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बिलासपुर

’हर घर तिरंगा’ सबकी सहभागिता पर कलेक्टर ने दिया ज़ोर, भारतीय झंडा संहिता के तहत घर-घर में सम्मानपूर्वक फहराया जायेगा तिरंगा…

बिलासपुर। इस साल आजादी के 75 वें वर्षगांठ के मौके पर ’आजादी का अमृत महोत्सव’ मनाया जा रहा है। इसी कड़ी में हर नागरिक के मन में राष्ट्र और राष्ट्रीय ध्वज के प्रति सम्मान की भावना को और बढ़ाने के लिए ’हर घर तिरंगा’ कार्यक्रम ज़िले में भी आगामी 13 से 15 अगस्त तक मनाया जा रहा है।

कलेक्टर सौरभ कुमार ने आज इस संबंध में आयोजित बैठक में मातृभूमि के प्रति कृतज्ञता और राष्ट्रीयता की भावना को संवर्धित करने तिरंगा हर घर, शासकीय, अर्धशासकीय और निजी कार्यालयों, शैक्षणिक संस्थानों, व्यवसायिक-वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों, गैर सरकारी संगठनों के कार्यालयों में भी सम्मान के साथ फहराने के लिए सभी को प्रोत्साहित करने पर बल दिया। साथ ही इसमें ज़िले के सार्वजनिक उपक्रम, स्व सहायता समूह, सामाजिक संगठनों के सभी लोगों, परिवारजनों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने की अपील की है।

कलेक्टर सौरभ कुमार ने बताया कि जिले में स्व सहायता समूह की महिलाओं द्वारा झंडा निर्माण किया जा रहा है। फिलहाल स्व सहायता समूहों के ज़रिए 10 हज़ार झंडे तैयार किए जा रहे हैं। आगे मांग के अनुरूप और झंडे समूह तैयार करेगा। इस मौके पर कलेक्टर ने सभी से अपील की है कि राष्ट्र ध्वज के मानकों को ध्यान में रखते हुए सभी लोग राष्ट्र ध्वज फहराएं।

उन्होंने ’हर घर तिरंगा’ कार्यक्रम के दौरान यह सुनिश्चित करने कहा कि तिरंगा झंडा कटा-फटा ना हो। बताया गया है कि सरकार ने देश की झंडा संहिता में बदलाव किया है, इसके तहत अब तिरंगा दिन और रात दोनों समय फहराए जाने की अनुमति रहेगी। साथ ही अब पॉलिएस्टर और मशीन से बने राष्ट्रीय ध्वज का भी उपयोग किया जा सकता है।

गौरतलब है कि भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का प्रदर्शन, फहराना और उपयोग भारतीय झंडा संहिता, 2002 और राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम, 1971 के तहत आता है। भारतीय झंडा संहिता, 2002 में जुलाई 2022 के एक आदेश के जरिए संशोधन किया गया है और अब भारतीय झंडा संहिता, 2002 के भाग-दो के पैरा 2.2 के खंड (11) को अब इस तरह पढ़ा जाएगा ’जहां झंडा खुले में प्रदर्शित किया जाता है या किसी नागरिक के घर पर प्रदर्शित किया जाता है, इसे दिन-रात फहराया जा सकता है।’

इससे पहले तिरंगे को केवल सूर्याेदय से सूर्यास्त तक फहराने की अनुमति थी। इसी तरह झंडा संहिता के एक अन्य प्रावधान में बदलाव करते हुए कहा गया, ’राष्ट्रीय ध्वज हाथ से काता और हाथ से बुना हुआ या मशीन से बना होगा। यह कपास, पॉलिएस्टर, ऊन, रेशमी खादी से बना होगा।’ इससे पहले मशीन से बने और पॉलिएस्टर से बने राष्ट्रीय ध्वज के उपयोग की अनुमति नहीं थी।

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