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स्वास्थ्य

पानी पुरी के कारण बढ़ रहा टाइफाइड, शीर्ष स्वास्थ्य अधिकारी का चौंकाने वाला खुलासा…

मानसून के आने के साथ पानी की सफाई और मच्छरों से बचाव की कवायद शुरू हो जाती है। दूषित पानी और भोजन के कारण होने वाली बीमारी- टाइफाइड के लिए क्या “पानी पुरी” को जिम्मेदार (typhoid pani puri disease) माना जा सकता है ? अगर एक बड़े स्वास्थ्य अधिकारी की मानें तो पानी पुरी के कारण टाइफाइड फैलने की दर में तेजी आई है। मई में 2700 टाइफाइड केस सामने आने के बाद जून में 2752 टाइफाइड केस की रिपोर्ट के आधार पर स्वास्थ्य अधिकारी ने ये बयान दिया है। कुछ क्षेत्रों में पानी पुरी को गोलगप्पे और पड़ाकों जैसे रीजनल नामों से भी जाना जाता है। जानिए, कैसे मानसून के समय टाइफाइड और दूसरी बीमारियों से कैसे करें बचाव:

पानी पुरी से दूर रहने की सलाह

डॉ जी श्रीनिवास राव ने कहा, टाइफाइड पानी पुरी रोग है। सरकार मानसून के दौरान लोगों को स्ट्रीट फूड खासकर पानी पुरी से दूर रहने की सलाह दे रही है। डॉ राव ने कहा, पानी पुरी बेचने वाले लोगों को स्वच्छता सुनिश्चित करनी चाहिए। केवल सुरक्षित पेयजल का ही उपयोग करना चाहिए।

डायरिया के 6,000 से अधिक मामले

जानकारी के मुताबिक मानसून के पिछले कुछ हफ्तों में वायरल बुखार के मुख्य कारण दूषित पानी, भोजन और मच्छर हैं। इनसे संबंधित बीमारियों- मलेरिया, तीव्र डायरिया रोग (एडीडी) के मरीजों की संख्या बढ़ी है। डायरिया के 6,000 से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं। डेंगू के मामलों में भी तेजी देखी जा रही है।

Typhoid पानी पुरी के कारण बढ़ा ?

दरअसल, तेलंगाना में बढ़ते जलजनित रोगों के बारे में शीर्ष स्वास्थ्य अधिकारी डॉ जी श्रीनिवास राव ने कहा, मई में टाइफाइड के 2,700 मामले सामने आए। जून में टाइफाइड मरीजों की संख्या 2,752 थी। बता दें कि डॉ श्रीनिवास राव तेलंगाना में जन स्वास्थ्य निदेशक हैं। उन्होंने कहा, मानसून आने के साथ, तेलंगाना में टाइफाइड के मामले बढ़ गए हैं।

पानी के बैक्टीरिया से बीमारी !

बता दें कि टाइफाइड बुखार जीवाणु संक्रमण है। टाइफाइड दूषित भोजन या पानी में पनपने वाले बैक्टीरिया के कारण फैलता है। टाइफाइड के लक्षणों में लंबे समय तक तेज बुखार, पेट में तेज दर्द, सिरदर्द, दस्त या कब्ज और भूख कम लगना शामिल हैं। तुरंत इलाज नहीं होने पर थकान, पीली त्वचा, खून की उल्टी और यहां तक ​​कि आंतरिक रक्तस्राव जैसी गंभीर समस्याएं भी हो सकती हैं।

मानसून में मच्छरों का आतंक

भारत में मानसून की शुरुआत जून-जुलाई में होती है। इस दौरान टाइफाइड और पीलिया जैसे जल-जनित और खाद्य-जनित संक्रमण की रिपोर्ट अधिक आती है। दूषित भोजन या पानी में हानिकारक बैक्टीरिया और वायरस पाए जाते हैं। मच्छर काटने से होने वाली बीमारियों जैसे डेंगू और मलेरिया का खतरा भी बढ़ जाता है। ऐसे में इन बीमारियों से बचाव के बुनियादी उपाय जानना अहम है।

बीमारियों से ऐसे बचें

* खाना खाने से पहले और शौचालय का उपयोग करने के बाद अपने हाथ जरूर धोएं।

* बाजार, ऑफिस या कहीं बाहर से घर वापस लौटने के बाद भी हाथ जरूर धोएं।

* खांसी या छींक आए तो मुंह ढकें। नाक या आंखों को छूने से बचें।

* पीने से पहले पानी को उबालें।

* बाहर जाते समय, सुरक्षित बोतलबंद पानी को प्राथमिकता दें।

* अनजान जगहों पर खुले में रखा पानी पीने से बचें।

* अशुद्ध पानी दस्त का कारण बन सकता है।

* मानसून सीजन में पानी पुरी और दूसरी स्ट्रीट फूड खाने से बचें।

* चायवाले शुद्ध पानी का उपयोग कर रहे हों, इस बात की श्योरिटी होने पर ही चाय पीएं।

* ताजी सब्जियों और शुद्ध पानी का उपयोग कर घर पर ही फेवरेट स्नैक्स बनाना सबसे सुरक्षित ऑप्शन है।

* खाना बनाने से पहले हाथ जरूर धोएं। बर्तनों में भी सफाई का ध्यान रखें।

* बरसात के मौसम में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए मौसमी फल, सब्जियां और नट्स खूब खाएं।

मच्छर मुक्त वातावरण, बीमारियों को दूर भगाएं

* बारिश होने पर मच्छरों का आतंक बढ़ जाता है। बचने के लिए विशेषरूप से शाम के समय खिड़कियों और दरवाजों को बंद रखें।

* सोने से पहले या शाम को बाहर जाते समय मच्छर भगाने वाली क्रीम का इस्तेमाल भी किया जा सकता है।

* पैरों और बाहों को ढकने वाले कपड़े पहनें।

* घर में अनावश्यक पानी न जमने दें। इन जगहों पर मच्छरों का प्रजनन होता है। खास तौर पर डेंगू के मच्छर साफ पानी में होते हैं।

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