बिलासपुर। सिरगिट्टी पुलिस ने ऑपरेशन प्रहार के तहत एक हत्या के आरोपी को चंद घंटों के भीतर गिरफ्तार कर बड़ी सफलता प्राप्त की। यह मामला तब सामने आया जब सिरगिट्टी ओवरब्रिज के पास रेलवे ट्रैक के किनारे झाड़ियों में एक युवक की लाश मिली। इस केस में पुलिस ने बारीकी से जांच करते हुए आरोपी अविनाश दास मानिकपुरी को गिरफ्तार किया, जिसने स्टील के शॉकप से वार कर संजय राजपूत नामक युवक की हत्या कर दी थी।
सूचना मिलने पर मनोहर लाल वर्मा नामक व्यक्ति ने सिरगिट्टी थाना में रिपोर्ट दर्ज कराई कि रेलवे ट्रैक के पास एक लाश पड़ी हुई है। थाना सिरगिट्टी ने मर्ग क्रमांक 73/2024 के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू की। एफएसएल टीम को बुलाकर घटनास्थल की जांच की गई, जहां मृतक की मौत संदिग्ध परिस्थिति में पाई गई। आसपास के लोगों से पूछताछ करने पर मृतक की पहचान संजय राजपूत (उम्र 20 वर्ष) के रूप में हुई, जो सुलतानपुर, फरुकाबाद (उत्तर प्रदेश) का निवासी था और पिछले 9-10 महीनों से सिरगिट्टी स्थित साई प्लास्टिक फैक्ट्री में काम कर रहा था।
घटनास्थल पर मृतक के पास कोई पहचान पत्र नहीं था और उसकी मोटरसाइकिल भी गायब थी, जिससे पुलिस को संदेह हुआ। पुलिस अधीक्षक रजनेश सिंह ने मामले की गंभीरता को देखते हुए त्वरित कार्रवाई के निर्देश दिए। थाना प्रभारी विजय चौधरी के नेतृत्व में एक टीम गठित की गई और आसपास के सीसीटीवी फुटेज की जांच की गई।
जांच के दौरान पता चला कि मृतक संजय राजपूत को आखिरी बार अविनाश दास मानिकपुरी (उम्र 20 वर्ष) के साथ देखा गया था। पुलिस ने अविनाश को हिरासत में लेकर पूछताछ की। शुरुआत में आरोपी ने गोलमोल जवाब दिए, लेकिन जब पुलिस ने सख्ती से पूछताछ की, तो उसने हत्या करने की बात कबूल की।
आरोपी अविनाश ने बताया कि संजय राजपूत उसकी छोटी बहन पर गलत नजर रखता था, जिसके कारण उसने हत्या करने की योजना बनाई। घटना वाले दिन, अविनाश ने संजय को शराब पिलाई और सिरगिट्टी ओवरब्रिज के नीचे रेलवे ट्रैक के पास ले जाकर पहले से छिपाए गए स्टील के शॉकप से वार कर उसकी हत्या कर दी। हत्या के बाद आरोपी ने मृतक की मोटरसाइकिल और मोबाइल लेकर घटनास्थल से फरार हो गया।
सिरगिट्टी पुलिस ने तत्परता से कार्रवाई करते हुए आरोपी अविनाश को गिरफ्तार किया और मृतक की मोटरसाइकिल और मोबाइल बरामद कर लिए। आरोपी को न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया गया है।
इस पूरे मामले में थाना प्रभारी विजय चौधरी, सउनि वीरेन्द्र सिंह नेताम, प्रधान आरक्षक मनोज राजपूत और अन्य पुलिसकर्मियों की अहम भूमिका रही, जिन्होंने मामले को सुलझाने में तेजी से कार्य किया।