CG: पति की मौत के बाद अंतिम संस्कार से पीछे हटा परिवार और समाज, फिर पुलिस ने दिखाई मानवता…
पुलिस ने मानवता की ऐसी मिसाल पेश की है कि अब हर कोई तारीफ कर रहा है। कवर्धा जिले के ग्राम परसवारा निवासी रज्जू मरावी...
छत्तीसगढ़ के कवर्धा जिले में पुलिस ने मानवता की ऐसी मिसाल पेश की है कि अब हर कोई तारीफ कर रहा है। कवर्धा जिले के ग्राम परसवारा निवासी रज्जू मरावी की बीमारी के चलते मौत हो गई। लेकिन मौत के बाद रज्जू के शव को क्रिया कर्म करने के लिए ही तरसना पड़ गया। जिसके बाद पुलिस ने मानवता का परिचय दिया और रज्जू की पत्नी के माध्यम से उसका अंतिम संस्कार कराया गया।
रात भर मदद की गुहार लगाती रही पत्नी
दरअसल कवर्धा जिले पांडातराई थाना क्षेत्र के ग्राम बैगा टोला निवासी रज्जू मरावी जो कि वर्तमान में ग्राम परसवारा में निवासरत था, 50 वर्षीय रज्जू की मौत 7 सितंबर को गम्भीर बीमारी के चलते हो गई। उनके साथ घर में केवल उनकी पत्नी इंदिरा बाई विश्वकर्मा रहती थी। रज्जू की मौत के बाद शव के अंतिम संस्कार करने के लिए कोई भी व्यक्ति सामने नहीं आ रहे थे। जिसकी सूचना पर तत्काल थाना पांडातराई प्रभारी निरीक्षक जेएल शांडिल्य को दी गई।
परिजनो ने भी नहीं किया अंतिम संस्कार
पति रज्जू के बीमारी के दौरान घर में केवल उनकी पत्नी इंदिरा बाई विश्वकर्मा साथ रहती थी। रज्जू अपने घर से अलग रहता था। जब 50 वर्षीय रज्जू मरावी की मौत हुई तो इसकी सूचना उसके परिजनों को दी गई। मृतक रज्जू के शव के अंतिम संस्कार करने के लिए उसका एक भी परिजन सामने नहीं आया। पत्नी रोती बिलखती मदद की गुहार लगाती रात भर शव के पास बैठी रही।
पुलिस ने दिखाई मानवता, हो रही तारीफ
थाना प्रभारी ने घटना की जानकारी मिलते ही जिले के वरिष्ठ अधिकारियों को इसकी सूचना दी। जिस पर कबीरधाम पुलिस कप्तान डॉ. लाल उमेद सिंह ने पांडातराई थाना प्रभारी जे.एल. शांडिल्य के द्वारा थाना टीम के साथ ग्राम परसवारा पहुंच कर अंतिम संस्कार कराने के निर्देश दिये गए। जिसके बाद मृतक के शव का विधि विधान से पत्नी इंदिरा बाई के माध्यम से थाना प्रभारी, ग्राम पंचायत परसवारा के सरपंच प्रतिनिधि, ग्राम कोटवार की उपस्थिति में अंतिम संस्कार किया गया। पुलिस के इस मानवता की मिसाल पेश करने पर क्षेत्रवासियों ने पांडातराई पुलिस टीम की खूब सराहना की।
इसलिए समाज और परिवार ने बनाई थी दूरी
पुलिस को मिली जानकारी के अनुसार पता चला कि रज्जू के द्वारा 20 वर्ष पूर्व पहली पत्नी व बच्चों को छोड़कर दूसरी शादी कर दूसरी पत्नी के साथ रहने लगा था, जिसके कारण समाज के द्वारा उन्हें बहिष्कृत कर दिया गया था, इसी कारण कोई भी मृतक परिवार पक्ष से एवं उनकी दूसरी पत्नी के मायके पक्ष से उक्त मृत व्यक्ति के अंतिम संस्कार के लिए सामने नहीं आया। समाज के नियम के अनुसार कोई भी व्यक्ति अगर उनके सहयोग के लिए आता है तो उसे भी समाज से बहिष्कृत कर दिया जाता। जिससे उनकी पत्नी रातभर गांव में पति के मृत्यु के पश्चात शव रखकर रोती बिलखती रही।