छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के इटकल गांव में हाल ही में घटित एक दुखद और चौंकाने वाली घटना ने पूरे क्षेत्र को स्तब्ध कर दिया है। जादू-टोना के संदेह में एक ही परिवार के पांच सदस्यों को बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया गया। मृतकों में तीन महिलाएं और दो पुरुष शामिल थे। ग्रामीणों ने उन पर लाठी-डंडों और धारदार हथियारों से हमला किया, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई।
यह घटना रविवार को मुरलीगुडा कैंप के पास स्थित इटकल गांव में हुई, जहां स्थानीय लोगों ने परिवार पर जादू-टोना करने का आरोप लगाते हुए हमला कर दिया। इस घटना ने ग्रामीण इलाकों में व्याप्त अंधविश्वास और इसके भयावह परिणामों को एक बार फिर उजागर किया है।
घटना के पीछे प्रमुख कारण जादू-टोना का संदेह था। कुछ ग्रामीणों का मानना था कि परिवार किसी प्रकार के तांत्रिक कर्म कर रहा था, जिससे उन्हें व्यक्तिगत नुकसान हो रहा था। यह संदेह धीरे-धीरे बढ़ता गया और समुदाय में तनाव का कारण बना। अंततः, रविवार को इस तनाव ने हिंसक रूप धारण कर लिया, जब गांव के कई लोग परिवार के घर में घुस आए और उन पर जानलेवा हमला कर दिया।
पुलिस को सूचना मिलते ही वे तुरंत घटनास्थल पर पहुंचे और आरोपियों को हिरासत में लिया। हालांकि, ग्रामीण इलाकों में जादू-टोना के नाम पर इस तरह की हिंसा कोई नई बात नहीं है, लेकिन इस बार घटना की गंभीरता ने सभी को चौंका दिया है। पुलिस ने प्रारंभिक जांच में बताया कि इस घटना को पहले नक्सली हमला माना जा रहा था, लेकिन बाद में खुलासा हुआ कि यह जादू-टोना के संदेह के कारण हुई हत्या है।
यह घटना छत्तीसगढ़ में इस प्रकार की पहली घटना नहीं है। कुछ ही दिन पहले बलौदाबाजार में भी एक और दर्दनाक घटना सामने आई थी, जिसमें जादू-टोना के संदेह में एक ही परिवार के चार सदस्यों की हत्या कर दी गई थी। उस वारदात में पीड़ितों में दो बहनें, एक भाई और एक छोटा बच्चा शामिल था। शवों को बेरहमी से क्षत-विक्षत किया गया था और उनके सिर हथौड़े से कुचले गए थे। इन घटनाओं ने ग्रामीण क्षेत्रों में व्याप्त अंधविश्वास और असुरक्षा की स्थिति को उजागर किया है।
पुलिस ने दोनों ही घटनाओं में त्वरित कार्रवाई करते हुए जिम्मेदार व्यक्तियों को गिरफ्तार कर लिया है। सुकमा की घटना में पुलिस के अनुसार, ग्रामीणों ने पहले मृतकों को नक्सली हिंसा का शिकार बताने की कोशिश की, लेकिन बाद में यह स्पष्ट हो गया कि यह घटना जादू-टोना के संदेह के कारण हुई थी।
इस प्रकार की घटनाओं की रोकथाम के लिए सरकार और स्थानीय प्रशासन को अंधविश्वास के खिलाफ व्यापक जन-जागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता है। ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता की कमी और अंधविश्वास के कारण निर्दोष लोगों की हत्या की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं, जो न केवल मानवाधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि सामाजिक ताने-बाने के लिए भी एक गंभीर खतरा है।
छत्तीसगढ़ के ग्रामीण इलाकों में जादू-टोना के संदेह के कारण हिंसा की घटनाओं में वृद्धि चिंता का विषय है। पुलिस की ओर से त्वरित कार्रवाई एक सकारात्मक कदम है, लेकिन जब तक समाज में व्याप्त अंधविश्वास और इसके कारण उत्पन्न हिंसक प्रवृत्तियों को समाप्त नहीं किया जाता, तब तक इस प्रकार की घटनाएं होती रहेंगी। सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों को मिलकर ऐसे अंधविश्वासों के खिलाफ लड़ने के लिए ठोस प्रयास करने की आवश्यकता है ताकि भविष्य में इस प्रकार की हत्याएं रोकी जा सकें।