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बच्चा सोशल मीडिया (Social Media) पर ज्यादा एक्टिव है तो उसको जरूर समझाएं ये नियम…

सोशल मीडिया (Social Media) की दुनिया से आज-कल लगभग हर व्यक्ति परिचित है. सभी लोग सोशल मीडिया पर अपना काफी समय व्यतीत करते हैं. सोशल मीडिया की लत भी कुछ ऐसी है कि जिसको लग जाए तो दिन भर के न जाने कितने घंटे वह इसी में बर्बाद कर देता है. सोशल मीडिया का ट्रेंड आज-कल इतना बढ़ गया है कि बड़े लोग तो इसका इस्तेमाल करते ही हैं, साथ ही बच्चे भी इससे अछूते नहीं रह गए हैं. टेक सैवी बच्चे भी अपना काफी समय सोशल मीडिया पर बिताने लगे हैं.

बच्चों के लिए सोशल मीडिया संबंधी नियम

सोशल मीडिया का इस्तेमाल कुछ समय के लिए और एक सीमा तक तो ठीक है लेकिन अपना शारीरिक व मानसिक तौर पर नुकसान करके फोन, लैपटॉप या टैब पर सोशल मीडिया से जुड़े रहना कोई अच्छी बात नहीं है. खासतौर पर बच्चों के लिए एक लिमिट से ज्यादा टाइम इस पर वेस्ट करना बहुत नुकसानदायक हो सकता है. बच्चों का दिमाग और आंखें, दोनों ही कच्छी मिट्टी के समान होते हैं. इनको जिस आकार में ढाला जाए, ये उसी आकार में ढल जाते हैं. इसलिए सोशल मीडिया पर जरूरी नहीं कि बच्चा सब कुछ अच्छा ही देख रहा है. हो सकता है कि वहां पर उसको कुछ ऐसी चीजें मिल गई हों, जो उसके लिए सही न हों.

अगर आपका बच्चा भी सोशल साइट्स पर अपना प्रोफाइल बना चुका है और हर समय उसकी अपडेट देखने में बिजी रहता है तो उसको समझाएं. समझाने के अलावा एक और जरूरी काम है कि आप उसको सोशल मीडिया फॉलो करने से पहले कुछ गाइडलाइंस दें. इससे बच्चा इन गाइडलाइंस पर चलकर सोशल मीडिया को फॉलो तो करेगा लेकिन सोच-समझकर. तो आइए जानें वे गाइडलाइंस, जो सोशल मीडिया फॉलो करने से पहले आपको बच्चे को समझानी चाहिए.

पहले पूरे करें जरूरी काम

आज-कल एक ट्रेंड सा बन गया है कि हर कोई इस सोशल नेटवर्क से हर समय जुड़ा रहना चाहता है. अपने सारे जरूरी कामों को छोड़कर वह सोशल साइट्स पर टाइम बर्बाद करता रहता है. बात जहां बच्चों की आती है तो बच्चे भी इससे पीछे नहीं पाए गए हैं. बच्चे सोशल साइट्स से काफी प्रभावित होते नजर आ रहे हैं. इसलिए उनको समझाएं कि पहले अपने सभी जरूरी काम पूरा कर लें और अपनी पढ़ाई आदि पर पूरा ध्यान दें.

अपनी नींद पूरी करें

एक रिसर्च में पाया गया कि बच्चों को भी बार-बार अपनी सोशल साइट्स पर अपडेट देखने की बुरी लत पड़ जाती है. वे रात में जगकर भी सोशल साइट्स पर अपडेट देखते हैं, जिससे उनकी नींद पर बुरा प्रभाव पड़ता है. तो अगर बच्चा सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर भी रहा है तो आप उसे समझाएं कि अपनी नींद को पूरा करे. यह उसके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है.

सोशल मीडिया ने किया लोगों को अनसोशल

इस बात से तो कोई भी अनजान नहीं है कि सोशल नेटवर्किंग ने लाइक और कमेंट करना तो सिखा दिया है लेकिन लोगों को अनसोशल भी बना दिया है. आज-कल रिश्तों में दूरी बढ़ती जा रही है. किसी के पास किसी से मिलने जाने का समय नहीं है तो किसी के पास बैठकर सुख-दुख की बातें करने की भी फुर्सत नहीं है. लेकिन सोशल मीडिया पर टाइम देने की फुर्सत सभी को है. तो ऐसे में बात जब बच्चों की आती है तो आपका फर्ज बनता है कि बच्चों को अभी से यह बात बताएं कि सोशल मीडिया पर बिजी रहने के साथ ही वे सोशल होना भी न भूलें. वास्तविकता तो यह है कि रिश्ते करीब से महसूस किए जाते हैं, ये सोशल मीडिया की नजर से देखने की चीज नहीं है.

