Wednesday, December 11, 2024
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बाल अधिकार संगठन नहीं चाहते बच्चों के रेपिस्ट को फांसी, जाने क्यों

बाल अधिकार संगठन नहीं चाहते बच्चों के रेपिस्ट को फांसी, जाने क्यों

रेप मामले में मौत की सजा का प्रावधान करने के लिए ’पॉक्सो’ कानून में संशोधन के सरकार के फैसले का विरोध किया है. केंद्रीय कैबिनेट ने 12 साल से कम उम्र की बच्चियों से बलात्कार के दोषियों को मौत की सजा देने की इजाजत देने वाले एक अध्यादेश को मंजूरी दी.

गौरतलब है कि कई नेताओं ने इस नृशंस अपराध के लिए मौत की सजा दिए जाने की हिमायत की थी, जिसके बाद कैबिनेट ने ’यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण’(पॉक्सो) कानून में संशोधन करने का फैसला किया. बाल अधिकारों के लिए हक सेंटर की भारती अली ने कहा कि एक ऐसे देश में , जहां बलात्कार की ज्यादातर घटनाओं को परिवार के सदस्य अंजाम देते हैं वहां मौत की सजा का प्रावधान करना आरोपियों के बरी होने की सिर्फ गुंजाइश ही बढ़ाएगा.

उन्होंने कहा, ‘ज्यादातर मामले दर्ज ही नहीं कराए जाएंगे. बच्चियों से बलात्कार करने वालों के खिलाफ मौत की सजा का प्रावधान सिर्फ करीब 13 देशों में ही क्यों है उसकी भी एक वजह है , जो यह है कि उनमें से ज्यादातर देश इस्लामिक हैं.’

राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक बलात्कार की 95 फीसदी घटनाओं को परिवार के सदस्यों ने ही अंजाम दिया है. महिलाओं से बलात्कार के मामलों में दोषसिद्धि दर करीब 24 फीसदी है. पॉक्सो कानून के तहत यह 20 फीसदी है. उन्होंने कहा कि दुनियाभर में हमने देखा है कि सख्त सजा की तुलना में शीघ्र न्याय एक निवारक के तौर पर काम करता है.

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के पूर्व सदस्य विनोद टिक्कू ने कहा ,’‘मुझे आशंका है कि मौत की सजा का प्रावधान हो जाने पर ज्यादातर लोग बच्चियों से बलात्कार के मामले दर्ज नहीं कराएंगे क्योंकि ज्यादातर मामलों में परिवार के सदस्य ही आरोपी होते हैं. दोषसिद्धि दर भी और कम हो जाएगी.’’

कैलाश सत्यार्थी के चिल्ड्रेंस फाउंडेशन के हालिया अध्ययन के मुताबिक बाल यौन अपराधों से जुड़े लंबित मामलों का निपटारा करने में अदालतों को दो दशक लग जाएगा.

कार्यकर्ताओं का कहना है कि सरकार को मौजूदा कानूनों को मजबूत करने पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए , पीड़िताओं और गवाहों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए , मुकदमों की त्वरित सुनवाई करानी चाहिए और जागरूकता पैदा करना चाहिए.

अधिवक्ता एवं बाल अधिकार कार्यकर्ता अनंत कुमार अस्थाना ने कहा , ‘हमारे पास कई अपराधों के लिए पहले से ही मौत की सजा का प्रावधान है लेकिन इसने किसी निवारक का काम नहीं किया है.’

उन्होंने कहा कि अदालतें , कानूनी सहायता और पुलिस , पुनर्वास तथा आरोपी की दोषसिद्धि को सुनिश्चत करना – ये कुछ ऐसी चीजें हैं जो निवारक काम करेंगे. जम्मू कश्मीर के कठुआ जिले में आठ वर्षीय एक बच्ची से बलात्कार और उसकी हत्या की घटना को लेकर देश भर में रोष छाने के मद्देनजर सरकार ने यह कदम उठाया है.

केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने कुछ दिन पहले अपने विभाग से पॉक्सो कानून में संशोधन के प्रस्ताव पर काम करने को कहा था. दिल्ली महिला आयोग की प्रमुख स्वाति मालीवाल बलात्कारियों के लिए मौत की सजा की मांग को लेकर समता स्थल पर अनशन पर बैठी हुई हैं.

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