बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार द्वारा स्थानीय निकाय और त्रिस्तरीय पंचायतों में ओबीसी और एससी-एसटी वर्गों के लिए आरक्षित सीटों में भारी कटौती के विरोध में कांग्रेस पार्टी ने कमर कस ली है। इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस ने 15 जनवरी को बिलासपुर में ‘गिरफ्तार करो या न्याय दो’ आंदोलन का आह्वान किया है।
कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा सरकार ने ओबीसी वर्ग को 50% आरक्षण देने का झूठा दावा किया, लेकिन वास्तविकता इसके विपरीत है। जब नगरीय निकाय और पंचायतों में आरक्षण की स्थिति सामने आई, तो ओबीसी और एससी-एसटी वर्गों के राजनीतिक अधिकारों का हनन स्पष्ट हुआ।
जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष विजय केशरवानी और शहर अध्यक्ष विजय पांडे ने इसे एक साजिश करार दिया। उन्होंने कहा कि ओबीसी वर्ग से संबंधित भाजपा नेताओं ने भी इस मुद्दे पर चुप्पी साध रखी है।
कांग्रेस के प्रमुख सवाल
1. जिला पंचायत में ओबीसी आरक्षण: छत्तीसगढ़ के 33 जिला पंचायतों में ओबीसी को अध्यक्ष पद पर कितना आरक्षण मिला है?
2. अन्यायपूर्ण प्रतिनिधित्व: बिलासपुर जिला पंचायत में 17 सीटों में केवल एक ओबीसी सीट क्यों?
3. ग्राम पंचायतों में कम आरक्षण: 486 ग्राम पंचायतों में ओबीसी वर्ग को केवल 35 सरपंच सीटें क्यों दी गईं?
केशरवानी ने सवाल उठाया कि यह क्या ओबीसी वर्ग के राजनीतिक अधिकारों को कुचलने की साजिश नहीं है?
कांग्रेस ने आरोप लगाया कि एससी-एसटी वर्गों को भी संविधान द्वारा निर्धारित आबादी के अनुपात में आरक्षण नहीं दिया गया। यह भाजपा सरकार की ‘आरक्षण विरोधी’ मानसिकता को उजागर करता है।
कांग्रेस ने 15 जनवरी को सिविल लाइन थाने में आंदोलन की रणनीति बनाई है। जिला कांग्रेस अध्यक्ष ने बताया कि सभी ब्लॉक कांग्रेस कमेटियों को आंदोलन में बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं की उपस्थिति सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं। नगरीय निकाय और पंचायत के प्रतिनिधियों को भी सक्रिय भूमिका निभाने का आग्रह किया गया है।
जिला कांग्रेस अध्यक्ष विजय केशरवानी और शहर अध्यक्ष विजय पांडे ने सभी पार्टी कार्यकर्ताओं, अनुषांगिक संगठनों, पूर्व और वर्तमान सांसदों-विधायकों, महापौर, निगम और पंचायत के प्रतिनिधियों से आंदोलन में शामिल होने का आह्वान किया। कांग्रेस सेवादल, महिला कांग्रेस, युवा कांग्रेस, एनएसयूआई, और किसान कांग्रेस जैसे संगठनों से भी इसमें भाग लेने की अपील की गई है।
कांग्रेस ने स्पष्ट किया है कि यह लड़ाई सिर्फ आरक्षण के आंकड़ों की नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय और संवैधानिक अधिकारों की है। भाजपा सरकार पर हमला बोलते हुए कांग्रेस नेताओं ने कहा कि आरक्षण कटौती का यह कदम समाज के पिछड़े और वंचित वर्गों की आवाज को दबाने का प्रयास है।
15 जनवरी को होने वाला यह प्रदर्शन न केवल कांग्रेस का राजनीतिक कदम है, बल्कि सामाजिक न्याय की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश है। कांग्रेस ने जनता से इस आंदोलन में बड़ी संख्या में शामिल होने की अपील की है।