
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने खुद पर संभावित कार्रवाई और राजनीतिक षड्यंत्र की आशंका जताई है। यह घटनाक्रम राज्य में बहुचर्चित कोयला घोटाले और महादेव ऐप के विवादास्पद मामले से जुड़ा है। भूपेश बघेल ने भारत के मुख्य न्यायाधीश को लिखे सात पन्नों के पत्र में इन मामलों में की जा रही जांच पर सवाल उठाते हुए इसे उनके खिलाफ राजनीतिक प्रतिशोध बताया है।
कोयला घोटाला: क्या है मामला?
छत्तीसगढ़ में कोयला परिवहन में कथित तौर पर प्रति टन 25 रुपये की लेवी वसूलने का आरोप है। इस आरोप के तहत राज्य में 540 करोड़ रुपये से अधिक की अवैध वसूली की गई, जिसमें ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) के अनुसार, कई कारोबारी, कांग्रेस नेताओं और अधिकारियों की संलिप्तता थी। इस मामले में अक्टूबर 2022 में ईडी ने राज्य में बड़े पैमाने पर छापेमारी की थी। इसके दस्तावेज़ों के अनुसार, यह अवैध वसूली जुलाई 2020 में सरकारी अधिकारियों द्वारा जारी किए गए आदेश के बाद शुरू हुई थी। कई लोग इस घोटाले में गिरफ्तार हो चुके हैं और कुछ अभी भी जांच के घेरे में हैं।
भूपेश बघेल पर आरोप है कि इस घोटाले से प्राप्त धन का एक बड़ा हिस्सा शीर्ष राजनीतिक नेताओं तक पहुंचा था। हालांकि, पूर्व मुख्यमंत्री ने इन आरोपों को खारिज किया और इसे राजनीति से प्रेरित कार्रवाई बताया है। उन्होंने अपने पत्र में यह दावा किया है कि जिन लोगों को पूछताछ के लिए बुलाया गया, उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया और दबाव बनाया गया कि वे बघेल के खिलाफ बयान दें।
महादेव ऐप विवाद: ऑनलाइन सट्टेबाजी का मामला
महादेव ऐप का मामला भी भूपेश बघेल के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है। यह एक अवैध ऑनलाइन सट्टेबाजी ऐप है, जिसके खिलाफ बघेल सरकार ने कार्रवाई शुरू की थी। उन्होंने दावा किया है कि उनकी सरकार ने इस ऐप से जुड़े 72 मामले दर्ज किए, सैकड़ों बैंक खातों को सील किया और करोड़ों रुपये की संपत्ति ज़ब्त की। साथ ही, सरकार ने ऐप के संचालकों के खिलाफ लुक आउट नोटिस भी जारी किया था।
हालांकि, ईडी ने अपने बयान में आरोप लगाया कि महादेव ऐप के संचालकों ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को 508 करोड़ रुपये दिए थे। इस मामले की जांच राज्य की एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) भी कर रही है। बघेल ने अपने पत्र में दावा किया कि केंद्र सरकार ने इन अपराधियों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की और इसे एक राजनीतिक रंग दे दिया गया।
भूपेश बघेल का पत्र: गंभीर आरोप और न्याय की मांग
भूपेश बघेल ने अपने पत्र में यह आशंका जताई है कि इन मामलों के बहाने उन्हें निशाना बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि ईडी द्वारा उनकी सरकार के करीबी लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है, जबकि उनके खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं मिले हैं। बघेल का आरोप है कि चुनाव से पहले प्रदेश में यह संदेश देने का प्रयास किया गया कि उनके करीबी लोग अवैध सट्टेबाजी में शामिल हैं, जिससे उनकी राजनीतिक छवि को नुकसान पहुंचाने की कोशिश हो रही है।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि जो लोग गिरफ्तार किए गए, उन पर दबाव डाला जा रहा है कि वे बघेल के खिलाफ बयान दें। उनका मानना है कि यह पूरा प्रकरण एक सुनियोजित राजनीतिक षड्यंत्र का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य उनकी प्रतिष्ठा को धूमिल करना और उनके राजनीतिक करियर को खत्म करना है।
राजनीतिक प्रतिशोध का आरोप
भूपेश बघेल ने इस पूरी स्थिति को राजनीति से प्रेरित बताते हुए न्याय की मांग की है। उनका कहना है कि अगर केंद्रीय और राज्य एजेंसियों का राजनीतिक दुरुपयोग नहीं रोका गया तो प्रदेश में कोई भी सुरक्षित नहीं रहेगा। उन्होंने मुख्य न्यायाधीश से इन एजेंसियों की भूमिका की उच्च स्तरीय न्यायिक जांच की मांग की है।
इस घटनाक्रम से स्पष्ट होता है कि छत्तीसगढ़ की राजनीति में यह मामला आने वाले समय में और भी तूल पकड़ सकता है। बघेल के इस पत्र के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है, और अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मामले में आगे क्या मोड़ आता है।