बिलासपुर के लुतरा शरीफ में सूफी संत बाबा सैय्यद इंसान अली शाह रहमतुल्लाह अलैह के सालाना उर्स का आयोजन हर साल की तरह इस बार भी श्रद्धा और उल्लास के साथ आरंभ हुआ। इस धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन का मुख्य आकर्षण सूफी परंपराओं और बाबा की शिक्षाओं को मानने वाले हजारों श्रद्धालुओं की उपस्थिति होती है। उर्स की शुरुआत परचम कुशाई के साथ हुई, जहां मटका पार्टी ने बाबा इंसान अली के नाम पर सुंदर कलाम प्रस्तुत किया, जिसने माहौल को आध्यात्मिकता से भर दिया।
उत्साह और श्रद्धा का माहौल
रविवार को शुरू हुए इस उर्स में सुबह 11 बजे नागपुर के कामठी से आई मटका पार्टी ने बाबा इंसान अली के नाम पर कविताएं और नज्में पेश कीं। इस मौके पर बड़ी संख्या में मौजूद भक्तों ने जोश और उमंग के साथ दरगाह के सामने परचम फहराया। यहां आए मलंगों ने अपनी अनोखी प्रस्तुतियों से श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध किया। आतिशबाजी और फूलों की वर्षा ने इस माहौल को और भी जीवंत बना दिया।
चादर और संदल की रस्में
उर्स के दौरान विभिन्न धार्मिक रस्मों का भी आयोजन हुआ, जिनमें चादर और संदल का विशेष महत्व होता है। पहले दिन दोपहर 3 बजे “दादी अम्मा का संदल” निकाला गया, जिसे दरगाह तक ले जाया गया। श्रद्धालुओं ने चादर पेश कर बाबा से दुआएं मांगी। इस अवसर पर इंतेजामिया कमेटी द्वारा विभिन्न समाजों के गणमान्य नागरिकों का अभिनंदन किया गया, जहां उन्हें बाबा सरकार का प्रसाद और विशेष गमछा प्रदान किया गया।
लंगर और सेवाएं
श्रद्धालुओं के लिए खास लंगर का आयोजन किया गया, जिसमें शुद्ध शाकाहारी भोजन परोसा गया। यह लंगर 24 घंटे चालू रहेगा ताकि कोई भी भक्त भूखा न रहे। शुगर के मरीजों के लिए विशेष रूप से नान और रोटी का इंतजाम किया गया है। दिनभर चाय और नाश्ते की व्यवस्था भी की गई।
सूफियाना महफिल और कव्वाली
रात 9 बजे उर्स की पहली रात सूफियाना महफिल में बदल गई, जहां नात और मनकबत प्रस्तुत किए गए। बाबा के चाहने वाले दिनभर इस महफिल का आनंद लेते रहे। श्रद्धालुओं की भीड़ में इंतेजामिया और उर्स कमेटी के चेयरमैन इरशाद अली भी शामिल थे, जो पूरे उर्स का संचालन कर रहे थे।
शाही संदल की तैयारी
उर्स के दूसरे दिन, 21 अक्टूबर को, मजार-ए-पाक का गुस्ल और सलातो-सलाम के बाद शाही संदल का जुलूस निकलेगा। यह जुलूस खम्हरिया स्थित नानी अम्मा की दरगाह की ओर जाएगा, जहां महफिले समा और दरबारी कव्वाल यासीन शोला अपने साथियों के साथ सूफियाना कलाम पेश करेंगे। इस दौरान धार्मिक गुरु सैय्यद राशिद मक्की मियां और मुफ्ती मोइनुद्दीन चतुर्वेदी द्वारा तकरीर का आयोजन भी होगा, जिसमें श्रद्धालुओं को सूफी परंपराओं और बाबा की शिक्षाओं के बारे में बताया जाएगा।
समर्पण और भक्ति का संगम
लुतरा शरीफ का उर्स सूफी परंपराओं, भाईचारे और प्रेम का प्रतीक है। यहां हर साल हजारों श्रद्धालु बाबा इंसान अली शाह के प्रति अपनी आस्था प्रकट करने और उनके विचारों से प्रेरणा लेने के लिए आते हैं। यह आयोजन न केवल धार्मिक महत्त्व का होता है, बल्कि समाज में सौहार्द और एकता का संदेश भी फैलाता है।