बिलासपुर के थाना सरकंडा क्षेत्र स्थित स्वर्णिम ईरा कॉलोनी में घटित पांच वर्षीय नाबालिक बालिका की हत्या के मामले को बिलासपुर पुलिस ने महज तीन घंटे के भीतर सुलझाने में सफलता प्राप्त की। इस सनसनीखेज घटना के खुलासे के दौरान थाना सरकंडा और एसीसीयू की संयुक्त कार्यवाही ने अहम भूमिका निभाई।
आज 25 फरवरी 2025 को सुबह 10:20 बजे थाना प्रभारी निरीक्षक निलेश पाण्डेय को सूचना मिली कि स्वर्णिम ईरा कॉलोनी में एक पांच वर्षीय बालिका, जो 24 फरवरी की शाम से लापता थी, का शव एक निर्माणाधीन मकान में मिला है। सूचना मिलते ही थाना प्रभारी ने वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत कराया। मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस अधीक्षक रजनेश सिंह स्वयं मौके पर पहुंचे और आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए।
घटनास्थल पर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एसीसीयू) अनुज कुमार, नगर पुलिस अधीक्षक (सरकंडा) सिद्धार्थ बघेल, एफएसएल यूनिट, फिंगरप्रिंट विशेषज्ञ, डॉग स्क्वाड और थाना प्रभारी सरकंडा सहित पुलिस बल को भेजा गया। वैज्ञानिक पद्धति से साक्ष्य संकलन करते हुए अज्ञात आरोपी की तलाश शुरू की गई।
घटनास्थल के निरीक्षण के दौरान पुलिस को संदेह हुआ कि हत्या कॉलोनी के किसी निवासी द्वारा की गई है क्योंकि यहां सैकड़ों निर्माणाधीन मकान हैं और हजारों मजदूर अपने परिवार के साथ रहते हैं। मृतका के माता-पिता भी मजदूर थे और कॉलोनी में ही निवास कर रहे थे।
पुलिस अधीक्षक रजनेश सिंह के मार्गदर्शन में कुल पांच टीमें गठित की गईं—
- तीन टीमों को कॉलोनी में रह रहे मजदूरों और उनके बच्चों से पूछताछ करने की जिम्मेदारी दी गई।
- एक टीम को सीसीटीवी फुटेज खंगालने का कार्य सौंपा गया।
- एक टीम को सूचना संकलन और संदिग्ध व्यक्तियों की निगरानी के लिए तैनात किया गया।
जांच के दौरान, पुलिस टीम ने कॉलोनी में मौजूद 9 संदिग्धों की पहचान की, जिनके शरीर पर चोट और खरोंच के निशान थे। इन सभी से कड़ाई से पूछताछ की गई। इसी बीच सीसीटीवी फुटेज से एक अहम सुराग मिला—
मृतिका को एक नाबालिग बालक हाथ पकड़कर घटना स्थल की ओर ले जाता हुआ दिखाई दिया।
पुलिस को पहले से ही इस बालक पर संदेह था, क्योंकि वह उन 9 संदिग्धों में शामिल था। जब उससे सख्ती से पूछताछ की गई, तो उसने अपराध स्वीकार कर लिया।
चूंकि मृतका और आरोपी दोनों नाबालिग हैं, इसलिए मामले में बाल कल्याण अधिनियम के प्रावधानों के तहत कार्रवाई की जा रही है। आरोपी नाबालिग को पुलिस हिरासत में लेकर किशोर न्याय बोर्ड के समक्ष प्रस्तुत किया जा रहा है।
इस मामले के सफल अनावरण में थाना सरकंडा और एसीसीयू बिलासपुर की पुलिस टीम का सराहनीय योगदान रहा। तेजी से कार्रवाई करते हुए केवल 3 घंटे के भीतर इस जघन्य अपराध की गुत्थी सुलझा ली गई, जो बिलासपुर पुलिस की सतर्कता और दक्षता को दर्शाता है।
यह घटना समाज में बढ़ते अपराधों और सुरक्षा चुनौतियों की ओर इशारा करती है। इस मामले में पुलिस की तत्परता और कुशलता ने न्याय की राह आसान की, लेकिन यह भी जरूरी है कि अभिभावक अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर अधिक सतर्क रहें। ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सामाजिक जागरूकता और सामूहिक सतर्कता आवश्यक है।