बिलासपुर। छत्तीसगढ़ का एक महत्वपूर्ण शहर, हाल के दिनों में लगातार बढ़ते अपराधों की वजह से सुर्खियों में है। पूर्व विधायक शैलेश पांडेय द्वारा लगाए गए आरोप इस दिशा में न सिर्फ ध्यान आकर्षित कर रहे हैं, बल्कि वर्तमान सरकार और पुलिस प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर रहे हैं। जुआँ, सट्टा, नशे की लत, हत्या, चाकूबाजी और दुष्कर्म की घटनाएँ शहर को अशांत बना रही हैं।
शैलेश पांडेय ने मुख्यमंत्री और सरकार पर तीखा हमला करते हुए कहा कि बिलासपुर और प्रदेश के कई हिस्सों में जुआँ और सट्टा खुलेआम संचालित हो रहा है। उनका कहना है कि अपराधियों का इतना बोलबाला है कि वे खुलेआम सरकार और पुलिस पर पैसा वसूलने का आरोप लगा रहे हैं। मीडिया में लगातार ऐसी घटनाओं की रिपोर्टिंग हो रही है, लेकिन सरकार की निष्क्रियता इन अपराधों को बढ़ावा दे रही है।
शैलेश पांडेय ने आरोप लगाया कि कई जिलों में टेंट लगाकर जुआँ और सट्टा खिलाया जा रहा है। जुआँ और सट्टा का ये अड्डा शहर में अपराध की जड़ बनता जा रहा है। नशे और जुआँ के कारण अपराधों में वृद्धि हो रही है और यह शहर की कानून व्यवस्था को कमजोर कर रहा है। शैलेश ने कहा कि अपराधी इतने बेखौफ हो चुके हैं कि बिलासपुर में आए दिन चाकूबाजी, हत्या और दुष्कर्म की घटनाएँ हो रही हैं।
बिलासपुर में चाकूबाजी की घटनाएँ अब आम हो गई हैं। रोज़मर्रा की चाकूबाजी और हत्या की घटनाओं ने लोगों के मन में डर का माहौल बना दिया है। सवाल यह उठता है कि इतने चाकू और अन्य हथियार खुलेआम कैसे मिल रहे हैं? पुलिस प्रशासन का डर क्यों खत्म हो गया है? इन घटनाओं के पीछे का कारण पुलिस की निष्क्रियता मानी जा रही है।
बिलासपुर में दुष्कर्म के मामले भी बढ़ते जा रहे हैं, खासकर मासूम बच्चियों को शिकार बनाया जा रहा है। शैलेश पांडेय का कहना है कि मासूम बच्चियों की सुरक्षा तक नहीं हो पा रही है। यह स्थिति बिलासपुर की कानून व्यवस्था की गंभीर विफलता को दर्शाती है।
शैलेश पांडेय ने सरकार के उन बयानों पर भी निशाना साधा जिसमें कहा गया कि कांग्रेस के कार्यकाल में अपराध ज्यादा थे और अब कम हो गए हैं। उन्होंने इसे एक राजनीतिक बहाना करार देते हुए कहा कि अगर सरकार यही कह रही है कि अभी अपराध कम हैं, तो क्या इसका मतलब यह है कि आने वाले समय में अपराध और बढ़ेंगे? यह जवाब जनता के लिए असंतोषजनक है और उनके सुरक्षा के प्रति सरकार की उदासीनता को दिखाता है।
शैलेश पांडेय ने बिलासपुर की वर्तमान स्थिति को देखकर जनता की सुरक्षा पर सवाल खड़े किए हैं। उनका आरोप है कि सरकार ने चुनावों में अपराध-मुक्त शहर का वादा किया था, लेकिन अब वे जनता को नजर अंदाज कर रहे हैं। शहर में लगातार बढ़ती हिंसा और अपराध की घटनाएँ न केवल पुलिस प्रशासन की विफलता का प्रमाण हैं, बल्कि यह सरकार की अपराध नियंत्रण की रणनीति पर भी गंभीर सवाल खड़े करती हैं।