शिक्षा

बिलासपुर: सेंट जेवियर्स ग्रुप के स्कूलों पर फर्जी एफिलिएशन का मामला, जांच प्रक्रिया पर सवाल…

आरोप है कि इन स्कूलों को जिला शिक्षा विभाग से केवल कक्षा 8वीं तक की अनुमति प्राप्त है, लेकिन वे फर्जी दावा कर सीबीएसई बोर्ड की कक्षाएं चला रहे...

बिलासपुर में सेंट जेवियर्स ग्रुप के चार स्कूलों को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। एनएसयूआई (नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया) के प्रदेश सचिव रंजेश सिंह ने चार माह पूर्व शिकायत की थी कि इन स्कूलों को सीबीएसई (केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड) से एफिलिएशन नहीं मिला है, फिर भी यह स्कूल हाईस्कूल स्तर तक कक्षाएं संचालित कर रहे हैं। यह आरोप है कि इन स्कूलों को जिला शिक्षा विभाग से केवल कक्षा 8वीं तक की अनुमति प्राप्त है, लेकिन वे फर्जी दावा कर सीबीएसई बोर्ड की कक्षाएं चला रहे हैं।

शिकायत के आधार पर जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) टी आर साहू ने जांच का आदेश दिया था, लेकिन अब तक जांच रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की जा सकी है। जांच में देरी और दो बार नई कमेटी के गठन के बावजूद कोई ठोस परिणाम न मिलने से डीईओ की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं।

जांच कमेटी का गठन और देरी

रंजेश सिंह ने डीईओ और कलेक्टर को शिकायत करते हुए दावा किया था कि सेंट जेवियर्स ग्रुप के स्कूलों—सिरगिट्टी, जबड़ापारा, सरकंडा, उसलापुर, और कोटा में संचालित कक्षाओं को सीबीएसई की मान्यता प्राप्त नहीं है। इन स्कूलों के खिलाफ जांच के लिए पहले भी दो कमेटियाँ बनाई गई थीं, लेकिन दोनों कमेटियों ने तय समय में जांच रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की।

एनएसयूआई के प्रदेश सचिव रंजेश सिंह द्वारा समय पर जांच रिपोर्ट न देने पर विरोध जताया गया और बीते दिनों उन्होंने डीईओ कार्यालय का घेराव किया। इस दौरान डीईओ टी आर साहू ने आश्वासन दिया कि मामले की जल्द से जल्द जांच पूरी की जाएगी। इसके बावजूद, जांच की प्रक्रिया पर संदेह बना हुआ है क्योंकि नई कमेटी में फिर से वही अधिकारी शामिल किए गए हैं जिन्होंने पहले जांच में देरी की थी।

एनएसयूआई की कड़ी प्रतिक्रिया

एनएसयूआई नेता रंजेश सिंह का कहना है कि बार-बार जांच कमेटी का गठन इस बात का प्रमाण है कि सेंट जेवियर्स ग्रुप के स्कूल फर्जी तरीके से हाईस्कूल कक्षाएं संचालित कर रहे हैं। उनका आरोप है कि जिला शिक्षा विभाग और जांच कमेटी द्वारा जानबूझकर रिपोर्ट में देरी की जा रही है ताकि स्कूल प्रबंधन को समय मिल सके।

सिंह ने चेतावनी दी है कि अगर इस बार जांच रिपोर्ट समय पर प्रस्तुत नहीं की गई, तो वे डीईओ, जांच अधिकारियों और स्कूल प्रबंधन के खिलाफ कोर्ट में शिकायत दर्ज करेंगे। इस पर अदालत में जवाब मांगा जाएगा।

डीईओ की सफाई और आश्वासन

डीईओ टी आर साहू ने एनएसयूआई के विरोध के बाद जांच की समय-सीमा तय करते हुए 20 सितंबर तक जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आश्वासन दिया है। इसके लिए 11 सितंबर को आदेश जारी किए गए और नोडल अधिकारियों को दो दिनों के भीतर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है।

हालांकि, सवाल यह उठता है कि पहले की कमेटियों द्वारा समय पर जांच न किए जाने के बावजूद उन्हीं अधिकारियों को दोबारा जांच की जिम्मेदारी क्यों सौंपी गई। इस पूरे मामले में डीईओ की निष्पक्षता और गंभीरता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

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