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छत्तीसगढ़

स्थानीय परिस्थितियों के हिसाब से राज्य सरकारों को मिले अधिकार, मध्य क्षेत्रीय परिषद की बैठक में बोले CM भूपेश…

छत्तीसगढ़, मध्‍य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्‍ड अपनी भौगोलिक स्थिति, जीडीपी में योगदान और देश के विकास में महत्‍वपूर्ण रखते हैं। पहले इन चारों राज्‍यों को बीमारू राज्‍य माना जाता था, लेकिन अब यह सभी राज्‍य इससे बाहर निकलकर विकास की ओर तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। मध्‍य क्षेत्रीय परिषद राज्‍य देश में अनाज उत्‍पादन का प्रमुख केंद्र हैं। परिषद में शामिल राज्‍यों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के टीम इंडिया के कॉंसेप्‍ट को जमीन पर उतारा हैं। माओवाद प्रभावित क्षेत्र में नक्सली गतिविधियों पर अंकुश लगाने के साथ तेजी से विकास भी हो रहे हैं। उक्त बातें केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कही।

केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने सोमवार को भोपाल में मध्‍य क्षेत्रीय परिषद की 23वीं बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी शामिल हुए। वहीं उत्तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल वर्चुअल माध्‍यम से बैठक में शामिल हुए। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि स्थानीय परिस्थितियों के अनुरूप राज्य सरकारों को विकास के समुचित अधिकार दिए जाने चाहिए। गृहमंत्री अमित शाह ने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में अधिक विकास और पहले और दूसरे चरण में 4800 मोबाइल टावर लगाने की बात कही। छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने नक्सल प्रभावित बस्तर सहित प्रदेश के विकास को लेकर बात रखी।

बस्तर में पीएम सड़क बनाने का समय बढ़ाया जाना चाहिए

सीएम भूपेश बघेल ने नक्सल प्रभावित जिलों से संबंधित 14 शासकीय गैरवानिकी कामों के लिए 40 हेक्टेयर तक भूमि व्यपवर्तन का अधिकार को बहाल करने की मांग उठाई। सीएम ने बताया कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत निर्मित सड़कों में 426 पुल छूटे हुए हैं। नक्सल प्रभावित बस्तर संभाग में 154 सड़कें जिनकी लंबाई 562 किलोमीटर स्टेज-1 जीएसबी स्तर तक बन गई है। आगे की सड़क बनाने स्टेज-2 की अनुमति की आवश्यकता है। दोनों कार्यों की अनुमानित लागत 1700 करोड़ रुपये है, जिसे भी स्वीकृति प्रदान की जानी चाहिए। पीएम सड़क बनाने सितंबर-2022 की समय तय की गई है। नक्सल प्रभावित बस्तर संभाग की सड़कों को बनाने निर्धारित तय समय को आगे बढ़ाया जाना चाहिए।

नक्सल क्षेत्रों के प्रोजेक्ट को 8 माह में पूरा करना असंभव

सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि केंद्र सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा 20 जून 2022 को नक्सल प्रभावित क्षेत्र, बस्तर संभाग तथा राजनांदगांव क्षेत्र के अंतर्गत आरसीपीएलडब्ल्यूई योजना के तहत 624 करोड़ रुपये की 95 सड़कों एवं 63 पुलों की स्वीकृति सशर्त दी गई है। इन कार्यों को मार्च-2023 तक पूरा किया जाना है। ऐसा न होने पर मार्च-2023 के बाद सभी लागत को राज्य शासन द्वारा वहन करना पड़ेगा। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सभी कार्यों के लिए बारिश और टेंडर जारी करने के बाद किसी भी स्थिति में 8 माह में काम पूरा होना संभव नहीं है। ऐसे में सड़क निर्माण की अवधि मार्च-2024 तक बढ़ाया जाना चाहिए। सीएम ने स्वामी विवेकानंद एयरपोर्ट, रायपुर को ‘इंटरनेशनल एयरपोर्ट’ का दर्जा तथा सर्वसुविधायुक्त कार्गो हब बनाने की मांग रखी।

नक्सल क्षेत्र के 543 गांवों में नहीं बन पाए हैं शौचालय

नक्सल प्रभावित क्षेत्र के 543 ग्रामों में शौचालय निर्माण नहीं हो पाए हैं। इसे दुर्गम क्षेत्र मानते हुए प्रति शौचालय प्रोत्साहन राशि 12 हजार रुपये से बढ़ाकर 20 हजार रुपये करने की बात गृहमंत्री के सामने रखी गई। सीएम भूपेश ने छत्तीसगढ़ में केंद्रीय बलों की तैनाती पर खर्च सुरक्षा व्यय 11 हजार 828 करोड़ रुपये को भारत सरकार द्वारा राज्य पर बकाया दर्शाता गया है। इसे केंद्र सरकार द्वारा वहन करने की बात कही गई। बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ को गत वर्षों में केद्रीय करों की देय राशि में से 1 हजार 288 करोड़ रुपये का समायोजन किया गया है। राज्य को मिलने वाली राशि को इस तरह से समायोजित नहीं किया जाना चाहिए। 11 हजार 828 करोड़ रुपये की राशि छत्तीसगढ़ सरकार को वापस दिया जाना चाहिए। नक्सलवादी क्षेत्रों में केंद्रीय सुरक्षा बलों के 40 कैंप स्थापित किए गए हैं। हमने 15 अतिरिक्त केंद्रीय सशस्त्र बल की मांग की है, जिसमें ‘बस्तरिया बटालियन’ तथा ‘आईआर बटालियन’ शामिल है।

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