छत्तीसगढ़ सरकार ने शहरी इलाकों में आदिवासियों को रहने के लिए 2006 में लाए गए फॉरेस्ट राइट्स एक्ट के तहत घर बनाने के लिए जंगल की जमीन दी। छत्तीसगढ़ ऐसा करने वाला देश का पहला राज्य है। सोमवार को राज्य सरकार ने कहा कि जगदलपुर निगर निगम के 11 परिवारों को फॉरेस्ट राइट्स एक्ट (एफआरए) के अंतर्गत घर बनाने के लिए रविवार को जमीन दी है।
राज्य सरकार की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया, “ऐसे लोगों को शहरी वन भूमि पर अधिकार के लिए फॉरेस्ट राइट्स एक्ट, 2006 और भारत सरकार की तरफ से 2015 में जारी गाइडलाइंस का राज्य सरकार ने पालन किया। शुरुआत में 11 आदिवासी परिवारों को घर बनाने के उद्देश्य से पट्टा पर जमीन (भूमि अधिकार डॉक्यूमेंट्स) दी गए हैं।”
बयान में आगे कहा गया, “करीब 4500 आदिवासी और अन्य वहां के स्थानीय लोग हैं जिन्होंने शहरी वन भूमि पर अधिकार के लिए आवेदन किया है। वन भूमि अधिकार को लेकर प्रक्रिया शुरू कर दी गई है और जल्द ही अन्य योग्य परिवारों को इसी तरह भूमि अधिकार दे दिया जाएगा।”
रविवार को बस्तर के सांसद और बीजेपी के दीपक बैज और अन्य सरकारी अधिकारियों की मौजूदगी जमीन के पट्टे दिए गए। आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता और छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के संयोजक आलोक शुक्ला ने कहा, “द फॉरेस्ट राइट्स एक्ट 2006 में शहरी या ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासियों और अन्य पारंपरिक वनवासियों को वन भूमि पर अधिकार देता है। छत्तीसगढ़ के शहरी क्षेत्रों में वन भूमि पर व्यक्तिगत अधिकार देना स्वागत योग्य कदम है। इसके साथ ही, वन अधिकार कानून को अधिक प्रभावी तरीके से राज्यभर में समन्वय के साथ लागू करने की आवश्यकता है।”
मुख्यमंत्री कार्यालय के एक सीनियर आधिकारिक सूत्र ने पूरे मामले पर बताया कि घर बनाने के लिए वन की भूमि छत्तीसगढ़ के सभी जिलों के शहरी क्षेत्रों में दी जाएगी।
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