लाजा से डॉक्टर को किडनैप कर हुई थी दरिंदगी

बता दें कि 2019 में 27 साल की पशु चिकित्सक को किडनैप कर लिया गया था। इसके बाद उनके साथ रेप की वारदात को अंजाम दिया गया और उनकी हत्या कर शव को दरिंदे एक पुल के नीचे फेंक दिया था। उन्हें एक टोल प्लाजा के पास से किडनैप किया गया था। उनके शव को जला दिया गया था और सबूतों को मिटाने का प्रयास किया गया था। आरोपी मोहम्मद आरिफ, सी. चेन्नाकेशवुलु, जोलु शिवा और जोलु नवीन को पुलिस ने नवंबर 2019 में ही गिरफ्तार कर लिया था। इसके बाद 6 दिसंबर को इन लोगों का एनकाउंटर किए जाने की घटना उस वक्त सामने आई थी, जब पुलिस उन्हें सबूतों की तलाश में क्राइम सीन पर ले गई थी।

कोरोना और लॉकडाउन के चलते जांच रिपोर्ट में हुई देरी

पुलिस का कहना था कि आरोपियों ने पिस्तौल छीनकर भागने का प्रयास किया था। इसी दौरान एनकाउंटर में वे मारे गए। इस मुठभेड़ ने देश भर में चर्चा बटोरी थी। इसके बाद मामले की जांच के लिए एक कमिशन का गठन किया गया था। हालांकि जुलाई 2020 में कमिशन ने कहा था कि देश भर में लॉकडाउन लगा है। ऐसे में वह फिलहाल अपनी रिपोर्ट नहीं सौंप सकता है। उसे घटना की जांच के लिए कुछ और वक्त की जरूरत होगी।

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