छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में घटित एक चौंकाने वाला हत्याकांड सामने आया है, जहां एक राजमिस्त्री को मारकर उसकी लाश को गहरे गड्ढे में दफन कर दिया गया। यह वारदात बॉलीवुड फिल्म “दृश्यम” की कहानी से प्रेरित मानी जा रही है, जिसमें आरोपियों ने पुलिस से बचने के लिए चालाकी से लाश को ठिकाने लगाया। परंतु, पुलिस की सटीक जांच और तत्परता ने इस गुत्थी को सुलझा दिया।
घटना सरगुजा जिले के सीतापुर थाना क्षेत्र की है, जहाँ 3 महीनों से लापता राजमिस्त्री दीपेश उर्फ संदीप लकड़ा का शव मिला। यह हत्या जून 2023 में हुई थी, जब ठेकेदार अभिषेक पांडेय और उसके साथियों ने चोरी के शक के आधार पर दीपेश का अपहरण कर उसकी हत्या कर दी। हत्या के बाद, शव को जल जीवन मिशन के अंतर्गत निर्माणाधीन पानी टंकी की नींव के नीचे दफनाया गया।
हत्या का कारण
मामला उस समय शुरू हुआ जब उलकिया हाई स्कूल बिल्डिंग के निर्माण स्थल से लोहे के छड़, सीमेंट और अन्य निर्माण सामग्री की चोरी हो गई। ठेकेदार अभिषेक पांडेय ने दीपेश और उसके साथी विकास पर चोरी का शक किया। चोरी के बाद, अभिषेक पांडेय और उसके साथियों ने दीपेश को 7 जून को अगवा कर लिया और उसे बुरी तरह पीटा, जिससे उसकी मौत हो गई।
शव को ठिकाने लगाने का तरीका
दीपेश की हत्या के बाद, आरोपियों ने “दृश्यम” फिल्म की तर्ज पर एक योजना बनाई। उन्होंने लाश को मैनपाट के लुरैना में जल जीवन मिशन के तहत निर्माणाधीन पानी टंकी के फाउंडेशन में दफना दिया। उन्हें लगा कि इस तरह से लाश को ठिकाने लगाकर वे कभी पकड़े नहीं जाएंगे।
मामले का खुलासा
संदीप लकड़ा के लापता होने की शिकायत उसकी पत्नी सलीमा लकड़ा ने 16 जून को सीतापुर थाने में दर्ज कराई थी। प्रारंभिक जांच में पुलिस को संदीप का मोबाइल गोवा और मुंबई में ऑन मिला, जिससे पुलिस को लगा कि वह भाग गया है। लेकिन मामला तब गर्माया जब अगस्त में सर्व आदिवासी समाज ने संदीप की हत्या की आशंका जताते हुए कार्रवाई की मांग की।
इसके बाद, पुलिस ने आरोपियों को संदेह के आधार पर हिरासत में लिया और कड़ी पूछताछ की। अंततः आरोपियों ने अपराध कबूल किया और हत्या की पूरी योजना का खुलासा किया। पुलिस ने घटनास्थल पर खुदाई कर शव बरामद किया, जिसकी पहचान परिजनों ने कपड़ों से की।
यह घटना अपराधियों द्वारा “दृश्यम” फिल्म से प्रेरित होकर अपराध छिपाने की कोशिश का उदाहरण है। हालांकि, पुलिस की मुस्तैदी और जांच की गंभीरता के कारण हत्या का पर्दाफाश हो सका। इस घटना में मुख्य आरोपी अभिषेक पांडेय फिलहाल फरार है, और उसकी तलाश जारी है।
इस तरह की घटनाएं यह दर्शाती हैं कि अपराध चाहे कितना भी सुनियोजित हो, सच्चाई को छिपाना संभव नहीं होता, और कानून के शिकंजे से बचना कठिन है।