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राज्यसभा चुनाव: 41 निर्विरोध चुने जाने के बाद 16 सीटों पर रण की तैयारी, 4 राज्यों में किसका पलड़ा भारी, समझें पूरा गणित…

राज्यसभा चुनाव को लेकर गहमागहमी का दौर जारी है। चुनाव में बस अब कुछ घंटे ही बचे हैं। इन राज्यसभा चुनावों के लिए 15 राज्यों में कुल 57 सीटों पर चुनाव होना था। इनमें नामांकन वापसी के अंतिम दिन 41 सदस्य निर्विरोध चुन लिए गए। अब सिर्फ 16 सीटों पर चुनाव होने जा रहा है। आइए जानते हैं कि इन 16 सीटों पर क्या गणित बैठ रही है और कौन भारी पड़ रहा है।

दरअसल, 16 सीटों के राज्यसभा चुनाव के लिए दस जून को चार राज्यों में मतदान होना है। इनमें महाराष्ट्र, राजस्थान, हरियाणा और कर्नाटक शामिल हैं। पार्टियों को हॉर्स ट्रेडिंग और क्रॉस वोटिंग का डर सता रहा है। उम्मीदवारों जोड़ तोड़ की राजनीति में जुटे हैं, तो पार्टियों ने अपने विधायकों को रिसॉर्ट में छिपा दिया है। विधायक इधर उधर न हों, इसके लिए कड़ी पहरेदारी भी हो रही है।

महाराष्ट्र में राज्यसभा चुनाव का समीकरण?

महाराष्ट्र में राज्यसभा की छह सीटों पर चुनाव है, जिनमें कांग्रेस और राकांपा के पास एक-एक सीट जीतने के लिए पर्याप्त संख्या है, जबकि भाजपा के पास दो सीटें जीतने के लिए पर्याप्त विधायक हैं। शिवसेना के पास एक उम्मीदवार को राज्यसभा भेजने के लिए पर्याप्त संख्या है। हालांकि, उसे अपने दूसरे उम्मीदवार का चुनाव सुनिश्चित करने के लिए अपने सहयोगियों और अन्य निर्दलीय उम्मीदवारों से 30 और वोटों की आवश्यकता है।

भाजपा अपने बूते दो सीट जीत सकती है। कांग्रेस, शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) एक-एक सीट अपने बूते जीत सकती है। साथ ही महाविकास अघाडी (एमवीए) में शामिल तीनों दलों के पास एक अन्य सीट जीतने के लिए अतिरिक्त वोट होंगे। शिवसेना अपनी दूसरी सीट जीतने के लिए इन्हीं वोटों पर निर्भर है।

राजस्थान में राज्यसभा चुनाव का गणित

यहां की चार सीटों के लिए सीधी फाइट है। कांग्रेस से तीन उम्मीदवार मुकुल वासनिक, रणदीप सुरजेवाला और प्रमोद तिवारी मैदान में हैं। तीनों उम्मीदवारों के लिए 123 विधायकों के वोट जरूरी हैं। बदले हालात में अगर तीन विधायकों के वोट भी इधर-उधर हो गए तो कांग्रेस के तीसरे उम्मीदवार की हार हो सकती है। कांग्रेस के पास खुद के 108 विधायक हैं। एक आरएलडी के सुभाष गर्ग हैं। 13 निर्दलीय, दो सीपीएम और दो बीटीपी विधायकों को मिलाकर कांग्रेस के पास 126 विधायकों के समर्थन का दावा है।

वहीं बीजेपी के समर्थन से निर्दलीय उम्मीदवार सुभाष चंद्रा भी मैदान में हैं। चंद्रा को 11 वोटों की जरूरत होगी। चंद्रा को बीजेपी के 30 सरप्लस और आरएलपी के तीन विधायको के वोट मिल सकते हैं।

हरियाणा में चुनाव का गणित

हरियाणा में दो सीटों के लिए राज्यसभा चुनाव होना है। कार्तिकेय शर्मा ने यहां मुकाबला दिलचस्प बना दिया है। शर्मा को बीजेपी का समर्थन भी मिला हुआ है। उन्हें जीतने के लिए 31 वोट चाहिए। वे कांग्रेस के अजय माकन के लिए चुनौती बन गए हैं। वहीं माकन के लिए जीत तभी संभव है जब 31 कांग्रेस विधायकों में से कम से कम 30 विधायको के वोट उन्हें मिलें। वहीं चर्चा ये हो रही है कि पार्टी के तीन विधायकों ने अपने सभी ऑप्शन खुले रखे हैं। ऐसे में बारगेनिंग और क्रॉसवोटिंग की पूरी संभावना बन रही है। इधर कार्तिकेय के दुष्यंत चौटाला की जेजेपी के 10 विधायकों और बीजेपी के 10 बचे विधायकों के वोट मिलने की पूरी संभावना है।

कर्नाटक का क्या है गणित?

कर्नाटक में चार सीटों पर राज्यसभा चुनाव होना है। पहले माना जा रहा था कि यहां आसानी से चारों उम्मीदवारों को जीत मिल जाएगी। लेकिन कांग्रेस ने प्रदेश महासचिव मंसूर अली को अपना दूसरा उम्मीदवार बनाकर पेंच फंसा दिया। इसके बाद बीजेपी ने भी मौजूदा एमएलसी लहर सिंह को अपना तीसरा उम्मीदवार बनाया है। 224 सीटों वाली कर्नाटक विधानसभा में एक राज्यसभा सीट जीतने के लिए 45 विधायक चाहिए। कांग्रेस के पास 70 विधायक हैं, लेकिन पार्टी ने जयराम रमेश और मंसूर अली खान को मैदान में उतारा है।

काग्रेस को दूसरी सीट के लिए 20 और वोट चाहिए। बीजेपी के पास 121 विधायक हैं। पार्टी ने निर्मला सीतारमण, कन्नड़ फिल्म अभिनेता जग्गेश और लहर सिंह को उम्मीदवार बनाया है। ऐसे में बीजेपी को 14 अतिरिक्त वोट चाहिए। जेडीएस के पास 32 विधायक हैं। जेडीएस ने डी कुपेंद्र रेड्डी को मैदान में उतारा है। रेड्डी को 13 और विधायकों को समर्थन चाहिए।

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