क्या कभी आपने ऐसा महसूस किया है कि सब कुछ थम सा गया है? जैसे आप कोशिश तो कर रहे हैं, लेकिन नतीजे नहीं मिल रहे? ऐसा हर किसी के साथ होता है – हां, हर किसी के साथ!
लेकिन फर्क वहां आता है जहां कुछ लोग रुक जाते हैं… और कुछ लोग दोबारा खड़े हो जाते हैं।
जब सचिन तेंदुलकर पहली बार क्रिकेट खेले थे, उन्होंने भी कई बार हार का सामना किया। जब एपीजे अब्दुल कलाम इंजीनियरिंग में असफल हुए, तब उन्होंने हार नहीं मानी – उन्होंने भारत को मिसाइल मैन बना दिया।
हर ठोकर एक सबक है, और हर सबक एक कदम आगे बढ़ने का मौका।
आपकी ज़िंदगी में चाहे कितना भी अंधेरा क्यों न हो, सुबह ज़रूर होगी। लेकिन उसके लिए आपको रात से लड़ना होगा।
क्या करें जब ज़िंदगी थक जाए?
छोटे-छोटे लक्ष्य बनाओ: बड़ी सफलता एक दिन में नहीं मिलती, लेकिन रोज़ाना छोटे कदम ज़रूर आगे ले जाते हैं।
खुद से बात करो: खुद को सुनो, समझो, और भरोसा दिलाओ – “मैं कर सकता/सकती हूं।”
उन लोगों से दूर रहो जो हौंसला तोड़ते हैं: और उन लोगों के साथ रहो जो आग जलाते हैं – दिल में, आत्मा में, सपनों में।
और याद रखो:
“अगर ज़िंदगी एक इम्तिहान है, तो तुम भी किसी किताब से कम नहीं!”
आज ही उठो, आज ही शुरू करो – क्योंकि जीतने का सबसे सही वक्त अब है।
आखिर में एक सवाल आपसे:
क्या आप तैयार हैं खुद को फिर से खड़ा करने के लिए?