अमेरिका सरकार ने अंतत: इस तथ्य को स्वीकार कर लिया है कि ‘कोलेस्ट्रोल’ ऐसा पोषक तत्व है जिसके उपयोग पर सेहत के लिहाज से भोजन में शामिल करने पर किसी की सहमति की दरकार नहीं है।
अमेरिका का यह यू टर्न इस मायने में ज्यादा महत्व रखता है कि वर्ष 1970 से यूएस सरकार की मान्यता थी कि उच्च कोलेस्ट्रोल युक्त भोजन से बचे, इससे हृदय रोग व हृदय की रक्तवाहिकाओं में रुकावट पैदा होती है। इससे यह स्पष्ट हो गया है कि जो अंडे, घी, मक्खन और वसा यक्त दुग्ध उत्पाद, खोपरे का तेल, मीट खाने के शौकिन हैं वो अब खा सकते हैं, उससे उनकी सेहत पर कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ेगा।
जिन्होंने स्वास्थ्य की चेतावनी के चलते इन चीजों को अपनी भोजन की सूची से बाहर कर रखा था, उसे वो फिर शामिल कर सकेंगे। गौरतलब है कि अमेरिका का कृषि विभाग हर पांच साल में खाने योग्य स्वास्थ्य वद्र्धक खाद्य पदार्थों की सूची को अपडेट करता है। वर्ष 2015 से आगामी पांच साल के लिए खाद्य पदार्थों की सूची का नवीनीकरण किया गया है।
वर्ष 2015 से पहले की जो भोजन के लिए दिशा-निर्देश हर अमेरिका के नागरिक के लिए थे, उसके लिहाज से अमेरिका का नागरिक अपने भोजन में प्रतिदिन 300 मिलीग्राम से अधिक का कोलेस्ट्रोल युक्त भोजन नहीं लेने के लिए कहा गया था पर अब उपलब्ध प्रमाणों और शोध को ध्यान में रखते हुए अमेरिका के कृषि विभाग ने अपनी डाइट चार्ट में कोलेस्ट्रोल की सीमा अर्थात प्रतिदिन कितना कोलेस्ट्रोल लिया जाए उसके बारे में पूर्व की भांति कोई सीमा तय नहीं की है।
ऐसा इसलिए किया है क्योंकि खाने से शरीर में पहुंचने वाले कोलेस्ट्रोल और सीरम व रक्त से बनने वाले कोलेस्ट्रोल का हृदय रोगों से कोई सरोकार नहीं है। इस तथ्य की सत्यता पर अमेरिकन हर्ट एसोसिएशन व अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी ने मुहर लगा दी है। अमेरिका की संस्था ‘द डायटरी एडवायजरी’ कमेटी ने आम लोगों को उच्च कोलेस्ट्रोल युक्त खाद्य सामग्री से बचने के स्थान पर कहा है कि वो अपनी रोजाना की खुराक में अधिक चीनी (शुगर) खाने से बचें।
इस निर्णय पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए अमेरिका के प्रमुख हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. स्टीवन नेसन ने कहा कि यह सही निर्णय है, अभी तक हमारी डाइट चार्ट की सूची सही नहीं थी। यह गलती कई दशकों पुरानी थी जिसे अब सुधार लिया गया है। उन्होंने कहा कि जब हम अण्डे, बटर वाले उच्च कोलेस्ट्रोल भोजन को लेते हैं तो हम अधिक जल्दी अपने आप को ऊर्जा युक्त महसूस करते हैं।
हमारे शरीर में सबसे अधिक कोलेस्ट्रोल का उत्पादन हमारा यकृत करता है। हमारा मस्तिष्क के निर्माण में सबसे अहम तत्व कोलेस्ट्रोल है। हमारे शरीर की तंत्रिकाएं सुचारू रूप से काम करे इसके लिए भी कोलेस्ट्रोल जरूरी है। शरीर में बनने वाले स्टीरायड हार्मोंस का भी आधार यही है। इसमें शामिल है, एस्ट्रोजन, टेस्टेस्टेरोन, कार्टिकोसाइडस शरीर में उच्च कोलेस्ट्रोल की मात्रा यकृत के साथ बेहतर सेहत का प्रतीक है।
डॉ. जार्ज वी. मेनन ने अपने अध्ययन व शोध के आधार पर कहा है कि हृदय रोगों के लिए संतृप्त वसा युक्त भोजन व कोलेस्ट्रोल जिम्मेदार नहीं है। इन दोनों को भोजन में लेने से कॉरनी हार्ट डिजीज नहीं होती है। यह एक बड़ा भ्रम है कि कोलेस्ट्रोल से हृदय रोग होता है, सैकड़ों साल से यह भ्रम चल रहा है उन्होंने कहा कि चिकित्सा जगत का सबसे बड़ा सर्वकालिक घोटाला है कोलेस्ट्रोल।
उन्होंने कहा कि ऐसा कुछ नहीं है कि बुरा कोलेस्ट्रोल होता है। ऐसे में उन्होंने कहा कि आप अपने कोलेस्ट्रोल के स्तर को बदलने का प्रयास नहीं करें। तमाम अध्ययन व शोध रिपोर्ट से यह पुख्ता हो चुका है कि कोलेस्ट्रोल का हृदय रोग से कोई नाता नहीं है। सबसे चौकाने वाला सत्य यह है कि जिनको भी हृदयाघात (हार्टअटैक) आया है, उनका कोलेस्ट्रोल स्तर सामान्य था।
बात काम की
हमारे शरीर को प्रतिदिन चाहिए 950 मिलीग्राम कोलेस्ट्रोल जो दैनिक (मैटाबॉलिज्म) उपापचयी क्रियाओं के लिए जरूरी है। इसका मुख्य उत्पादन हमारा यकृत (लिवर) होता है। जो भोजन हम खाते हैं उससे हमारे शरीर को जितना कोलेस्ट्रोल चाहिए उसकी महज 15 प्रतिशत आपूर्ति ही भोजन से हो पाती है ऐसे में कम चिकनाई (वसा) हम खाते हैं, तो हम हमारे लीवर को ही खाते हैं।
ऐसे में अब चाहिए कि हम हमारे लीवर को जो 950 मिलीग्राम कोलेस्ट्रोल की जरूरत है, उसकी पूर्ति के लिए वसा युक्त खाना खाएं, अगर आपका शारीरिक जांच के दौरान कोलेस्ट्रोल का स्तर अधिक आता है तो आप भाग्यशाली हैं।
उच्च कोलेस्ट्रोल का स्तर यह बताता है कि आपका यकृत (लीवर) सही काम कर रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि एलडीएल और एचडीएल जैसा कुछ नहीं होता। कोलेस्ट्रोल की वजह से शरीर में कहीं भी रुकावट (ब्लोकज) नहीं आता है।