बिलासपुर, छत्तीसगढ़। आम आदमी पार्टी (आप) के प्रदेश संगठन महामंत्री जसवीर सिंह चावला और कवर्धा मामले की जांच कमेटी की अध्यक्ष एडवोकेट प्रियंका शुक्ला ने लोहाराडीह में हुई विवादास्पद मौत और आगजनी की घटनाओं पर गंभीर आरोप लगाए हैं। शुक्रवार को बिलासपुर प्रेस क्लब में हुई प्रेस वार्ता में उन्होंने इसे हत्या करार देते हुए कहा कि इस पूरे मामले को राजनीतिक साजिश के तहत आत्महत्या का रंग दिया जा रहा है। इस दौरान उन्होंने गृहमंत्री विजय शर्मा से इस्तीफा मांगा और पुलिस प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए।
मामला कवर्धा जिले के लोहाराडीह गांव का है, जहां दो प्रभावशाली स्थानीय नेताओं, रघुनाथ (बीजेपी नेता और उपसरपंच) और शिव प्रसाद (साहू समुदाय के पटेल), के बीच लंबे समय से चला आ रहा व्यक्तिगत और राजनीतिक विवाद हत्या की वजह बना।
रघुनाथ के खिलाफ शिव प्रसाद की पत्नी द्वारा छेड़खानी और बलात्कार के आरोपों के चलते एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसके कारण गांव में रघुनाथ का सामाजिक बहिष्कार हुआ। हालांकि, बाद में समाज की पंचायत में समझौता करवा कर रघुनाथ की वापसी हो गई थी। इस घटना के बाद, रघुनाथ के रिश्तेदार रुक्मणी के अनुसार, 2023 में शिव प्रसाद और उनके समर्थकों ने रघुनाथ के खेत वाले घर को आग लगा दी थी, मगर उस घटना पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।
72 एकड़ चारागाह की जमीन विवाद का मूल कारण
जांच में यह भी सामने आया कि शिव प्रसाद और रघुनाथ के बीच चारागाह की 72 एकड़ जमीन को लेकर विवाद था। आरोप है कि रघुनाथ ने इस जमीन पर अवैध कब्जा कर रखा था और गांव के मवेशियों के लिए चारागाह की कमी हो गई थी, जिससे गांववालों में नाराजगी बढ़ रही थी। इस विवाद ने गांव के माहौल को और भी तनावपूर्ण बना दिया था।
शिव प्रसाद की संदिग्ध मौत और पुलिस की भूमिका
शिव प्रसाद की संदिग्ध मौत के बाद पुलिस द्वारा मामले को आत्महत्या करार देने से स्थानीय ग्रामीणों में आक्रोश फैल गया। प्रियंका शुक्ला की अगुवाई वाली जांच कमेटी ने पाया कि शिव प्रसाद के शरीर पर चोटों के स्पष्ट निशान थे, फिर भी पुलिस ने इसे आत्महत्या बताकर मामले को दबाने की कोशिश की। यह भी आरोप लगाया गया कि शिव प्रसाद के अंतिम संस्कार के लिए पुलिस ने परिवार को पर्याप्त समय दिए बिना जल्दबाजी में क्रिया-कर्म करवा दिया।
रघुनाथ का परिवार और प्रशांत की मौत
रघुनाथ के परिवार का आरोप है कि घटना के बाद उनके पास जीविका चलाने के लिए कोई साधन नहीं है और उन्हें अब तक सरकार से कोई मदद नहीं मिली है। दूसरी ओर, प्रशांत, जो कि एक इरिगेशन विभाग में कर्मचारी और बीजेपी समर्थक थे, की मौत की खबर उनके परिवार को मीडिया के माध्यम से मिली। पुलिस द्वारा प्रशांत, उनकी मां और भाई कन्हैया को घर से उठाकर बेरहमी से मारपीट की गई थी, जिसके बाद प्रशांत की मौत हो गई।
आम आदमी पार्टी की मांगें
आम आदमी पार्टी ने इस पूरे मामले को एक राजनीतिक साजिश बताया और तीनों परिवारों के लिए न्याय की मांग की। पार्टी की प्रमुख मांगें हैं:
- 1. मुआवजा: तीनों परिवारों को 1-1 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया जाए।
- 2. न्यायिक जांच: घटना की निष्पक्ष जांच के लिए एक न्यायिक जज की अध्यक्षता में 6 माह की समयसीमा के भीतर जांच पूरी की जाए।
- 3. शिक्षा और पुनर्वास: तीनों परिवारों के बच्चों की शिक्षा और पालन-पोषण की जिम्मेदारी सरकार ले।
- 4. गृहमंत्री का इस्तीफा: गृहमंत्री विजय शर्मा को इस्तीफा देना चाहिए, क्योंकि वे अपने गृह जिले में भी कानून-व्यवस्था बनाए रखने में विफल रहे हैं।
- 5. पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई: पुलिस अधीक्षक अभिषेक पल्लव समेत लाठीचार्ज और अन्य हिंसक कार्रवाइयों के आदेश देने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए।
यह घटना एक गंभीर राजनीतिक संघर्ष का परिणाम है, जिसमें व्यक्तिगत और सामुदायिक विवादों को भी हवा दी गई। आम आदमी पार्टी के नेताओं ने इसे सरकार और प्रशासन की विफलता करार देते हुए कहा कि अगर समय रहते सही कदम उठाए गए होते, तो शायद इतना बड़ा कांड नहीं होता। पार्टी ने यह भी स्पष्ट किया कि अगर उनकी मांगे नहीं मानी गईं, तो वे प्रदेश अध्यक्ष गोपाल साहू के नेतृत्व में कवर्धा में प्रदर्शन करेंगे।