आपकी जानकारी हो सकती है लीक

सोशल मीडिया पर ज्यादा ऑनलाइन (Online) रहने से बच्चों को खतरा रहता है. कहीं वह अपनी किसी तरह की जानकारी ऐसी साइट्स पर न डाल दे, जिससे लीक होकर कोई अनजान व्यक्ति उसका फायदा उठा ले. ऐसे में बच्चे को आप अच्छे तरीके से समझाएं कि इस गाइडलाइन को वह हमेशा ध्यान में रखे. अपनी कोई भी निजी जानकारी सोशल साइट्स पर न डाले.

मोबाइल से होने वाले नुकसान के बारे में बताएं

सोशल मीडिया से जुड़ने की वजह से बच्चा काफी टाइम तक मोबाइल (Mobile) देखता रहेगा. मोबाइल लंबे समय तक देखने से उसको मोबाइल से निकलने वाली तरंगों से होने वाले खतरों के बारे में जरूर बताएं. मोबाइल के कई दुष्प्रभाव होते हैं, उनसे बच्चे को परिचित कराएं.

इंटरनेट उपलब्ध जानकारी के बारे में बताएं

अपने बच्चे को सोशल मीडिया और इंटरनेट पर उपलब्ध महत्वपूर्ण जानकारी के बारे में जरूर बताएं. इंटरनेट पर बच्चों से रिलेटेड काफी जानकारी उपलब्ध होती है जो उनका ज्ञान बढ़ाने का काम करती है. साथ ही सोशल मीडिया पर भी काफी कुछ जानकारी ऐसी होती है जो बच्चों के लिए काम की होती है. इंटरनेट और सोशल मीडिया के माध्यम से बच्चे अपने करंट अफेयर्स (Cureent Affairs) को मजबूत बना सकते हैं. अपने बच्चे को बताइए कि जब वह सोशल मीडिया पर बिजी हो तो उस समय कुछ ऐसी जानकारी ले, जो उसके लिए फायदेमंद हो.

सोशल साइट्स पर कैसे लोगों से जुड़ें

सोशल साइट्स पर हर तरह के लोगों से जुड़ना या उन्हें अपनी फ्रेंड लिस्ट (Friendlist) में शामिल करना कई बार बहुत रिस्की साबित होता है. इसलिए बच्चे को जरूर बताएं कि वह अनजान लोगों से दोस्ती न करे. अपने अच्छे जानकार लोगों को ही अपनी फ्रेंड लिस्ट में शामिल करे. इससे बच्चा किसी भी तरह की गलत संगत से बच जाएगा.

निजी जानकारी को सोशल न करे

कई बार आपने बड़े लोगों को भी देखा होगा कि कहीं घूमने जा रहे हैं, कहीं शॉपिंग कर रहे हैं, कहीं डिनर कर रहे हैं, तब भी वे अपनी पर्सनल डिटेल्स, आने-जाने की डिटेल्स, अपने बच्चों की डिटेल्स आदि सोशल साइट्स पर डाल देते हैं, जो कि गलत है. हो सकता है कि कोई गलत सोच के चलते आपका पीछा कर रहा हो या आपको कोई नुकसान पहुंचाना चाह रहा हो.

ऐसे में इन सोशल साइट्स के जरिए उसको बहुत मदद मिल जाएगी. इसीलिए अब आप खुद भी ऐसा न करें और अपने बच्चे को भी समझाएं कि अपनी किसी भी तरह की पर्सनल डिटेल भूलकर भी सोशल साइट्स पर न डाले. आपकी इस जानकारी को किसी भी गलत हाथ में पहुंचते देर नहीं लगेगी.

शारीरिक नुकसान से कराएं अवगत

एक सीमा तक सोशल मीडिया के माध्यम से कोई जानकारी लेना या उस पर एक्टिव रहना अच्छी बात है लेकिन लिमिट से ज्यादा टाइम देकर इससे अपना दिमाग, आंखों और नींद तीनों को नुकसान पहुंचाना होता है. जब ये दिक्कतें बड़ों तक को हो जाती हैं तो बच्चों को और भी ज्यादा नुकसान पहुंचने की आशंका रहती है. ऐसे में बच्चों को समझाएं कि वे अपने फोन और सोशल साइट्स की ओर ज्यादा ध्यान न लगाएं.

अपने बच्चे को सोशल मीडिया से जुड़ी ये बातें जरूर बताएं, जिससे वह समझदारी से काम ले. इससे आपको और आपके बच्चे को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचेगा.

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