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भाई दूज 2019: जानें यूपी, बिहार, झारखंड, एमपी और छत्तीसगढ़ में भैया दूज से जुड़ी अलग अलग परंपराएं…

भाइयों के प्रति बहनों के प्रेम और विश्वास का पर्व भाई दूज कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाया जाता है। भाई दूज के दिन बहने नारियल भाई को देकर टीका करती है, टीका करने के बाद बहने भाई आरती करती करती है, बदले में भाई अपने बहन को गिफ्ट देती है। उत्तर भारत में अलग-अलग क्षेत्रों में कई अनोखी परंपराएं प्रचलित हैं, जिनका निर्वहन करते हुए बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र की कामना करती हैं।

शुभ मुहूर्त

द्वितीया तिथि मंगलवार सुबह 6: 13 बजे से बुधवार सुबह 3: 48 बजे तक
पूजन मुहूर्त मंगलवार दोपहर 1: 11 बजे से दोपहर 3: 25 बजे तक

उत्तर प्रदेश

बहन संग यमुना में डुबकी
मथुरा में बहन का हाथ पकड़ यमुना में डुबकी की परंपरा है। मान्यता है कि ऐसा करने से भाई-बहन को यमलोक के कष्टों से मुक्ति मिलती है। वहीं, पूर्वांचल के कई इलाकों में महिलाएं रूई में बेसन लगाकर मालाएं बनाती हैं। मान्यता है कि माला जितनी लंबी होगी, भाई की उम्र उतनी लंबी होगी।

बिहार

पहले शाप, फिर पश्चाताप
प्रथा है कि बहनें अपने भाइयों को यमराज के भय से मुक्त करने के लिए शाप (गाली) देती हैं और फिर पश्चाताप करते हुए अपनी जीभ में कांटा चुभाकर ईश्वर से क्षमा मांगती हैं। इसके अलावा मिथिलांचल में भरदुतिया पर निमंत्रण (नोत) लेने का रिवाज है। इसके तहत बहनों के घर भाई के भोजन करने की परंपरा सदियों से है।

झारखंड

पूजा के बाद गोधन को कूटती हैं
इस पर्व को गोधन भी कहा जाता है। घर के बाहर महिलाएं गोबर से यम और यमी की प्रतिमा बनाती हैं। इसके भीतर चना, ईंट, नारियल और सुपारी रखते हैं। महिलाएं पहले इसकी पूजा करती हैं और फिर डंडे से कूटती हैं। फिर भाइयों को इसे खिलाती हैं।

मध्य प्रदेश

शक्कर माला का रिवाज
भैया दूज पर भाई खुद बहनों के घर जाकर उनके हाथों से खाना खाते हैं। डिंडौरी इलाके में शक्कर माला पहनाने का रिवाज है। कुछ जगह इसे कलाइयों पर बांधा जाता है और कुछ लोग गले में पहनते हैं। यह मालाएं स्थानीय बाजारों में मिलती हैं। मान्यता है कि इससे जीवन में मिठास घुलती है।

छत्तीसगढ़

मुंह में मक्खन-मिश्री
बहनें किसी आसन पर चावल के घोल से चौक बनाती हैं। इस पर भाई को बैठाकर उसके हाथों में चावल के घोल का लेप और सिंदूर लगाती हैं। फिर तिलक और आरती करने के बाद कलावा बांधती हैं। भाई के मुंह में मक्खन-मिश्री लगाकर सुखमय जीवन की कामना की जाती है

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